. लक्ष्मी और अर्जुन का रिश्ता घर के बड़ो ने तय किया था, लक्ष्मी अर्जुन के सोच, विचार, और खयालो से अजान थी, लक्ष्मी एक संस्कारी और अपने घर को, और रिश्तो को जुड कर रखना वाली लड़की थी I शादी का दिन आया शादी और सारी रस्मे अच्छे से हो गई, उस दिन लक्ष्मी का जन्म दिन था, सेलिब्रेट करने के लिए अर्जुन केक ले कर आया था, और उसने लक्ष्मी को डायमंड का ब्रेसलेट गिफ्ट किया, और एक बड़ा सा बुके भी दिया I ये सब देख लक्ष्मी बहोत खुश हो गई, अर्जुन कहता है, चलो अब केक काटते है लक्ष्मी कहती है माँ जी काहा है ? उन्हें भी बुलाइये ना उन्हे भी अच्छा लगेगा, और सुबह से वह भी काम में लगी है पता नहीं उन्होंने खाना खाया भी है या ? नही I
अर्जुन कहता है, माँ ने खाना खा लिया होगा, “छोडो उन्हें आओ हम साथ मे केक कटिंग करते है”, लक्ष्मी कहती है मैंने तो माँ जी को खाना खाते हुए नहीं देखा, किसी को भेजकर माँ जी को बुलवाइये ना, तब अर्जुन कहता है तुम क्या ये माँ जी, माँ जी कि रट लगाये बैठी हो, जब उन्हे भुख लेगेगी तो वो खुद खा लेगी। लक्ष्मी कहती है एक बार पूछने में क्या हर्ज है, अर्जुन कहता है अब तुम मुझे गुस्सा दिला रही हो, ” मैंने तुम्हे जन्म दिन पर तुम्हे इतना मेहंगा गिफ्ट दिया”, तुम्हारे लिए केक लेकर आया और तुम मेरी बात माने की बजाय मुझसे बहस कर रही हो। लक्ष्मी कहती है मैंने ऐसा भी क्या कहा कि आप इतना गुस्सा कर रहे हो, अर्जुन कहता है देखो अब मुझसे ज़ुबान भी लड़ा रही हो, ये नही कि पत्ती गुस्से मे है देख कर खामोश हो जाये, इस के बजाय तुम तो मुझसे उल्टा सवाल कर रही हो l
अर्जुन का ये रूप देख कर लक्ष्मी हैरान हो जाती है, और कहती है जिस माँ ने आपको 9 महिनी पेट मे रखा, आपके जन्म के बाद उन्होने अपनी पूरी जिन्दगी आप पर नौछावर करदी आपको छोटे से बड़ा किया, आपकी हर छोटी, बड़ी गलती माफ कर के आपके खुशी के बारे मे सोचा क्या ? आपका उन्हके प्रति कोई कर्तव्य नही है, माँ आपने खाना खाया क्या ? इतना पूछना तक जरूरी नही समझते, अगर कभी आप बिना खाये काम पर गये होगे, तो दिन मे दस बार माँ सोचतीं होंगी कि मेरे बच्चे ने खाना खाया भी होगा या नही । में ऐसे आदमी के साथ अपनी जिन्दगी नही गुजार सकती, जिसे अपनी माँ कि कद्र ना हो। मैं आपके साथ नही रहना चाहती, मुझे आपसे तलाक चाहिए, शादी कि रात ही लक्ष्मी अर्जुन से तलाक लेकर अलग हो जाती है I
कुछ समय के बाद दोनों ने दुसरी शादी कर ली, अब दोनो अपने अपने विवाहित जिवन मे सुखी थे, लक्ष्मी को एक बेटा होता हैं, वो बड़ा ही समझदार और सुशील था, अपने माँ कि कही हुए हर बात मानता था, अपनी माँ कि और बडो कि बहोत इज्जत करता था। एक तरफ अर्जुन को भी दो बेटे होते है, और दोनो हि अपने बाप कि तराह गुस्से वाले थे। जिन्हें अपने माँ-बाप तक कि कद्र नही थी, ऐसे ही बहुत साल बीतते है I एक दिन लक्ष्मी अपने बेटे के साथ उसके दोस्त कि शादी में गई थी। शादी मे पहुचने के बाद लक्ष्मी का बेटा अपनी माँ को बैठने के लिए खुर्सी, और पिने के लिए एक बोटल पानी लाकर देता है, कहता है माँ आप यहाँ पर बैठीये मैं अपने दोस्त से मिल कर आता हु, फिर बाद में हम दोनो साथ मे खाना खायेगा, इतना कह कर वो अपने दोस्त से मिलने जाता है।
लक्ष्मी के पास ही कुछ औरते भी बैठी थी, वो उन्हसे बात करती है, बात करते-करते लक्ष्मी की नजर गेट के बाहर साईड मे खड़े हुए वृद्ध आदमी पर जाती है, उसके कपड़े जगह जगह से फटे हुए थे, देखने में वो बहुत कमजोर और बिमार लग रहा था, जैसे कि उसने कई दिनो से खाना नहीं खाया हो । इतने में लक्ष्मी का बेटा आता है और कहता है, चलिए माँ अब हम खाना खाते हैं, लेकिन उस आदमी को देख कर लक्ष्मी को उस पर दया आती है, और अपने बेटे से कहती है । बेटा तुम मेरी हर बात मानते हो, आज भी एक बात मानो, और इसके बाद मैं तुमसे कुछ नही कहूँगी, बेटा कहता है कि माँ कहिये ना क्या ? बात है, लक्ष्मी कहती है वो देखो उस वृद्ध आदमी को देख कर तो मेरी भूख ही मीट गईं, तुम जाकर उसे नये कपडे पहना कर तयार कर के अंदर ले कर आओ I ताकि वो भी पेट भर खाना खा सके।
बेटे ने हमेशा कि तरह माँ कि बात मानत हुए जाकर नये कपडे लेकर उस वृद्ध आदमी का पहना कर तैयार कर अपने साथ अपने माँ के पास लेकर आता है। उसे देखते ही लक्ष्मी के पैरो तले से जमिन खिसक जाती है, क्यूंकि वो वृद्ध आदमी कोई और नही बल्कि अर्जुन ही था, जिससे उसने सुहागरात पर तलाक लिया था। लक्ष्मी ने अर्जुन से पूछा कि तुम इस हालत मे यहाँ क्या कर रहे हो ? और तुमने अपनी ये क्या हालात बना ली है, इस बात पर अर्जुन कहता है मुझे मेरे बेटो ने घर से निकाला, मेरे बेटे मुझसे कभी ये नही पूछते कि मैंने खाना खाया भी है या नही वो मेरा हर बात बात पर अपमान करते थे, उन्हें मैं बोझ लगने लग था, इसलिए मुझे घर से निकाल दिये I
लक्ष्मी कहती है कि जिस तरह तुमने उस रात अपने माँ के बारे मे मुझसे बहेस कि थी, मैंने कई बार कहा कि माँ जी को बुलवाइये पर आप ने मेरी एक नहीं सुनी, उसी का फल आप आज भोग रहे हैं। अगर उस समय आपने माँ जी की इज्जत और कद्र की होती तो, आज आप को ये दिन ना देखना पड़ता I मै तो तभी समझ गई थी, इस जहाँ मे जिसने हमे लाया, अगर हम उसकी कद्र करेंगे तो सारा जहाँ हमारे कदमो मे होगा, और लोग हमारी इज्जत करेगें, अगर हम हमे पैदा करने वाली माँ की इज्जत नही करेगें, उसका अपमान करेगे तो दुनिया तो क्या? हमारे खुद की औलाद भी हमारी इज्जत नही करेगी I
जैसा सुलूक हम अपने माँ बाप और घर के बड़ों के साथ करते हैं, वहीं देख कर बच्चे आगे चलकर हमारे साथ भी वहीं सुलूक करते हैं। याद रखना जिस तरह माँ बाप हम से प्यार करते हैं, हमें भी उनसे वैसा ही प्यार करना चाहिए, और हमारा आने वाला कल, हमारे आज के व्यवहार पर निर्भर है…