हर पत्नी का हक्क होता है, अपने हिस्से का मान सम्मान पाना…

हर पत्नी का हक्क होता है, अपने हिस्से का मान सम्मान पाना… मेरी फाईल कहां रख दिया तुमने मिल नहीं रही कब से ढूढ़ रहा हूँ, नाराज़ मयंक की तेज आवाज़ बाहर बैठक तक आ रही थी, सास ससुर को चाय दे रही प्रीति भाग कर कमरे में गई, देखा तो पूरी अलमारी पलट बिस्तर पर फ़ैली हुई थीं I मयंक जी आप क्या ढूंढ़ रहें हैं ? प्रीति ने पूछा, बेवकूफ़ औरत कब से आवाज लगा रहा हूँ अब आ रही हो  मेरी लाल रंग की फाईल कहां रख दी तुमने गुस्से में लाल हुए मयंक ने अपनी पत्नी पर चिल्लाते हुए कहने लगा, मयंक जी आप ने मुझे फाईल कब दी, आश्चर्य से प्रीति ने बोला और ये क्या हालत बना दी कमरे की आपने ? मुझसे बहस मत करो फाईल नहीं मिली तो ये सब बाहर फेंक दूँगा I एक मिनिट रुकिए मैं ढूँढ़ती हूँ, इधर-उधर प्रीति ने नजर घुमाया और बेड के पास ही फाईलो में दबी लाल रंग फाईल मिल गईं, प्रीति के हाथ से गुस्से में फाईल छिन मयंक बिना नाश्ता किये ऑफिस चला गया I 

  दुःखी प्रीति ने भी सास ससुर को नाश्ता देकर रसोई समेट दी, प्रीति और मयंक के शादी को कुछ ही समय हो गया था, हर तरह से संपन्न ससुराल देख प्रीति के पापा ने अपनी लाडली की शादी की थी I मयंक घर का इकलौता बेटा था, एक बड़ी नणंद थी जिनकी शादी हो चुकी थी I ससुर जी भी नौकरी से रिटायर हो चुके थे, किसी बात की कोई कमी नहीं थी I लेकिन फिर भी प्रीति खुश नहीं थी, कारण मयंक का व्यवहार था, जब मूड ठीक होता तो बहुत प्यार से पेश आता और जब मन मुताबिक कुछ ना हो, गुस्सा सातवे आसमान पर होता, और जो जी मे आता बोल देता प्रीति को I 

  सास ससुर कान में रुई डाल बैठे रहते, एक दो बार प्रीति ने सास से कहा भी तो उल्टा सास ने प्रीति को ही सुनाया I मर्द तो ऐसे ही होते हैं, तुम मोक्का ही क्यूँ देती हो ? शांत स्वभाव प्रीति घरका माहौल खराब ना हो यह चुप बैठ जाती I दोपहर के वक्त बिस्तर पे लेट सुबह के घटना के बारे में सोच रहीं थीं, की फोन की घंटी बजी बेमन से देखा तो नैना का नंबर था I आज अपनी प्यारी सहेली का नंबर देख कर भी प्रीति के चेहरे पर ख़ुशी नहीं होई, और ना ही फोन उठाने की इच्छा हुई, थोड़ी देर बाद नैना का फोन आया तो प्रीति ने ये सोच कर फोन उठाया कि कोई जरूरी काम तो नहीं दूसरी तरफ हमेशा की तरफ खुश मिजाज़ नैना थी, कैसी है प्रीति ? ठीक हुँ नैना तु बता कैसी है ? I

  चल तयार हो जा काल आ रही हूँ तेरे घर एक रात रुकुगी एक कामके सिलसिले से तेरे शहर आ रही हूं, चल कल मिलती हूँ, और नैना ने फोन रख दिया I प्रीति को कुछ कहने का या माना करने का मौका ही नहीं मिला, शाम को मयंक जब घर आये तो गर्मा गरम जलेबी और समोसे ले कर आये, मयंक के हाथ में समोसे और जलेबी का पैकेट देख प्रीति समझ गईं, की आज मूड ठीक हैं I चाय नाश्ते के बाद प्रीति ने नैना की आने की बात घर में सब को बताई मूड अच्छा था तो मयंक भी प्रीति की सहेली के आने की खबर सुन खुश हो गये I अरे ये तो अच्छी बात है, आने दो और तुम भी तयारी कर लो अखिर पहली बार तुम्हारे मायके से कोई आ रहा है I 

   मयंक की बात सुन प्रीति को थोड़ी तसल्ली होई, और खुशी-खुशी अपने सहेली के आने का इन्तज़ार करने लगी I अगले दिन नैना घर आ गई, चूलबुली और बातूनी नैना ने पल भर में ही प्रीति के सास ससुर से घुल मिल गईं I जब मयंक आये तो वो भी बहुत सलीके से मिले नैना से, प्रीति भी बहुत खुश थी रात के खाने की सारी तयारी प्रीति ने कर ली, और टेबल पर खाना लगा दिया और सब को परोसने लगी, इतने में सब्जी के चम्मच से थोड़ी सब्जी मयंक के हाथ पर गिर गई I तमीज नहीं है खाना परोसने भी नहीं आता, हाथ जला दिया मेरा, मयंक ने प्रीति को घूरते होए तेज आवाज़ में कहां तो, प्रीति बहुत शर्मिंदा हो गईं, प्रीति तो आपकी सहेली काही से लगतीं नहीं नैना जी I 

  आप इतनी स्मार्ट और आधुनिक और प्रीति को देखिए ढंग से खाना भी परोसने नहीं आता ? मयंक का व्यवहार देख नैना दंग रह गईं, वहीं सहेली के आगे अपमानित हो प्रीति की आँख झलक उठीं I मयंक को कुछ जवाब दिये बिना नैना ने बेमन से अपना खाना खत्म किया और थकान का बहाना कर कमरे में चली गई I रात को सोते समय प्रीति कमरे में पानी रखने आयी तो, नैना ने उसे गले लगा लिया I सहेली के गले लग प्रीति टूट गई और बिलख-बिलख कर रोने लगी I 

   तू क्यों इतना बर्दाश्त कर रही हैं प्रीति ? पढ़ी लिखी हो गलत का जवाब दो और अपने हक्क और आत्म सम्मान के लिए खुद लड़ना सिखों, प्रीति कहने लगी की कहना आसान है नैना करना उतना ही मुश्किल I कुछ मुश्किल नहीं हैं  प्रीति बस हिम्मत चाहिए सही को सही, और गलत को गलत बोलने की, बिना कुछ जवाब दिये प्रीति वापस चली आयी I सुबह नैना को भी जल्दी निकलना था, नाश्ते के टेबल पर सब बैठे थे, और अकेली प्रीति आलू के पराठे बनाने में बिजी थी, नैना ने मदत करनी चाही तो सासु माँ ने ये कह के रोक दिया कि, चार लोग के पराठे भी अकेली सेक नहीं सकतीं क्या ? अरे हाथ जल्दी चलाऔगी या सो गए रसोई में ? भूल तो नहीं गईं, नैना जी की ट्रेन भी है कभी तो फुर्ती दिखा दिया करो मयंक ने ऊँची आवाज़ में कहां I 

   अपनी सहेली को यू अपमानित होता देख, नैना की सहनशक्ती जवाब दे गईं, वो भूल गई कि वो अपने सहेली के ससुराल में हैं, ये कैसे बात कर रहे आप सब प्रीति से ? कैसे लोग हो आप ? और मयंक जी क्या आप को इतनी भी समझ नहीं की प्रीति आप की पत्नी है, कोई नौकरानी नहीं, मैं कहतीं हूं ऐसे तो कोई नौकरानी से भी बात नहीं करता I जब मेरे सामने आप ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, तो मेरे पीछे क्या करते होंगे ? चुप हो जा नैना गुस्सा हुई नैना को प्रीति चुप कराने लगी, मैं क्यों चुप राहो प्रीति ? कैसी सहेली है बहु तुम्हारी जिसे छोटे बड़ों की जरा भी कदर नहीं, बड़ों के आगे कैसे जुबान लड़ा रही है, जरा भी तमीज और संस्कार नहीं है, गुस्से में प्रीति की सास कहने लगी I 

   बहु अपनी सहेली को समझा दो वो सिर्फ मेहमान हैं, और मेहमान दूसरों के घरों के मामलें में नहीं बोलते, नैना की बातों से बौखलाए सासु माँ ने प्रीति को डांटना शुरु किया I तमीज और संस्कार मुझमें हैं, तभी काल से चुप हूँ आंटी अगर तमीज ही सीखानी हैं तो आप मुझे नहीं अपने बेटे को ही सिखाये, जिसे इतनी भी समझ नहीं की अपने पत्नी के साथ कैसा बर्ताव किया जाता है, और आप लोग सुन ले, खास कर मयंक जी आप, प्रीति आप की पत्नी हैं उसे उसके हिस्से का मन सम्मान तो आप को देना ही होगा I वर्ना मैं एक सामाज सेविका हूँ, और घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए ही काम करती हूं, आगे आप खुद समझदार है कि मैं क्या कर सकतीं हूँ,और क्या नहीं I 

   प्रीति तुम पढ़ी लिखी आजाद ख्यालों की मॉडर्न लडकी हो इस तरह हर वक़्त ससुराल वालों और पति के ताने सुनाती कब तक रहोगी I मॉडर्न सिर्फ कपडों और रहन-सहन से नहीं आजाद ख्याल और सोच से भी होना चाहिये I मयंक जी प्रीति आप की पत्नी हैं, और एक पत्नी का हक्क होता है, मान सम्मान पाना, पत्नी कोई पंचिंग बॅग नहीं की जब मन चाहा अपना गुस्सा और तनाव उस पर निकल दिया जाये l नैना की बात सुन मयंक बेहद्द शर्मिंदा हो उठा, अपनी गलती उसे साफ साफ दिख रही थीं I फिलहाल तो मैं जा रही हूं, खबरदार जो मेरे जाने के बाद किसी ने भी प्रीति को परेशान किया तो I नैना तो वापस अपने शहर चली गई, लेकिन जाते जाते मयंक को सच्चाई का आईना दिखा गईं, और साथ ही अपने सहेली के जीवन को खुशियो से भर गईं I

   दोस्तों अगर पति अपने पत्नी की इज्जत और प्यार करेगा, उसके सुख-दुख में साथ देना, और मान सम्मान देनाकी हर पति का कर्तव्य होता है I   

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