आज हम जानेंगे एक ऐसी अभिनेत्री के बारे में जिसकी नानी और मां दिल्ली के एक मशहूर कोठे की तवायफ थी, और एक तवायफ की बेटी कैसे बनी, फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर एक्टर ट्रेजेडी किंग की पत्नी I यह बात है 1960 और 70 के दशक की सबसे मशहूर अदाकारा जो अपने खूबसूरती और बोल्ड अंदाज से मशहूर हुई थी, इन्होंने अपनी उम्र के 17 साल में ही में फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत की, और अपने बेमिसाल अदाकारी, और अपने नटखट अदाओं के चलते इंडस्ट्री में अपना एक अलग मुकाम बनाया I यह दिखने में बहुत खूबसूरत और दिल नशीन थी, जिसके चलते इनके खूबसूरती को शबाब के प्याला से छलकती हुई शराब कहते थे I यह अपनी पहली फिल्म से ही लाखों करोड़ों दिलों की धड़कन बनी थी, और हिंदुस्तान के साथ-साथ विदेश में भी उनके चाहने वाले थे, और यह 60 और 70 के दशक की सबसे महंगी फीस लेने वाली तीसरे नंबर की अदाकारा थी I
यह खूबसूरत अदाकारा प्यार तो एक दूसरे अभिनेता से करती थी, लेकिन इन्होंने शादी अपने से दो गुना बड़े एक मशहूर एक्टर से की थी I खूबसूरत और कामयाब अदाकारा जिसने फिल्म इंडस्ट्री में अपने बेमिसाल अदाकारी से
झंडा गाड़ने वाली इस कामयाब अभिनेत्री की नानी दिल्ली में एक मशहूर कोठे की तवायफ थी, और इस अभिनेत्री के पिता ने ही उनकी मां को कोठे पर बेच दिया था I उनकी नानी और मां ने बहुत मुश्किल परिस्थितियों का सामना किया, और उन्हें बहुत रुसवाईयों से भी गुजरना पड़ा, और कैसे इस अभिनेत्री के मां ने उन बदनाम गलियों से निकाल कर पूरे समाज में इज्जत हासिल करके एक कामयाब अदाकारा बन कर इज्जतदार जिंदगी जी, और बाद में नसीम बानो की बेटी बनी फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर एक्टर ट्रेजेडी किंग की पत्नी I
साल 1930 में एक मशहूर अभिनेत्री थी, जिनका नाम नसीम बानो था, और नसीम बानो ने हिंदुस्तान आजाद होने से पहले 1930 में कुछ हिट फिल्मों में अभिनय किया, और एक सफल अभिनेत्री बनी I यहां तक पहुंचाने के लिए नसीम बानो को बहुत से कठिनाइयों का और मुश्किलों परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था, क्योंकि उनकी मां शमशाद बेगम उर्फ छमिया बाई एक मशहूर कोठे की तवायफ थी, दिल्ली में इनका खुद का अपना एक कोठा था, शमशाद बेगम का कोठा इतना बड़ा और मशहूर था कि वहां अंग्रेजी हुकूमत के बड़े-बड़े ऑफिसर और नवाब अपना दिल बहलाने के लिए आते थे I
1890 में एक तवायफ के कोठे में एक लड़की का जन्म होता है जिसका नाम था शमशाद बेगम, शमशाद बेगम की मां जुम्मन बाई उस कोठे की शान थी, जुम्मन बाई की उम्र जब 7 साल की थी तब उनके पिता ने ही उन्हें हसनपुर के एक कोठे पर बेच दिया था, क्योंकि उन्हें लड़कियों से नफरत थी, और वह बेटी को पालना नहीं चाहते थे I कोठे पर आने के बाद वहां का माहौल देखकर जुम्मन डर गई थी, और डर के मारे वह वहां से बार-बार भाग कर अपने घर जाने की कोशिश करती थी, यह देख उस कोठे की मालकिन ने जुम्मन को दिल्ली भेजती है, ताकि वह अपने घर ना जा सके I दिल्ली पहुंचने के बाद जुम्मन उस कोठे में कैद हो गई, अब ना तो यहां से भागने की कोशिश कर सकती थी, और ना ही भगाने का सोच सकती थी, और यहां से जुम्मन का जुम्मन बाई तवायफ वाली बनने का असली सफर शुरू हुआ I
जुम्मन बाई जब 13 साल की हुई तब ना चाहते हुए भी कोठे पर नाचना, गाना शुरू किया, और देखते ही देखते वह इतनी मशहूर हुई, कि दूर-दूर से लोग उसका नाच, गाना को देखने आने लगे I जब जुम्मन बाई की उम्र 18 साल की हुई, तब उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया, जो कि इस कोठे में काम करने वाले रतन सिंह की बेटी थी, उस बच्ची का नाम शमशाद रखा गया I शमशाद दिखने में बहुत ही खूबसूरत थी, और जब शमशाद 12, 13 साल की हुई तब वह भी अपनी मां की तरह इसी कोठे पर छमिया बाई के नाम से नाच, गाना करने लगी I छमिया बाई इस कदर खूबसूरत थी की दूर-दूर से नवाब, बड़े-बड़े लोग और अंग्रेजी ऑफिसर उनका नाच, गाना देखने आते थे, और इनकी खूबसूरती के बदौलत ही इनके कोठे पर दिन रात लोगों की भीड़ रहती थी I
हसनपुर के नवाब “अब्दुल वाहिद खान” यह सबसे रईस थे, और छमिया बाई के खूबसूरती के इस कदर दीवाने थे, कि वह कहने लगे कि आज से छमिया सिर्फ हमारी है और हमारे अलावा छमिया बाई किसी और के आगे नाच गाना नहीं करेगी I इसी बीच एक अंग्रेजी ऑफिसर और नवाब अब्दुल वाहिद खान के बीच छमिया बाई को लेकर बहस होने लगी, तब छमिया बाई की मां जुम्मन बाई ने अंग्रेजी ऑफिसर और वाहिद खान के सामने एक शर्त रखी, वह शर्त यह थी कि जो छमिया बाई की सबसे ऊंची बोली लगाएगा छमिया बाई उसकी होगी I अब आस पड़ोस के सारे नवाबों को और बड़े-बड़े लोगों को बुलाया गया, और कोठे में छमिया बाई की बोली लगाने के लिए में महफिल सजी, बोली की शुरुआत होती है, अंग्रेजी ऑफिसर और नवाब वाहिद खान एक दूसरे के आगे झुकने के लिए तैयार नहीं थे, और दोनों एक से ऊंची एक बोली लगारहे थे, और इस बहस को हसनपुर के नवाब अब्दुल वाहिद खान ने सबसे ऊंची बोली लगाकर जीत गए I
छमिया बाई को जीत कर नवाब वाहिद खान छमिया बाई को अपने गांव हसनपुर ले गए, और हसनपुर में छमिया को सबसे अलग एक बड़े से बंगले में रखा गया, और कई सालों तक छमिया बाई उस बंगले में नवाब की रखेल बनाकर रही I साल 1916 में छमिया बाई ने उसी बंगले में एक बच्ची को जन्म दिया, और उस बच्ची का नाम रोशन आरा बेगम रखा गया, और यह आगे चलकर नसीम बानो के नाम से अभिनेत्री बनी I रोशन आरा को बचपन से ही फिल्मों में बहुत दिलचस्पी थी, कई सालों बाद एक बार छमिया बाई अपनी बेटी के साथ मुंबई आई थी, तब उन्होंने अपने मां से ज़िद की थी कि उन्हें शूटिंग देखनी है, छमिया बाई रोशन आरा को शूटिंग दिखाने के लिए ले जाती है I
छमिया भाई जब अपने मां के साथ शूटिंग देखने गई थी, उस सेट पर डायरेक्टर “सौरभ मोदी” की नजर रोशन आर पर गई और वह उन्हें देखते ही एक फिल्म ऑफर करते हैं, उस वक्त रोशन आरा यह 11 वीं की पढ़ाई कर रही थी, और किसी तरह अपनी मां को राजी करके, अपने पढ़ाई बीच में रोक कर फिल्म करने के लिए मुंबई आती है I पहली फिल्म में उनकी एक्टिंग को देखकर उन्हें एक के बाद एक कई फिल्में ऑफर हुई, और कई हिट फिल्में इंडस्ट्री को दिए, फिल्मों में आने के बाद उनका नाम बेगम रोशन आरा से नसीम बानो रख दिया गया, और ईसी के साथ नसीम बानो को हिंदी सिनेमा में पहले कामयाब महिला अभिनेत्री का दर्जा भी मिला, और उन्हें “द फर्स्ट क्वीन ऑफ़ इंडियन सिनेमा” से भी पहचानने लगे I
उस प्रोडक्शन हाउस में नसीम बानो की मुलाकात “एहसान उल हक” से होती है, एहसान उल हक यह उस प्रोडक्शन हाउस में काम करते थे, और कुछ वक्त के बाद नसीम बानो एहसान उल हक से शादी करती है I एहसान उल हक से नसीम बानो को दो औलादे हुई, पहली बेटी सायरा बानो तो दूसरा बेटा सुल्तान I 23 अगस्त 1944 को उत्तराखंड के मसूरी में सायरा बानो पैदा हुई, और 3 साल के बाद हिंदुस्तान और पाकिस्तान अलग-अलग हुए, और इसी बीच सायरा के पति एहसान उल हक यह पाकिस्तान जाने का फैसला करते हैं, तब उन्होंने अपने पत्नी से साथ चलने को कहा तो नसीम बानो ने उन्हें सब शब्दों में मना करती हैं, कहती है की वह हिंदुस्तान छोड़कर नहीं जाएंगे, और एहसान उल हक अपनी पत्नी और बच्चों को हमेशा के लिए छोड़कर पाकिस्तान चले जाते हैं, और वही एक ऑस्ट्रेलियन लड़की से शादी करते हैं I
फिल्मों में काम कर नसीम बानो ने अच्छी खासी पैसे जमा कर चुकी थी, जिसके बलबूते पर वह अपने मां के साथ इज्जतदार जिंदगी जी रही थी, और अपने बच्चों की परवरिश भी अपने दम पर कर रही थी I नसीम बानो ने अपने दोनों बच्चों को पढ़ने के लिए लंदन भेजती हैं, जहां सायरा ने अपनी स्कूल की पढ़ाई लंदन से पूरी की, और वही कॉलेज में अपना एडमिशन ले लिया, सायरा ने उर्दू और फरशन भाषा भी सीखी, और बाद में हिंदुस्तान आकर कथक और भरतनाट्यम सीखा I सायरा छुट्टियों में हिंदुस्तान आती थी, और सायरा को हिंदी फिल्में देखना भी काफी पसंद था, क्योंकि यह इनकी मां का प्रोफेशनल काम भी था, और इसी के साथ सायरा को फिल्मों में काफी दिलचस्पी भी थी I
उस समय 50 और 60 के दशक में हिंदुस्तान में ट्रेजडी किंग दिलीप साहब काफी मशहूर थे, और हर तरफ उन्हीं के जलवे थे, और इसी वजह से सायरा बानो दिलीप साहब की बहुत बड़ी फैन थी, सायरा बानो अपनी मां नसीम बानो की तरह एक कामयाब अदाकारा बनना चाहती थी I नसीम बानो और दिलीप साहब ने कई फिल्मों में साथ में काम किया है, और इसी के चलते उन दोनों में काफी अच्छी दोस्ती भी हो गई थी, फिर बाद में यह दोनों मुंबई में एक दूसरे के पड़ोसी भी बने, पड़ोसी बनने के बाद इन दोनों का एक दूसरे के घर आना जाना शुरू हुआ I साल 1959 में सायरा बानो अपनी पढ़ाई खत्म करके हिंदुस्तान लौटती हैं, सायरा के हिंदुस्तान लौटने से पहले ही नसीम बानो ने अपनी बेटी को फिल्म में लॉन्च करने की पूरी तैयारी कर ली थी I
साल 1961 में सायरा बानो ने अपनी पहली फिल्म “जंगली” से फिल्मी करियर की शुरुआत की, जिसमें अभिनेता शम्मी कपूर के साथ वह लीड रोल में थी, और अपने पहले ही फिल्म से सायरा बानो रातों-रात स्टार बन गई, और उन्हें फिल्म जंगली के लिए बेस्ट एक्टर के कैटेगरी में फिल्म फेयर के लिए नॉमिनेट किया गया I फिल्म जंगली में सायरा बानो की अदाकारी उनके खूबसूरती और उनके नटखट अदाओं को देखकर एक के बाद एक फिल्मों की लाइन लग गई I
उस वक्त सायरा बानो ने बहुत सी फिल्में इत्तेफाक से राजेंद्र कुमार के साथ की, और इस जोड़ी को लोग काफी पसंद भी करने लगे थे, सायरा बानो और राजेंद्र कुमार साथ कई फिल्में की, “आई मिलन की बेला”, “अमन”, “झुक गया आसमान” जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल है I शूटिंग के दौरान इन दोनों में प्यार हो गया, और यह दोनों शूटिंग के बाद भी काफी वक्त साथ में बिताया करते, पहले तो राजेंद्र कुमार इस बात को लोगों से छुपा कर रखना चाहते थे, पर ऐसा हो ना सका I राजेंद्र कुमार पहले से ही शादीशुदा थे और उनके तीन बच्चे भी थे, और उनकी पत्नी शुक्ला एक ग्रहणी थी और वह बहुत ही शांत स्वभाव की थी I
राजेंद्र कुमार शादी शुदा है और तीन बच्चों के पिता है, इस बात से सायरा बानो को कोई भी परेशानी नहीं थी, वह तो बस किसी भी हाल में राजेंद्र कुमार से शादी करना चाहती थी I सायरा बानो के प्यार में राजेंद्र कुमार इस कदर दीवाने हुए थे, कि उन्हें इस बात का भी होश नहीं था कि वह शादी शुदा और तीन बच्चों के पिता है, कुछ वक्त के बाद यह बात इतनी बड़ी की राजेंद्र कुमार की पत्नी को इस बात की खबर लगी, और उसके बाद राजेंद्र कुमार और उनकी पत्नी के बीच झगडे होना शुरू हुए I राजेंद्र कुमार फैसला करते हैं कि वह कुछ वक्त के लिए सायरा बानो से दूर रहेंगे, और उन्होंने किया भी ऐसा ही, लेकिन ऐसी हालत में सायरा बानो का नर्वस ब्रेक डाउन होना शुरू हो गया, वह बीमार हो गई और उनकी हालत बहुत खराब हो गई थी I
सायरा बानो की हालत को देखकर राजेंद्र कुमार खुद को रोक ना सके, और फिर से अपने प्यार से मिलना शुरू किया, और यह दोनों अब अपनी शादी की प्लानिंग करने लगते हैं I उस वक्त के मीडिया रिपोर्ट्स में और न्यूज़ में यह खबर आग की तरह फैलने लगी, की शादी शुदा होकर भी राजेंद्र कुमार सायरा बानो के साथ संबंध में है, इन सब कंट्रोवर्सी के बीच भी सायरा बानो और राजेंद्र कुमार एक साथ फिल्में करना जारी रखते हैं I राजेंद्र कुमार और सायरा बानो के इस रिश्ते को लेकर राजेंद्र कुमार की पत्नी परेशान थी, और साथ ही साथ सायरा बानो की मां नसीम बानो भी बहुत ज्यादा परेशान थी, और अपनी बेटी के ऐसी हरकत से वह बहुत शर्मिंदा और नाराज भी थी I सायरा बानो जानती थी कि इस रिश्ते का कोई भी मुस्तकबिल नहीं है, क्योंकि राजेंद्र कुमार हिंदू थे और वह शादी शुदा तीन बच्चों के पिता थे I
नसीम बानो ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की अपनी बेटी को समझने की, पर सायरा बानो उनकी बात को समझना ही नहीं चाहती थी, और जब बात हद से ज्यादा आगे बढ़ने लगी, तब नसीम बानो ने अपने दोस्त यानी अभिनेता दिलीप साहब की मदद ली और उनसे कहा कि वह सायरा बानो को समझाएं I साल 1966 में सायरा बानो के जन्मदिन पर बहुत बडी शानदार पार्टी रखी गई, 23 अगस्त 1966 को सायरा बानो का जन्मदिन था, इस पार्टी में फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए सभी लोगों को इनवाइट किया था, जिन में दिलीप साहब को भी बुलाया गया था, पर वह किसी काम के वजह से आ नहीं पाए थे I
अपने जन्मदिन के मौके पर सायरा बानो बहुत खुश थी, उन्हें लग रहा था कि इस मौके पर राजेंद्र कुमार उन्हें कोई खास तोहफा देंगे, और अपने जन्मदिन के इस मौके पर वह राजेंद्र कुमार को उनकी पत्नी को तलाक देने को कहेंगे, और उनसे शादी करने के लिए राजी करेंगी I लेकिन उस पार्टी में कुछ ऐसा हुआ कि सायरा बानो दंग रह गई, उस पार्टी में राजेंद्र कुमार भी इनवाइटेड थे, पर वह उस पार्टी में अकेले नहीं आए थे, वह अपनी पत्नी शुक्ल के साथ पहुंचे थे, यकीनन इस पार्टी में आने के लिए राजेंद्र कुमार के पत्नी ने बहस की होगी और मजबूरन उन्हें साथ में लेकर आए होंगे I राजेंद्र कुमार को उनके पत्नी के साथ देख सायरा बानो आग बबूला हो गई, और पार्टी में बहुत अजीब बर्ताव करने लगी, यह देख राजेंद्र कुमार अपनी पत्नी को लेकर वहां से जल्दी चले जाते हैं, पार्टी में यह सब होता देख नसीम बानो दिलीप साहब को फोन करके उन्हें फॉरेन आने को कहते हैं I
दिलीप साहब नसीम बानो की बात को मान कर पार्टी में आते हैं, पार्टी खत्म होने के बाद सब मेहमान चले गए थे, लेकिन दिलीप साहब अभी वहीं पर थे, और एक कमरे में बैठकर दिलीप साहब और नसीम बानो सायरा बानो को समझने की कोशिश करते हैं, उन तीनों की बातचीत काफी देर तक होती रही I पार्टी के दूसरे दिन दिलीप साहब सायरा बानो को अपने साथ बाहर घूमने ले जाते हैं, क्योंकि वह गुस्से में थी और उनका मूड बहुत खराब था, बाहर जाने के बाद जैसे ही सायरा बानो का मूड ठीक हुआ, तब दिलीप साहब ने सायरा बानो के सामने कुछ बातें कहीं, दिलीप साहब कहने लगे कि तुम खूबसूरत हो, एक कुंवारी कामयाब अभिनेत्री हो, तुम्हारा करियर आसमान छू रहा है, फिर क्यों तुम एक शादी शुदा मर्द के पीछे पड़ी हो, तुम्हें तो राजेंद्र कुमार से लाख गुना अच्छा और परफेक्ट हमसफर मिल जाएगा I
दिलीप साहब की बातें सुन सायरा बानो ने झट से कहा क्या आप मुझसे शादी करेंगे, क्या आप बनेंगे मेरे परफेक्ट हमसफर, क्योंकि अभी तक दिलीप साहब ने शादी नहीं की थी, और वह कुंवारे ही थे I दिलीप साहब खामोश हो गए और उनसे कुछ कहे बिना ही वहां से चले गए, सायरा बानो का पूछा हुआ यह सवाल दिलीप साहब ने बहुत गंभीरता से ले लिया, और जब इसके बारे में नसीम बानो को पता चला तो वह भी दिलीप साहब से यही कह रही थी, अब आपकी भी शादी की उम्र हो चुकी है, और आपको शादी कर लेनी चाहिए, और मुझे लगता है कि आप मेरी बेटी के लिए एकदम सही है, और एक अच्छे शोहर साबित होंगे I आप ही मेरे बेटी की बिगड़ी हुई जिंदगी को बचा सकते हैं, और एक तरफ से सायरा आपकी बहुत बड़ी फैन भी है I
नसीम बानो की बातें सुन दिलीप साहब इस रिश्ते के लिए मान जाते हैं, और सायरा बानो तो पहले से ही राजेंद्र कुमार पर गुस्सा थी, और इस गुस्से में उन्होंने भी शादी के लिए हां कहीं, इसके बाद नसीम बानो नहीं दिलीप साहब और सायरा बानो के मंगनी की बात मीडिया में बताइए I सायरा बानो के जन्मदिन के बाद 2 महीने के अंदर ही 2 अक्टूबर 1966 को सायरा बानो और दिलीप साहब की मंगनी हुई, अपने टूटे हुए दिल को समझा कर सायरा बानो ने इस रिश्ते को अपना लिया I इसी महीने मैं 11अक्टूबर 1966 को दिलीप साहब ने सायरा बानो के साथ निकाह किया, निकाह के वक्त सायरा बानो की उम्र 22 साल और दिलीप साहब की उम्र 44 साल थी, इस शादी को लेकर उस वक्त मीडिया में बहुत खबरें चली, और इस शादी में फिल्म इंडस्ट्री के सभी सितारे, डायरेक्टर्स, प्रोड्यूसर्स सारे लोग आए थे, और बहुत ही धूमधाम से यह शादी हुई थी I
बड़ी धूमधाम से और शान, शौकत से सायरा बानो दिलीप साहब की बेगम बनकर उनके जिंदगी में आई, शादी के बाद भी सायरा बानो बड़े लगन से और शिद्दत से फिल्में करती रही, और अपने वक्त की सबसे कामयाब अभिनेत्री बनी, और उस वक्त सबसे महंगी फीस लेने वाली तीसरे नंबर की अभिनेत्री थी I शादी के 14 साल तक दिलीप साहब और सायरा बानो बहुत ही प्यार मोहब्बत से एक दूसरे के साथ अपनी जिंदगी गुजर रहे थे, और दोनों मियां बीवी अपने काम में भी कामयाबी हासिल कर रहे थे I इसी बीच दिलीप साहब और सायरा बानो के जिंदगी में एक मोड़ आया, शादी के कई साल बाद भी सायरा बानो की गोद सूनी ही थी, पर 1972 में सायरा बानो प्रेग्नेंट थी, लेकिन उनका ब्लड प्रेशर काफी हाई था, इस वजह से उनका गर्भपात { मिसकैरेज } हो गया, और उन्हें अपना बच्चा खोना पड़ा, और इस हादसे के बाद फिर कभी सायरा बानो मां नहीं बन पाई I
सायरा बानो मां नहीं बन सकती यह बात दिलीप साहब के परिवार वालों को नागवार गुजरी थी, सायरा बानो के साथ हुए हादसे के बाद दिलीप साहब के भाई-बहन और पूरा परिवार सायरा से बहुत नाराज था I कुछ वक्त के बाद दिलीप साहब अपनी बहन के साथ 1980 में एक क्रिकेट मैच देखने हैदराबाद गए थे, वहां पर उनकी बहन ने उनकी मुलाकात अपनी सहेली आसमा रहमान से करती हैं, आसमा रहमान यह बहुत ही खूबसूरत और हैदराबाद की एक जानी मानी समाज सेविका थी, आसमा रहमान यह शादी शुदा थी और उनके तीन बच्चे थे, उन्होंने अपने शोहर से तलाक लेकर उससे अलग हो गई थी I दिलीप साहब की बहनों ने आसमा और उन्हें एक करने में कोई कसर नहीं छोड़ी वह हर तरह से कोशिश करती थी कि इन दोनों की बात बन जाए, और हुआ भी ऐसा ही I
साल 1981 में दिलीप साहब ने आसमा रहमान से निकाह किया, लेकिन दिलीप साहब ने इस बात को अपनी बीवी सायरा और मीडिया में आसमा के साथ अपने रिश्ते को कबूल करने से घबरा रहे थे, लेकिन एक मैगजीन रिपोर्टर को इस बात का पता चल गया, और उसने इस चोरी छुपे किए गए निकाह की खबर को अपने मैगजीन में छाप दिया, और इस खबर के साथ एक फोटो भी छाप दी I यह खबर मीडिया में और बॉलीवुड में आग की तरह तरह फैलने लगी, जब यह खबर बाहर आए तब दिलीप साहब से लोग सवाल पूछने लगे, पर दिलीप साहब ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी और किसी की भी सवाल का कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन वह उस फोटो को इनकार नहीं कर पाए I
मीडिया में जब इस बात का पता चला, और लोग तरह-तरह के सवाल पूछने लगे, तो अब दिलीप साहब ने सायरा बानो का साथ छोड़ आसमा रहमान के साथ जाकर रहने लगे, इस बात पर सायरा बानो ने दिलीप साहब से अपने सारे रिश्ते तोड़ दिए थे, और उनसे कहा था कि दिलीप साहब अब सायरा बानो से किसी भी तरह की समझौते की कोई उम्मीद ना रखें I इस खबर से बॉलीवुड में बहुत हंगामा और बहुत बवाल मच गया था, उस वक्त के अभिनेता प्राणनाथ की पत्नी शुक्ला और डायरेक्टर बी आर चोपड़ा की पत्नी प्रकाश चोपड़ा यह सायरा बानो के साथ आई, और राष्ट्रवादी कांग्रेस के राजनीतिक नेता शरद पवार भी मैदान में आ गए, दिलीप साहब के दोस्तों ने भी उन पर दबाव डालना शुरू किया I
दिलीप साहब अब बुरी तरह से फंस गए थे, डेढ़ साल तक आसमा रहमान के साथ निकाह में रहने के बाद जब सब तरफ से उनके ऊपर दबाव बढ़ने लगा, तब जाकर दिलीप साहब ने आसमा रहमान को तलाक देकर सायरा बानो के पास लौट आते हैं I वापस लौट कर दिलीप साहब जब सायरा बानो के पास पहुंचे अपनी गलती के माफी मांगने, तब सायरा बानो ने दिल बड़ा करके उन्हें माफ किया, और फिर से दिलीप साहब और सायरा बानो एक साथ रहने लगे I दिलीप साहब ने लोगों में उनकी इमेज बनाए रखने के लिए, दूसरी बीवी आसमा रहमान को तलाक देकर अपनी पहली बीवी सायरा बानो के पास जाने का फैसला करते हैं I लेकिन सच्चाई क्या थी यह किसी को नहीं पता, लेकिन इस मामले के बीच कुछ रिश्ते उलझ गए थे , और इस सब के बीच सायरा बानो ने बहुत कुछ बर्दाश्त किया था I
सायरा बानो के पास लौटने के कुछ सालों के बाद दिलीप साहब ने अपने दूसरे शादी पर अपनी चुप्पी तोड़ी थी, दिलीप साहब ने अपने आत्मकथा के जरिए से उन्होंने इस बात का खुलासा किया था, कि आसमा रहमान से उनकी दूसरी शादी करना एक बहुत बड़ी गलती थी ऐसा माना था I वक्त के साथ-साथ सायरा बानो और दिलीप साहब के बीच के गिले शिकवे भी दूर हो गए, हर जगह हर इवेंट में सायरा बानो और दिलीप साहब साथ में दिखाई देते थे, जैसे कि सायरा बानो सबको यह बताना चाहती थी, कि अपने हमसफरकि गलतियों को माफ करके उस पर यकीन करने को ही मोहब्बत कहते हैं I दिलीप साहब के इस गलती के बाद भी सायरा बानो ने उन्हें माफ़ करके हमेशा उनके सुख दुख में और उनके आखिरी वक्त तक प्यार मोहब्बत से उनके साथ रही I
7 जुलाई 2021 को बढ़ती उम्र के संबंधित बीमारियों के चलते 98 साल की उम्र में दिलीप साहब का इंतकाल हुआ, दिलीप साहब के इंतकाल के बाद सायरा बानो अकेली रह गई, कई इवेंट में उन्हें देखा गया और उनके चेहरे से यह साफ दिखाई देता है कि वह अपने हमसफर को बहुत याद करती है, सायरा बानो अब वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन फॉर रिलीफ और केयर सर्विसेज के लिए काम करती हैं, और वह खुद को सामाजिक कार्यों में बिजी रखती हैं I
यह था दोस्तों एक कोठे वाली नानी कि नातिन का फिल्मों में अपने करियर की शुरुआत से लेकर ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार साहब के साथ निकाह तक कि सायरा बानो के जीवन का परिचय