अतुल तीन साल बाद विदेश से अपने घर इंडिया वापस आ रहा था, घर के सभी लोग एयरपोर्ट पर मौजूद थे, उन लोगों में अतुल की दो साल की बेटी खुशी भी थी, अतुल कि आँखें अपनी पत्नी राधिका को ढूंढ रहीं थीं, लेकिन राधिका कहीं भी देखाई नहीं दी तो अतुल बैचेन हो गया I अतुल घर के सभी लोगों से मिल के खुशी को अपनी गोद में उठा लिया, लेकिन ख़ुशी ज़ोरों से रोने लगी, अतुल उसे मुझे दे दो अतुल की बड़ी बहन ने बोला अतुल ने अपनी बहन सुधा से पुछा की दीदी राधिका क्यूँ नहीं आए मुझे लेने ? और तुम्हारे साथ छोटी बच्ची को क्यूँ भेजा उसने, दीदी ने कहा कि अतुल तुम क्यूँ फ़िक्र कर रहें हो वो आज घर पर कुछ मेहमान आने वाले है ना तुमसे मिलने, तो घर पर काम थोड़ा ज्यादा हैं खाना वगैरा बनाना है, इसलिए वो आ नहीं पाई और वैसे भी उन्हें ज्यादा काम कहां होता है I अतुल दीदी की बात सुन के चुप हुआ I
एयरपोर्ट से घर एक घंटे के दूरी पर था, पूरे रास्ते अतुल खुशी के साथ खेल रहा था, खुशी भी अतुल के साथ बहुत अच्छे से खेल रहीं थीं I अतुल को खुशी को इस तरह खेलते देख बहुत अच्छा लगा, लेकिन वो थोड़ा सा नाराज़ था, क्यूँकी राधिका उसे लेने एयरपोर्ट पर नहीं आई, राधिका को मुझ से ज्यादा घर में रह कर खाना बनाना जरूरी लगा I ऐसे बहुत से सवाल अतुल के मन में आ रहे थे, अतुल घर पहुंच गया, गाड़ी कि आवाज़ सुनते ही राधिका दौडते हुए घर के बाहर आ गईं I राधिका को देखते ही भाग कर उसे गले मिलने को दिल चाहा, लेकिन मैंने ऐसा किया नहीं, मैंने उसे दूर से ही प्यार से मुस्करा कर देखा तो वो शर्माते हुए किचन में चली गई, और मेरे लिए पानी लाई, आज दिनभर घर में मेहमानों का आना जाना लगा था I
मेरे दोस्त भी मुझसे मिलने आये थे, मेरे आने से मेरे परिवार वाले बहुत खुश थे, लेकिन राधिका को किचन से बाहर आने की फुरसत ही नहीं मिली… वो कभी किसी को चाय देती तो, कभी किसी को खाना परोसने में लग जाती I शाम होते होते मेहमानों की गर्दी कम हो गईं, रात को घर के सभी लोग खाना खाने बैठ गये, फिर मैंने सोचा कि क्यों ना मैं राधिका के काम में कुछ मदद करू, मैं राधिका के पास मदद करने पहुँचा ही था, कि माँ ने आवाज़ लगाई, मैंने कहा हाँ माँ बस पांच मिनट राधिका से बात कर के आया I फिर माँ ने कहाँ राधिका को रहने दे तू पहले मेरे पास आजा ,वो अपना काम ख़त्म कर के आ जायेगी और वैसे भी उसे कहां रोज इतना काम होता है I
वो तो आज बहुत सारे मेहमान आए थे ना, इसलिए आज इतनी देर तक काम कर रही हैं, अतुल ये सुन हैरान हो गया, सुबह भी दीदी यहीं कह रहीं थीं, और अब माँ भी यहीं कह रहीं हैं, क्या सच में ? राधिका को घर में कुछ काम नहीं रहता I अतुल सोच में पड़ गया रात में सब लोग खाना खा के अपने अपने कमरे में सोने चलें गये, राधिका भी रसोई समेट कर कमरे में आ गए तब अतुल को राधिका से बात करने का मौका मिला, अतुल ने राधिका से पूछा कि तुम इतनी खामोश क्यु हो गई हो ? पहले तो तुम ऐसी नही थी, मैं जबसे आया हूँ तब से देख रहा हू तुम्हारे पास तो मुझसे भी बात करने का टाइम नही है। तुम्हे याद है जब हम ऑफिस मे रहते थे, तब तुम कितनी बाते किया करती थी, फिर मुझे ही तुम्हे चुप करना पडता था, शादी से पहले अतुल और राधिका की मुलाकत एक ऑफिस में हुई थी, दोनो ही उस ऑफिस में जॉब करते थे I
अतुल जब पहली बार राधिका से मिला था, तब से ही वो राधिका को पसन्द करने लगा था I उन्ह दोनों ने दो साल साथ मे काम किया, बाद में अतुल को विदेश जा कर काम करने का मौका मिला तब उसने पहले वाली जॉब छोड़ दी I विदेश जाकर भी अतुल राधिका को भुला नही था, उसे राधिका से ही शादी करनी थी, राधिका भी दिखने में खुबसुरत, और पढ़ी लिखी थी, इसलिये घर वालो को राजी करने में ज्यादा परेशानि नही हुई I राधिका अतुल से कुछ कहने ही वाली थी, की इतने मे खुशी उठकर रोने लगी, फिर राधिका खुशी को सुलाने लगी, कुछ देर बाद अतुल की भी आँख लग गई। सुब्हा खुशी के रोने की आवज सुनकर अतुल की नींद खुल गई, और उसने राधिका को आवज लगाई, खुशी रो रहीं हैं ,उसे आ कर लेलो… पर राधिका ने कोई जवाब नही दिया I
फिर अतुल खुद ही खुशी को गोद मे लेकर राधिका को ढूंढते हुए कमरे से बाहर आता है, राधिका अतुल को फिर से किचन मे नजर आती है, राधिका नाश्ता लेकर आ जल्दी माँ ने आवाज लगाई, माँ की आवज सुन कर अतुल कुछ देर खामोश खड़ा रहा, राधिका को छोडकर सब लोग नाश्ता करने बैठे थे I अतुल को देखते ही माँ ने आवज लगाई बेटा तू भी जल्दी से फ्रेश होकर आजा सब लोग नाश्ता करने के लिए बैठ रहे है, अतुल ने पूछा की माँ राधिका कहा हैं ? खुशी रो रही है, पिछे से दिदी ने आकर कहा की खुशी को मेरे पास दे दो तुम जाकर फ्रेश हो जाओ, मै इसे संभालती हूँ, अतुल ने देखा की आज भी किचन मे राधिका ही सारा काम कर रही थी, और घर के सभी लोग बैठ कर फरमाइश कर रहे थे, घर मे कम से कम दस से पंद्रह लोग थे।
सब नाश्ता करने मे बिझी थे अतुल सोचने लगा की माँ ने तो कहा था कि राधिका को तो कुछ भी काम नहीं रहता… फिर ये क्या हैं ? अतुल ने राधिका से कहा, की राधिका तुम्हारी और मेरी प्लेट बाहर लेकर आ ओ.. शायद अतुल का ये कहना घर मे किसी को पसंद नहीं आया, अतुल को भी घर के कुछ तौर तरीके पसंद नही थे। सुबह से लेकर श्याम तक राधिका को बस सब की फरमाइश पुरी करना यही काम था। अब अतुल को समझ मे आया की राधिका इतनी खामोश क्यूँ रहती है, अतुल के घर मे आने से राधिका में थोड़ा बदलाव हो रहा था, वर्ना अतुल के जाने के बाद तो उसे सांस लेने की भी फुरसत नही मिलती थी । अब उसे अतुल के साथ वक्त गुजाने मिल रहा था, अतुल भी उसे कई बार काम में मदत करता था I दुपहर के वक्त माँ ने फिर से राधिका को खाना बनाने के लिए कहा, क्युंकी अतुल की बड़ी बहन सुधा आए थी।
सुधा का ससुराल इसी शहर मे था, इस वज़ह से वो ससुराल से ज्यादा मायके में ही रहती थी, सुधा घर मे सब की लाडली थी और सब लोग उसे बहुत प्यार करते थे, और घर मे उसकी कही हुई हर बात सब लोग मानते थे। सुब्हा से ही राधिका के कमर में बहुत दर्द था, मेरे मना करने के बावजूद भी वो खाना बनाने लग जाती हैं, फिर अतुल सुधा के साथ बैठकर बाते करने लग जाता है, कुछ देर बाद राधिका ने किचन से आवाज लगाई अजी सुनते हो खाना टेबल पर लगाने मे मेरी मदत करेगें क्या ? हा अभी आया ऐसा कहते हुए अतुल किंचन में चला गया, अतुल का राधिका के काम मे मदत करना घर में किसी को अच्छा नही लगता, सब लोग मिल कर खाना खाते है खाने के बाद राधिका खुशी को लेकर अपने कमरे चली गई I
अतुल फिर से सुधा के साथ बैठकर बातें करने लग जाता है, सुधा कहती है अतुल मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है, तुम्हें तो पता हैं ना कि मैं तुम सब लोगों से कितना प्यार करती हूँ, मुझे तुम सब की कितनी फ्रिक है I मैं तो बस यही चाहती हूँ कि मेरे घरवाले हमेशा खुश रहें, अगर तुम मेरी बात मानोगे तो तुम हमेशा खुश और सुखी रहोगे फिर तुम्हारी मर्जी मैं तुम पर किसी भी तरह का दबाव नही डालूंगी, अतुल ने कहा बोलुना दिदी क्या बात है ? अब तक मैने तुम्हारी कोई भी बात नाही मानी ऐसा हुआ है क्या ? मुझे पता है तुम हर बात मेरे भालाई के लिए ही कहती हो, सुधा कहती है तुम अपनी बीवी की काम में मदत करो मैं तुम्हे मना नहीं करूंगी, पर तुम उसकी आदत मत बिगाडो अगर तुम हर बार काम में उसकी मदत करोगे तो बाद में तुम्हें ही भारी पड़ेगा, सुधा की ये बात अतुल के दिल पर लग जाती हैं I
हर रोज इसी तराह से गुजर रह था, कि राधिका हर रोज दिन भर काम में बिझी रहती कभी-कभी अतुल को लगता तो वो सिर्फ ‘खुशी को खाना खिला कर उसे संभालता उसे ज्यादा कुछ नहीं करता I अतुल की माँ नही चाहती थी, कि अतुल अब फिर से विदेश जाकर नौकरी करे इसलिये अतुल अब यहां रहकर खुद का ऑनलाइन कपड़े बेचने का काम शुरू करता है। अतुल का आनलाइन कपडों का बिझनेस अच्छा चाल रहा था, और घर बैठे अच्छे खासे पैसे कमा रहा था। इसी तरहा से कुछ साल और गुजर जाते है। अब अतुल की बेटी खुशी बडी हो गइ थी, अब वो दसवी मे पढ रही थी और इसके साथ एक और बेटा वो सातवीं मे पढ रहा था, बच्चों के पढाई का खर्चा और घर खर्च भी बढ़ गया था I
अतुल और राधिका ने दुसरे शहर मे शिफ्ट होने का फैसला करते है, दुसरे शहर मे आने के बाद राधिका भी एक अच्छे कम्पनी मे जाँब करने लगती है, और अतुल घर पर अपना आनलाइन काम कर रहा था, राधिका जाँब मे बिझी थी, और बच्चे अपनी पढाई मे, एक दिन ऑफिस से आते ही राधिका सो गई थी, क्युंकी वो आज कुछ ज्यादा ही थकी हुई नजर आ रही थी I उसके चेहरे पर एक उदासी सी नजर आती, और हर वक्त बीमार रहने लगी, उसने कई बार अतुल से कहा कि डॉ के पास ले चलो पर वो हर बार कुछ ना कुछ बहाना बना कर माना कर देता I
ऐसे ही एक दिन अतुल खुद बिमार हो गया उसकी तबीयत बहोत बिगड गई थी, और राधिक से अतुल की ऐसी हालत देखी नहीं गई, उसने तुरंत अतुल के घर वालो को बुलाकर उसे हॉस्पिटल ले गई, उसके घरवाले कुछ देर बाद देख कर चले गये, और राधिका अकेली ही अतुल की देखभाल करने लगी, और उसने दो दिन की आँफिस से छुट्टी भी ली थी।
ये सब देख अतुल का लगने लगा की मैंने राधिका के साथ बहोत गलत किया, पर उसे ऐसा कुछ वक्त तक ही लगा I फिर से वही भाग दौड वाला काम शुरु हुआ, अतुल को लगने लगा की राधिका ऑफिस से आते ही अपना पूरा काम अकेली ही करे, रात का खाना, घर के सारे काम, और बच्चो का होम वर्क दिखना, वह अकेले ही सब हैंडल करें I अगर कभी राधिका मदत करने को कहते तो वो आज मैं बहात थक गया हु, ऐसा कह कर टाल देता सुधा के कहे हुये बातो का असर अतुल पर अभी भी था I अब हर छोटी बड़ी बात पर अतुल और राधिका के बीच बहस होने लगती है, हर रोज दोनो किसी ना किसी बात झगडा करने लग जाते थे, और अतुल अब हर बात पर राधिका को ताने मारने लगता था I
एक दिन राधिका का आँफिस से फोन आया पर फोन पर वो नही थी, उसकी सहेली थी और उसने कहा की अचानक राधिका की तबीयत बहुत खराब हो गई थी, हमने उसे हाँस्पीटल में अँडमिट किया है, आप जल्दी से आ जाओ, घबराते हुए हड़बड़ी से अतुल हॉस्पिटल पहुंचा I उसके पहुंचने से पहले ही डॉ ने राधिका के कुछ टेस्ट किये तो पता चला कि राधिका का ब्लड कॅन्सर के सेकंड स्स्टेज पर हैं, ये सुन कर तो अतुल के पैरो तले से जमीन खिसक गई ।
वो अपने आप को बहोत कोसने लगा की मैने राधिका की बात क्यूँ नही मानी, उसने तो कई बार कहा मुझसे की डॉ के पास ले चलो और मैने उसकी एक नही सुनी, उस वक्त राधिका के साथ उसकी माँ, बच्चे, और अतुल ही थे अतुल के घरवालो ने आकर देखा और चले गये I अतुल ने राधिका का हाथ अपने हाथो मे लेकर कहता है कि राधिका मुझे माफ कर दो मैं बिना किसी वज़ह से हर रोज तुम से लडता रहा, और तुम बीमारी के हालत मे घर का पूरा काम करती रही, और मैने एक बार भी तुम्हें काम मे मदत नही की I
अतुल बहुत शर्मिन्दा होता है, वो अपने ही नजरो मे गिर चुका था और कहने लगा की इस बार मुझे दीदी की बात नहीं मानी चाहीये थी, मैने राधिका को हर बार गलत समझा, मुझे ऐसा नही करना चाहिए था I राधिका पहले हर वक्त हसते मुस्कुराते रहतीं थी, और वो अपनी जीन्दगी खुलकर जीया किरती थी, शादी के बाद तो वो पूरी तरह से बदल गई I शायद कही ना कहीं इसके जीम्मेदार मै और मेरे परिवार वाले थे, हमने कभी भी उसे अपना समझ के उसका सुख, दुख नही पूछा I राधिका तुम जल्दी से ठिक होकर घर आ जाओ तुम्हारे बिना तो मेरा घर और मेरी जीन्दगी दोनों खाली है I मुझे और हमारे बच्चो का तुम्हारी बहोत जरूरत है, तुमारे बिना में बच्चों को कैसे संभालूगा I घर का कोई भी काम मत करना, हम घर में काम करने के लिए काम वाली बाई रख लेगे, आराम करना है और बस जल्दी से ठीक हो जाओ I
20, 25 दिन के बाद राधिका घर वापस आ जाती हैं, राधिका के घर में आने के बाद अतुल उस का बहुत ख़याल रखने लगा, उन दोनों में जो अनबन थे वो दूर हो गए, और बच्चों के साथ हसी खुशी से रहने लगे I राधिका तुम सही कहतीं थी की औरते भी घर का काम करके थक जाती है, उन्हें भी आराम की जरूरत होती है, और एक ऐसे साथी की जो तुम्हरे कहे बगेर तुम्हारी हर बात समझ जाये I
दोस्तों मै तुम्हे इस कहानी से बस इतना बताना चाहती हु, की अपनी बीवी के साथ कुछ वक्त गुजारे, उसे सुख दुःख पूछना और उसके भावनाओ को समझना हर पति का कर्तव्य होता है I