आज की कहानी है महाराष्ट्र के गढ़चिरौली गांव की, गढ़चिरौली में एक खुशहाल परिवार रहा करता था, इस परिवार के मुखिया थे शंकर कुंभारे वह अपनी पत्नी और अपने बच्चों के साथ एक खुशहाल जिंदगी जी रहे थे I सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अचानक सितंबर महीने के शुरुआती दिनों में शंकर कुंभारे बीमार हो जाते हैं, वह खाते पीते सेहतमंद तंदुरुस्त थे, उन्हें अचानक सर में दर्द हाथ पैर में दर्द होने लगा I उन्हें लगा कि यह तो नॉर्मल है मौसम बदल रहा है इस वजह से हो रहा होगा, इसलिए उन्होंने ध्यान नहीं दिया, लेकिन दूसरे दिन शंकर जी की पत्नी विजया कुंभारे उन्हें भी ऐसे ही तकलीफ होने लगी, उन्हें भी सर में दर्द पूरे बदन में दर्द होने लगा I दोनों पति-पत्नी सेहतमंद तंदुरुस्त थे, अचानक बीमार पड़ गए उन्हें ना तो शुगर थी, और ना ही ब्लड प्रेशर I
पहले कुछ दिन, तो उन्होंने ध्यान नहीं दिया, उनका मानना था की उम्र के साथ इंसान को कमजोरी होने लगती है, इस वजह से हो रहा होगा, लेकिन जब वह दर्द हद से ज्यादा बढ़ गया, तो परिवार वालों ने उन्हें अपने नजदीक के अस्पताल में भर्ती किया I डॉक्टर ने जब उनका चेकअप किया उनकी रिपोर्ट आई तो उन्हें भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था, कि इन्हें कौन सी बीमारी है, या इन्हें क्या हो रहा है I डॉक्टर ने अपने हिसाब से दवाइयां दे दी, पर उन दवाइयो का दर्द पर कुछ असर नहीं हो रहा था, तकलीफ बढ़ रही थी तो डॉक्टरों ने कहा की दूसरे अस्पताल में ले जाइए I दूसरे अस्पताल में ले जाने के बाद वहां के डॉक्टर को भी उनकी तकलीफ के बारे में कुछ समझ में नहीं आ रहा था, वहां के डॉक्टरों ने कहा कि आप इन्हें नागपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाइए I
घर के मुखिया के चले जाने से, पूरा परिवार सदमे में था…
नागपुर लाने के बाद भी उनकी तबीयत में सुधार नहीं आया, दोनों की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ रही थी, और दवाइयो का उन पर कुछ असर नहीं हो रहा था, और इसी के चलते 20 सितंबर 2023 को शंकर कुंभारे की मौत हो गई I घर के मुखिया के चले जाने से, पूरा परिवार सदमे में था, इस सदमे से परिवार अभी निकाला भी नहीं था, की एक और सदमा उन्हें लगा, 26 सितंबर को विजया कुंभारे की भी मौत हो गई I 20 सितंबर को शंकर कुंभारे की मौत हो गई और 6 दिन बाद उनकी पत्नी विजया कुंभारे की मौत हो गई, परिवार में दो मौत हो गई थी, और दोनों जिस बीमारी से लड़ रहे थे, उसका अब तक किसी को कुछ पता नहीं चला, कि इन्हें क्या हुआ था, यह कौन सी बीमारी थी I
आस पड़ोस के लोग और रिश्तेदार भी परेशान थे, कि ना जाने किस बीमारी से उनकी मौत हुई है I उनके अंतिम संस्कार के लिए सारे रिश्तेदार घर आए थे, शंकर जी की इकलौती बेटी थी कोमल, वह शादीशुदा थी उसके बच्चे थे उसका भी एक हंसता खेलता परिवार था, अपने मां बाप की तबीयत खराब होने के बाद वह उन्हें देखने के लिए अपने मायके आई थी, लेकिन उसे भी सेम वही तकलीफ होने लगी, सर में दर्द हाथ पैर में और बदन में तेज दर्द होने लगा I उसे इलाज के लिए अस्पताल ले गए लेकिन उसके साथ भी वहीं हुआ, डॉक्टर को उसकी बीमारी का पता ही नहीं चला, वह अभी उलझन में ही थे, कि यह कौन सी बीमारी है और इसे क्या हो रहा है I
दो लोगों की मौत हो चुकी थी और तीन लोग इस बीमारी से लड़ रहे…
कोमल अभी अस्पताल में अपना इलाज कर रही थी, इतने में खबर आती है कि, विजया जी की जो बहन थी कोमल की आंटी वह भी गढ़चिरौली आई थी अपने बहन से मिलने, अपने जीजा और बहन के अंतिम संस्कार के बाद जब वह वापस अपने गांव गई, तो वहां उन्हें भी सेम तकलीफ होने लगी, एक ही परिवार का यह चौथा पेशेंट था I इसके बाद यह बीमारी यहीं पर नहीं रुकी, कोमल के आंटी जब गढ़चिरौली आई थी, तब वह अपने छोटे बेटे को साथ लेकर आई थी, उस बच्चे को भी वहीं सेम तकलीफ होने लगी I एक ही परिवार के इतने लोगों की अचानक तबीयत खराब हो गई, तो आस पड़ोस के लोग बहुत घबरा गए I ऐसे अचानक तबीयत खराब होने की वजह से, दो लोगों की मौत हो चुकी थी और तीन लोग इस बीमारी से लड़ रहे थे, और तीनों को भी सेम तकलीफ थी, जिस तकलीफ से शंकर जी और उनकी पत्नी विजया की मौत हुई थी I
तीनों लोग हॉस्पिटल में इस बीमारी से लड़ रहे थे, और अलग-अलग हॉस्पिटल के चक्कर काट रहे थे, यह सोच कर कि कहीं ना कहीं इस बीमारी का कोई इलाज मिल जाए, कोई दवाई मिल जाए जिससे वह ठीक हो सके I पर अफसोस इस बीमारी से लड़ते-लड़ते कोमल की मौत हो जाती है I इसी के साथ कोमल के आंटी उनकी भी अस्पताल में मौत हो गई, इस बीमारी से बड़े लोग नहीं लड़ सके तो वह बच्चा कैसे लड़ता, वह भी हार गया और अस्पताल में उसकी भी मौत हो गई I 20 सितंबर से लेकर 10 अक्टूबर तक एक ही खानदान के पांच लोगों की मौत हो गई थी, अब आप इसे किसी की साजिश कहे, या किसी का जादू टोना कहे, या फिर कोई इत्तेफाक न जाने यह क्या था, जो 20 दिन के अंदर एक ही परिवार के पांच लोगों की जिंदगी खत्म हो गई I
और ऐसी बातें वहां पर आम थी, कोई कहने लगा…
आस पड़ोस के लोग, रिश्तेदार, खानदान वाले, दोस्त सारे लोग परेशान थे, और डॉक्टर भी उलझन में थे, उन्हें भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि इस बीमारी को क्या कहे, कि ऐसे अचानक पांच लोगों की सेम बीमारी से मौत हो गई I लोग कहने लगे कि किसी ने इन पर जादू टोना किया है, अपनी दुश्मनी निकालने के लिए, और ऐसी बातें वहां पर आम थी, कोई कहने लगा कि किसी बुरे साए का इन के घर पर असर हुआ है I ऐसी बातें बनाकर वहां के लोगों ने और रिश्तेदारों ने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया I 20 दिन के अंदर पांच लोगों की मौत हो गई थी और सारे लोग सेहतमंद और तंदुरुस्त थे, और 5 लोगों की मौत एक ही बीमारी से होती है, कई डॉक्टरों को दिखाया लेकिन किसी भी डॉक्टर को यह नहीं समझ में आया कि यह कौन सी बीमारी है और इसका इलाज कैसे करें I
इसी बीच जब सब लोग धीरे-धीरे यह बात को भुल रहे थे, तब अचानक दिल्ली से एक खबर आती है, दिल्ली में शंकर जी का छोटा बेटा जॉब करता था, 20 सितंबर को जब उसे अपने पिता की मौत की खबर मिली तो वह उनके अंतिम संस्कार के लिए दिल्ली से गढ़चिरौली आया था I पिता के मौत के कुछ दिन बाद मां की मौत भी हो गई, तो वह कुछ दिन वहीं पर था अपने मां-बाप की अंतिम संस्कार की जो विधियां थी वह सब पूरी कर के वह वापस दिल्ली आया I पर जब वह वापस दिल्ली आया तब अचानक उसे भी सेम तकलीफ होने लगी हाथ पैर में सर में दर्द पूरे बदन में बहुत तेज दर्द होने लगा, उसे पता था कि उसके मां-बाप और बहन की मौत भी ऐसे ही सेम तकलीफ से हुई थी, तो उसने घबरा कर अपने अपने भाई को फोन करके बता दिया I
और घबरा कर वह भी अस्पताल में एडमिट हो गए…
दिल्ली में अपने नजदीकी अस्पताल में उसने खुद को एडमिट कर दिया, गढ़चिरौली में आस पड़ोस के लोगों में और रिश्तेदारों में यह बात फैल चुकी थी, इसी के साथ शंकर जी के दूर के रिश्तेदार उनके अंतिम संस्कार के लिए गांव से आए थे, पर जब वह अपने गांव वापस गए तो उनके साथ भी वही हुआ, उन्हें भी सेम तकलीफ होने लगी और घबरा कर वह भी अस्पताल में एडमिट हो गए I शंकर जी के अंतिम संस्कार के लिए जो लोग गांव से आए थे उनके साथ एक ड्राइवर था, और वह भी उन लोगों के साथ दो-तीन दिन तक शंकर जी के घर पर ही रुका था, जब वह ड्राइवर वापस अपने शहर गया तो उसे भी सेम तकलीफ होने लगी, और उसने भी घबरा कर खुद को अस्पताल में भर्ती कर लिया I
सेम तकलीफ के कारण अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी थी, और तीन लोग अस्पताल में एडमिट थे, और सब की नजर इन तीनों पर ही थी, सब लोग परेशान और घबराए हुए थे, वह डर गए थे उन्हें लग रहा था कि अब यह तीनों भी लौट कर कभी घर नहीं आएंगे I शंकर जी की बहू के मामा भी अंतिम संस्कार के लिए गढ़चिरौली आए थे, जब वह लौटे अपने गांव तो वह भी बीमार पड़ गए, यह जो आंकड़ा है वह बढ़ते जा रहा था, पांच की मौत हो गई चार लोग एडमिट है I आस पास के लोग मिलकर कहने लगे कि किसी तांत्रिक को बुलाकर झाड़ फुक कराए, ताकि यह बीमारी हमें अपने चपेट में ना ले, लोगों में फैलते फैलते यह बात अब वहां के पुलिस थाने तक पहुंच चुकी थी, अब पुलिस अपनी कार्रवाई करने लगी I
पुलिस भी रिपोर्ट देखकर हैरान हो गई, क्योंकि उस रिपोर्ट में…
पुलिस ने सबसे पहले उन पांच लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मंगाई, जिनकी सेम बीमारी से मौत हो गई थी, क्योंकि अब तक किसी पर शक नहीं था, कि यह किसी की साजिश भी हो सकती है, इस बात का I जब उन पांच लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई, तो पुलिस भी रिपोर्ट देखकर हैरान हो गई, क्योंकि उस रिपोर्ट में लिखा था की इन पांच लोगों की मौत हार्ट अटैक से और शरीर के अवशेषों ने काम करना बंद कर दिया इस वजह से उनकी मौत हुई है I अब पुलिस यह सोचने पर मजबूर थी की जिन लोगों की मौत हुई थी वह पांच लोग अलग-अलग उम्र के थे, और सेहतमंद और तंदुरुस्त थे, किसी को कोई बीमारी नहीं थी I पुलिस कन्फ्यूज्ड थी एक ही परिवार के पांच लोगों की सेम बीमारी से मौत कैसे हो सकती है, पुलिस उन सब डॉक्टर से मिलती है, जिन्होंने उन पांच लोगों का बीमारी के दौरान इलाज किया था, पुलिस डॉक्टर से पूछते है कि यह क्या है, पांच लोग जो अलग-अलग उम्र के थे और तंदुरुस्त और सेहतमंद, उन सब की मौत एक जैसे कैसे हो सकती है I
डॉक्टरों ने बताया की उनकी मौत दिल का दौरा पढ़ने के वजह से हुई है i हार्ट अटैक आने पर यह शरीर के किसी अंग ने काम करना बंद कर दिया तो आप किसी पर शक भी नहीं कर सकते, लेकिन पुलिस को डॉक्टरों की इन बात पर यकीन नहीं हुआ, उन्हें लग रहा था कहीं ना कहीं कुछ तो गड़बड़ है, क्योंकि पांच लोग जो सेहतमंद और तंदुरुस्त थे, उनकी मौत हार्ट अटैक आने से कैसे हो सकती है I अब सब की नजर उन चार लोगों पर थी जो अस्पताल में अपना इलाज कर रहे थे, सब लोग उनके लिए दुआएं मांग रहे थे, प्रार्थना कर रहे थे, कि वह सही सलामत घर लौट आए I पूछताछ के दौरान एक डॉक्टर ने बताया कि जो पांच लोगों की मौत हुई, उन सबके होठ थोड़ा काले पड़ गए थे, इसके अलावा कुछ और हमें ऐसा नहीं मिला जिसे हम किसी पर शक कर सके I
घर में पांच लोगों की मौत हुई, और चार लोग एडमिट…
अब पुलिस परिवार वालों से पूछताछ करने का तय करते हैं, जब उस परिवार की हिस्ट्री निकाली तो पता चला, बड़ा बेटा विदेश में रहता है और छोटा बेटा तो दिल्ली में एडमिट है और घर में सिर्फ बडी बहू है I आप समझ सकते हैं, की एक ही घर में पांच लोगों की मौत हुई, और चार लोग एडमिट थे ऐसे में पुलिस वाले भी थोड़ा उलझन में थे, कि कैसे पूछे वह थोड़ा हिचकिचा रहे थे यह सोचकर I लेकिन पूछताछ करना यह तो पुलिस वालों की ड्यूटी थी इस लिए वह हिम्मत करके उनकी बहू से पूछताछ करने पहुंच जाते हैं I जब पुलिस शंकर जी के बहू से पूछताछ कर रही थी, तब उसका बर्ताव कुछ अलग था, घर में इतने मौत हुई है लेकिन उसके चेहरे पर किसी भी तरह की परेशानी नजर नहीं आ रही थी, और उससे जो भी सवाल पूछते वह एकदम बेफिक्र और बिना डरे उसका जवाब देती, और वह नॉर्मल बात कर रही थी, जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं I
वह दिखने में भी तंदुरुस्त और सेहतमंद नजर आ रही थी, बहु को देखकर पुलिस और परेशान हो गई, यह किसी की साजिश हो या जादू टोना या कुछ और, लेकिन एक एक करके लोग बीमार पड़ रहे थे जो लोग अंतिम संस्कार के लिए दूसरे गांव से आए थे वह भी अपने गांव जाकर बीमार हो गए I लेकिन यह इकलौती ऐसी है जो उसी घर में एक छत के नीचे रहकर एकदम सेहतमंद तंदुरुस्त नजर आ रही थी,उसे कुछ नहीं हुआ, ऐसे कैसे हो सकता है I अगर किसी ने उनके घर पर कुछ किया है तो घर के सभी लोग शिकार बनेंगे, लेकिन बहू बिल्कुल ठीक थी I यहां पर पुलिस को पहली बार शक हुआ, लेकिन घर का माहौल ऐसा था की बहू को डरा धमका कर पूछताछ नहीं कर सकते थे, फिर पुलिस ने अपने तरीके से उस बहू के बारे में जानकारी हासिल की, पुलिस को बहू के खिलाफ चौका देने वाली जानकारी मिली I
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर के बारे में जिक्र ही नहीं हुआ…
पहले तो यह कि उस बहू का नाम संघमित्रा था, और वह कृषि इंजीनियर यानी एग्री कल्चर की पढ़ाई कर चुकी थी, और वह अपने यूनिवर्सिटी में सबसे टॉप स्टूडेंट में से थी I एग्री कल्चर यूनिवर्सिटी में वह सब पढ़ाया जाता है जिससे आपको खेती करने में आसानी हो, पेड़ पौधों को कैसे सुरक्षित किया जाए, की कब किस पेड़ पौधे को कीट नाशक दवाई दी जाती है, वह तमाम प्वाइजन और खात के बारे में सिखाया जाता है I जब यह बात पुलिस को पता चली कि संघमित्रा एग्रीकल्चर की पास आउट है और अपने यूनिवर्सिटी में टॉपर थी, तब पुलिस को लगा कि संघमित्रा को उन तमाम जहर के बारे में पता होगा I दुनिया में ऐसे बहुत से जहर है जिन्हें पकड़ना या पहचानना बहुत मुश्किल होता है, इसी वजह से किसी भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर के बारे में जिक्र ही नहीं हुआ I
सबको यही लगता था की शरीर के अवशेषों ने काम करना बंद किया, और हार्ट अटैक से सब की मौत हुई, अचानक एक पुलिस ऑफिसर के यह बात समझ में आई और यह कड़ी वहां पर जुड़ गई I शंकर जी के बहू के बारे में पता किया कि यह यहां कैसे आई इनका रिश्ता कैसा हुआ, तब पता चला कि अपने यूनिवर्सिटी में टॉप करने के बाद संघमित्रा को एक लड़के से प्यार हुआ, और वह लड़का शंकर जी का बड़ा बेटा था I दोनों के धर्म अलग थे शंकर जी को इस बात से कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन संघमित्रा के मां-बाप को यह बात मंजूर नहीं थी, कि उनकी बेटी अपने धर्म से बाहर शादी करें I लेकिन संघमित्रा ने अपने मां-बाप की परवाह न करते हुए, उनके खिलाफ जाकर शंकर जी के बेटे से शादी कर ससुराल आती है I
नाराज होकर संघमित्रा के मां-बाप खुदकुशी करते हैं…
एक तरफ संघमित्रा के मां बाप उसके इस फैसले से बहुत नाराज होते हैं, और वह अपने ही नजर में बहुत शर्मिंदा हो जाते हैं, उन्हें लगता है कि अपने धर्म से बाहर जाकर उनकी बेटी ने शादी कर के उन्हें अपने समाज में कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं छोड़ा I इसी बात से शर्मिंदा और नाराज होकर संघमित्रा के मां-बाप खुदकुशी करते हैं I अपने मां बाप के इस फैसले के बाद संघमित्रा को पहली बार अपनी गलती का एहसास हुआ, उसे लगने लगा कि उसने बहुत गलत कदम उठाया है, अपने मां-बाप के खिलाफ जाकर उनकी बात ना मन कर, और यह बात उसके मन में खटक रही थी I लेकिन होनी को कौन टाल सकता है, और जो होना था वह तो हो चुका था, अब वह अपने ससुराल आ गई थी, ससुराल में आने के बाद एक लड़की को अपने मर्यादा में रहना होता है, ससुराल के कुछ नियम कायदे होते हैं, उन कायदों के अनुसार उसे अपने ससुराल में सब कुछ संभाल कर लेना पड़ता है I
जब एक लड़की अपने मायके में होती है अपने मां-बाप के पास तो उसे अपने हिसाब से जीने की पूरी आजादी होती है, लेकिन जब एक लड़की शादी करके अपने ससुराल आती है तो वहां उसे अपने सास ससुर नंनद देवर इन सब रिश्तों को लेकर चलना होता है I लेकिन संघमित्रा अपने ससुराल में एडजस्ट नहीं हो पाई थी, और इसी वजह से उसकी सास ननंद के साथ कभी-कभी कहा सुनी होने लगी I जब घर में हर छोटी बड़ी बात पर कहा सुनी होने लगी, तो उसे हर बार इस बात का एहसास होने लगा कि उसने अपने मां-बाप की बात ना मन कर बहुत बड़ी गलती की I एक तरफ उसके इस गलत फैसले की वजह से उसके मां-बाप नहीं रहे, यह बात हमेशा उसके मन में खटकने लगी, इन सरी चीजों को देखते हुए वह धीरे-धीरे अलग ही दिशा में जाने लगी I
कहते हैं ना कि जब किसी पर खून करने का भूत सवार होतो…
वह सोचने लगी जिस वजह से मेरे मां बाप नहीं रहे, और जहां मैं अपने खुशी से आई थी वहां मुझे वह खुशी ही नहीं मिल रही जिसके लिए मैं यहां आई थी, यह सब देखकर वह वहां बहुत परेशान हो गई थी I इस परेशानी को हल करने के बहुत रास्ते थे, लेकिन उसने एक ऐसा फैसला लिया जिसे करने से पहले कोई भी व्यक्ति 100 बार सोचेगा I उसे ऐसा लगने लगा कि उसके मां-बाप के आत्मा को शांति तभी मिलेगी, जब मैं इन सब को जान से मार दूं, जिनकी वजह से मेरे मां-बाप आज इस दुनिया में नहीं है, अब पता नहीं की संघमित्रा का यह फैसला कहां तक सही था, वह कहते हैं ना कि जब किसी पर खून करने का भूत सवार होतो उसे अपने मकसद के अलावा कुछ और दिखाई नहीं देता I
यह सब होने से कुछ महीने पहले, संघमित्रा के मामा का और संघमित्रा के ससुराल वालों का खेत जमीन का कोई झगड़ा चल रहा था, मां बाप के मरने के बाद संघमित्रा के साथ सिर्फ उसकी मामी और मामा ही थी I मामी के अलावा बाकी सभी रिश्तेदारों ने संघमित्रा से रिश्ता तोड़ दिया था, मामी इसी बात का फायदा उठाते हुए संघमित्रा से हमदर्दी जताने लगी, और संघमित्रा भी अपने ससुराल वालों से परेशान होकर अपना हर सुख-दुख अपने मामी को बताती थी I वह कहने लगी जिसके लिए मैंने अपने मां-बाप की भी परवाह नहीं की और उन्हें छोड़कर मैं अपनी खुशी के लिए यहां आई, और इसी वजह से आज मेरे मां-बाप मुझ से दूर हो गए I पर मुझे वह खुशी नहीं मिली जिसके लिए मैं यहां आई थी I
संघमित्रा एग्री कल्चर यूनिवर्सिटी में…
मैं इन सब से तंग आ गई हूं और मैं खुद को इन सब रिश्तों से आजाद करना चाहती हूं और ऐसा तभी होगा जब मैं इन सब को मार के अपने मां-बाप का बदला लूंगी I मामी को इसमें अपना फायदा नजर आ रहा था, अगर संघमित्रा सब को जान से मार देगी, तो कोई झगड़ा करने वाला ही नहीं रहेगा, अपने आप जमीन उसे मिल जाएगी I यही सोच कर मामी भी अपने फायदे के लिए संघमित्रा का साथ देने लगी, वह कहती है ठीक है तुम जो भी कदम उठाओगे उसमें मैं तुम्हारे साथ हूं I संघमित्रा एग्री कल्चर यूनिवर्सिटी में टॉपर थी, इसी वजह से उसे हर एक जहर के बारे में पता था, मैं यहां पर उस जहर का नाम नहीं लूंगी, लेकिन उसने एक ऐसा जहर लिया था जिसका कोई कलर नहीं था I आप किसी भी चीज में उसे डाल दो, चाहे पानी में डाल दो या खाने में चाय में डाल कर दे दो उसका कलर चेंज नहीं होता I
वह एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से थी,और उसे हर एक कीट नाशक दवाइयां और जहर के बारे में पता था, तो उसने उन्हें जहर में से एक जहर को चुना I जहर को चुने के बाद उसने अपने ससुराल वालों को चाय में पानी में खाने में मिलाकर देना शुरू किया, और इत्तेफाक से सितंबर में शंकर जी की साली अपने बेटे के साथ बहन से मिलने गढ़चिरौली आए थी, संघमित्रा ने ससुराल वालों के साथ आंटी और उनके छोटे बेटे को भी देने लगी I पति तो विदेश में रहता था और एक देवर था वह दिल्ली में रहता था, सास ससुर आंटी और उनके बेटे को हर रोज थोड़ा-थोड़ा जहर देने लगी I धीरे-धीरे उस जहर का असर होने लगा और सितंबर के दूसरा हफ्ता आते-आते शंकर जी और उनके साथ बाकी लोग बीमार हो गए I
वह बीमारी नहीं बल्कि जहर है…
जहर को लेने की वजह से सब लोगों को एक जैसी तकलीफ होने लगी, सर में दर्द हाथ पैर में दर्द पूरे बदन में तेज दर्द होने लगा, इसके बाद एक-एक करके 20 दिनों के अंदर संघमित्रा ने अपने मामी के साथ मिलकर पांच लोगों का कत्ल किया I जब पुलिस वालों को पता चला कि संघमित्रा ने उन पांच लोगों को जहर दिया था, और उसी जहर के वजह से चार लोग अस्पताल में बीमार थे, अब तक डॉक्टर को एग्जैक्ट बीमारी क्या है, यह पता नहीं था I लेकिन जब पुलिस वालों को पता चला कि वह बीमारी नहीं बल्कि जहर है I तब उन्होंने फौरन डॉक्टर को बता दिया कि यह इस नाम का जहर दिया है, तो डॉक्टरों ने फौरन उस हिसाब से इलाज शुरू किया, इलाज के बाद जो चार लोग अस्पताल में थे उन में से तीन लोगों की तबीयत ठीक होने लगी I
लेकिन जो चौथ पेशेंट था वह संघमित्रा के मामा, जब एक एक कर के बाकी लोग एडमिट हो रहे थे, तब मामा ने भी कहा कि मुझे भी तकलीफ हो रही है तब घर वालों ने मामा को भी अस्पताल में एडमिट कर दिया I लेकिन जब पुलिस वालों ने पूछ ताछ की डॉक्टर के पास जाकर मामा का हाल-चाल पूछा, तब उन्हें पता चला की मामा बीमार नहीं है, वह नॉर्मल है I उसने झूठी एक्टिंग कर के खुद को बीमार बता कर अस्पताल में एडमिट कर लिया, पुलिस अपनी जांच में लग जाती है यह जानने के लिए कि संघमित्रा और उसके मामी के अलावा क्या मामा भी इस प्लान में शामिल था क्या संघमित्रा ने मामा को भी इस सारे प्लानिंग के बारे में पहले से ही बता दिया था या बाद में पता चला I
आजाद होना था, तो वह प्यार से समझ कर तलाक लेकर…
क्योंकि अगर मामा भी इस प्लान में शामिल था, तो पुलिस वालों को मामा को भी गिरफ्तार करना था, लेकिन जब सच्चाई पता चली तब पुलिस ने संघमित्रा और उसकी मामी को गिरफ्तार कर लिया I कैसे एक एग्रीकल्चर टॉपर लड़की ने अपने मां बाप को नाराज करके, उनके खिलाफ जाकर शादी कर ली, और अपने ससुराल में रहने लगी अपनी बेटी के इस गलत फैसले की वजह से मां-बाप ने शर्म के मारे आत्महत्या की अपने मन पसंद लड़के से शादी करके भी उस लड़की के दिल को सुकून नहीं मिला, अगर उसे अपने ससुराल वालों के साथ नहीं रहना था, उसे इन सब रिश्तो से आजाद होना था, तो वह प्यार से समझ कर तलाक लेकर आजाद हो जाती, और अपनी जिंदगी नए से शुरू करती और अपने मुताबिक अपनी जिंदगी जीती I लेकिन जब कोई किसी का बुरा करने का सोचता है तो उसे उसके अलावा कुछ और नहीं सुझता I