जिनके अपने घर शीशे के हो, वह दूसरों पर पत्थर फेका नहीं करते जानी I ना तलवार की धार से, ना गोलियों के बौछार से, बदा डरता है तो सिर्फ परवर दिगार से” I चाल ढाल में शेरों जैसा रुबाब, रौबदार आवाज, और मदमस्त अंदाज, सख़्त मिज़ाज, बीते जमाने के लीजेंडरी स्टार अभिनेता “राजकुमार साहब” न सिर्फ उन्हें दमदार एक्टिंग के लिए जाना जाता था, बल्कि इंडस्ट्री का सबसे अकड़, मुफट, और बेबाक अभिनेता कहा जाता था I हम तो वह भंवर हैं, जिसमें समंदर के समंदर डूब जाते हैं, ऐसे शानदार डायलॉग डिलीवरी और अनोखे अंदाज के लिए मशहूर अभिनेता जिनके डायलॉग सुनने के लिए दर्शक सिनेमा हॉल तक खिंचे चले आते थे I आज हम बात करेंगे एक ऐसे शख्स की, जब वह सफेद जूते पहन, रूबीले अंदाज में फिल्मों में उनकी एंट्री होती थी, तब दर्शक वह वह कहने लगते और तालियों से पूरा सिनेमा हॉल गूंजता I फिल्म इंडस्ट्री में यह अभिनेता अपने तीखे तेवर, और हर किसी की बेइज्जती करने के लिए जाने जाते थे I
बॉम्बे पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर
अभिनेता राजकुमार जी का जन्म 8 अक्टूबर 1926 को लोरलाई पाकिस्तान {बलूचिस्तान} में एक कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ था, और उनका असली नाम कुलभूषण पंडित था, उनके पिता का नाम जगदीश्वर नाथ पंडित और माता का नाम धनराज रानी पंडित, उन्हें तीन भाई और चार बहने थी I यह वेल एजुकेटेड फैमिली से बिलॉन्ग करते थे, पढ़ने, लिखने का बहुत शौक था, हिंदी, इंग्लिश, उर्दू, पंजाबी, और कश्मीरी भाषा उन्हें आती थी I राजकुमार जी लोरलाई पाकिस्तान से साल 1940 में बॉम्बे आए थे, और वह फिल्मों में आने से पहले बॉम्बे पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर थे, उनके पुलिस स्टेशन में ज्यादातर फिल्मों से जुड़े लोगों का आना जाना था I
उन्हें एक्टिंग का इतना शौक नहीं था, और वह कभी भी एक्टर नहीं बनना चाहते थे I लेकिन उनकी हाइट और उनकी पर्सनैलिटी एक हीरो की जैसी थी, राजकुमार जी के दोस्त हमेशा उनसे कहते हैं कि तुम्हें फिल्मों में अपने किस्मत आजमानी चाहिए I लेकिन उन्होंने अपने दोस्तों के बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, उन्हें अनदेखा करते, लेकिन जब उनके दोस्त जिद पर अड़े, तब ना चाहते हुए भी उन्हें फोटो शूट करना पड़ा I फिर उनके दोस्तों ने उनकी तस्वीरों को डायरेक्ट “नजम नकवी” को दिखाई, राजकुमार जी की तस्वीर देखते ही डायरेक्ट “नजम नकवी” कहने लगे, अरे वह क्या पर्सनैलिटी है एकदम हीरो मटेरियल अब तक कहां थे I
लेकिन उन्हें अपने पहली फिल्म से
इसे मेरी मुलाकात करना अपने दोस्तों के साथ राजकुमार जी डायरेक्टर से मुलाकात करते हैं, राजकुमार जी से मिलने के बाद डायरेक्टर “नजम नकवी” ने उन्हें साल 1952 में अपनी फिल्म “रंगीली” में बतौर हीरो के रोल में पर्दे पर लाया I रंगीली फिल्म से राजकुमार ने अपने कदम फिल्म इंडस्ट्री में रखा, लेकिन उन्हें अपने पहली फिल्म से इतनी कामयाबी नहीं मिली I इसके बाद वह साल 1957 तक कई छोटी-मोटी रोल किए, जैसे अनमोल, सहारा, कृष्ण सुदामा, नील मणि इन फिल्मों में अभिनय किया, लेकिन इनमें से एक भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट नहीं हुई I
फिर 1957 में आई फिल्म “मदर इंडिया” से राजकुमार जी को पहचान मिली कामयाबी मिली, इस फिल्म में उन्होंने राधा यानी नरगिस दत्त के पति का किरदार निभाया था, और इस फिल्म में उन्होंने एक गरीब किसान का छोटा सा किरदार निभाया था I यह फिल्म पूरी तरह से अभिनेत्री नरगिस के कैरेक्टर पर निर्भर थी, लेकिन अपने छोटे से किरदार की छाप राजकुमार ने दर्शकों के दिलों पर छोड़ी थी, इस फिल्म के किरदार से वह फिल्म इंडस्ट्री में बतौर अभिनेता फेमस हुए, और उन्हें पहचान भी मिली I
बॉक्स ऑफिस पर आई और वह रातों-रात फेमस
“मदर इंडिया” यह हिंदुस्तान की फिल्म इंडस्ट्री की पहली फिल्म है जो इंटरनेशनल ऑस्कर अवार्ड के लिए नॉमिनेट हुई थी I इसके बाद इसी साल 1957 में आई फिल्म “नौशेरवन ए आदिल”यह फिल्म जब बॉक्स ऑफिस पर आई और वह रातों-रात फेमस हो गए I इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक हिट फिल्में इंडस्ट्री को दिए, उसमें एक फिल्म “पैगाम” भी थी, इस फिल्म में राजकुमार जी के साथ इंडस्ट्री के लीजेंड सुपरस्टार दिलीप कुमार साहब भी थे, लेकिन राजकुमार जी ने यहां पर भी अपने दमदार एक्टिंग और अदाकारी से लोगों के दिल जीत लिए I
इसके बाद उन्होंने साल 1960 में “दिल अपना और प्रीत पराई”, साल 1961 में “घराना”, 1962 में आए “गोदान”, “दिल एक मंदिर”, “दूज का चांद” ऐसी बहुत सी फिल्में राजकुमार जी ने इंडस्ट्री को दिए I इसके बाद वह इतने कामयाब हो गए थे कि फिल्मों में अपना रोल खुद ही सेलेक्ट करते थे, 1965 में बी आर चोपड़ा की फिल्म “वक्त” में उन्होंने अपनी दमदार एक्टिंग और अदाकारी से एक अलग पहचान बना ली थी I राजकुमार जी की डायलॉग डिलीवरी और उनका उस वक्त का “जानी” कहने का अंदाज आज की जनरेशन भी काफी पसंद करती है I
फिल्म फ्लॉप हो सकती है, लेकिन हम नहीं जानी,
70 80 के दशक में राजकुमार जी की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट नहीं हो रही थी, तब उन्होंने सपोर्टिंग एक्टर के लिए काम करना शुरू किया, राजकुमार जी फिल्म इंडस्ट्री में एक ऐसे अभिनेता थे, जो अपनी फिल्म फ्लॉप होने के बाद भी, आने वाली फिल्म में वह अपनी फीस बढ़ा कर लेते थे I राजकुमार जी का कहना था कि मैं फिल्म के हर किरदार को बहुत ही शिद्दत से निभाता हूं, फिल्म फ्लॉप हो सकती है, लेकिन हम नहीं जानी, हमारे काम में कोई कमी नहीं रहती I 1958 में आई “पैगाम” फिल्म में राजकुमार जी ने पहली बार दिलीप कुमार साहब के साथ पर्दे पर काम किया था, फिल्म में राजकुमार जी बड़े भाई और दिलीप साहब छोटे भाई का रोल कर रहे थे I
पैगाम फिल्म के एक सीन में राजकुमार जी को अपने छोटे भाई यानी दिलीप साहब को थप्पड़ मारना था, उस वक्त शूटिंग के दौरान राजकुमार जी ने दिलीप साहब को जोरदार थप्पड़ लगाया, दिलीप साहब को लग रहा था कि राजकुमार जी ने उन्हें जानबूझकर जोरदार थप्पड़ मारा है I इसी बात को लेकर उन दोनों में बहुत कहा सुनी हुई और उनका रिश्ता इतना बिगड़ गया की 33 साल तक उन दोनों ने एक साथ काम नहीं किया I 33 साल बाद डायरेक्टर सुभाष घई ने फिर से उन्हें अपनी फिल्म “सौदागर” में एक साथ लाया, और उन दोनों को मिलने का क्रेडिट डायरेक्टर सुभाष घई को मिला, सौदागर फिल्म की स्क्रिप्ट जब सुभाष घई ने दिलीप साहब को सुनाने आए तो उन्हें स्क्रिप्ट बहुत पसंद आई I
अगर मैं किसी को बेहतर एक्टर मानता हूं तो वह सिर्फ
जब दिलीप साहब ने पूछा कि सौदागर में दूसरा किरदार किसका है, तो सुभाष घई ने डरते हुए कहा कि राजकुमार जी तब दिलीप साहब ने कहा की शूटिंग के दौरान अगर कुछ कहा सुनी हुई, तो राजकुमार जी को संभालने की जिम्मेदारी तुम्हारी, और जब सुभाष घई ने यह स्क्रिप्ट राजकुमार जी को सुनाएं, तो यह स्क्रिप्ट उन्हें भी बहुत पसंद आई और जब उन्हें पता चला हे 33 साल बाद दिलीप साहब उनके साथ इस फिल्म का हिस्सा है, तो वह बहुत खुश हुए, और कहने लगे कि इस किरदार के लिए दिलीप कुमार ही बेस्ट रहेंगे जानी और अपने बाद अगर मैं किसी को बेहतर एक्टर मानता हूं तो वह सिर्फ और सिर्फ दिलीप कुमार ही है I
अब बात करते हैं राजकुमार जी के प्यार और रोमियो वाले अंदाज की
साल 1971 में आई डायरेक्टर मेहरा की फिल्म “लाल पत्थर” में डायरेक्टर ने हेमा मालिनी को बतौर हीरोइन सजेस्ट किया था, लेकिन जब हेमा मालिनी ने मना किया, तब डायरेक्टर ने वैजयंती माला को इस फिल्म के लिए साइन किया, जब यह बात राजकुमार जी को पता चली कि डायरेक्टर ने पहले हेमा मालिनी को हीरोइन के लिए पसंद किया था, उनके मना करने के बाद उन्होंने वैजयंती माला को साइन किया, यह सुना राजकुमार जी खुद हेमा मालिनी को मनाने के लिए उनके पास गए, और राजकुमार जी की बात का मान रखते हुए, हेमा मालिनी इस फिल्म के लिए हां कहती है I
लाल पत्थर इस फिल्म के शूटिंग के दरमियान राजकुमार जी हेमा मालिनी को पसंद करने लगे थे, और हेमा मालिनी भी उनके पर्सनालिटी की और आकर्षित हुई थी I फिल्म की शूटिंग के बाद भी वह काफी वक्त साथ में बिताते, और जब फिल्म की शूटिंग खत्म हुई, तब राजकुमार जी ने हेमा मालिनी को शादी के लिए प्रपोज किया, तब हेमा मालिनी ने उन्हें साफ मना कर दिया, हेमा मालिनी के इस फैसले से राजकुमार जी बहुत नाराज हुए I उस वक्त की एक बहुत फेमस अदाकारा थी, मीना कुमारी और उनके कई चाहने वाले भी थे, उन चाहने वालों में एक नाम राजकुमार जी का भी आता है, मीना कुमारी और राजकुमार जी दोनों ने “पाक़ीज़ा” फिल्म में बतौर हीरो हीरोइन काम किया था I
या यूं कह कि वह अपने डायलॉग जानबूझकर नहीं बोलते थे
राजकुमार जी मीना कुमारी के इतने बड़े चाहने वाले, दीवाने थे कि फिल्म के शूटिंग के दौरान वह अपने डायलॉग ही भूल जाते थे, या यूं कह कि वह अपने डायलॉग जानबूझकर नहीं बोलते थे, उस वक्त मीना कुमारी की शादी मशहूर फिल्म डायरेक्टर “कमाल अमरोही” से हुई थी I राजकुमार जी मीना कुमारी को पसंद करते हैं, जब इस बात का पता उनके पति कमाल अमरोही को पता चला तो वह बहुत नाराज हुए, और इसी वजह से पाक़ीज़ा के बाद मीना कुमारी और राजकुमार जी किसी और फिल्म में नजर नहीं आए I इसी वजह से राजकुमार जी का प्यार परवन नहीं चढ़ सका और राजकुमार जी का प्यार एक बार फिर से एक तरफा ही रह गया I
हेमा मालिनी और मीना कुमार से प्यार में धोखा खाने के बाद राजकुमार जी की असली प्रेम कहानी एंग्लो इंडियन “जेनिफर” से शुरू हुई, जेनिफर यह एक एयर होस्टेस थी राजकुमार जी अपने फिल्म की शूटिंग के लिए फ्लाइट से कहीं जा रहे थे, तो इस फ्लाइट में जेनिफर से उनकी मुलाकात हुई I जेनिफर को देखते ही राजकुमार जी को वह पसंद आ गई, और उस पर अपना दिल हार बैठे, जेनिफर को भी राजकुमार जी की पर्सनैलिटी उनका अंदाज बात करने का तरीका बहुत पसंद आया, और यही इनकी दोस्ती हुई और दोस्ती प्यार में बदल गई I कुछ वक्त के बाद जेनिफर और राजकुमार ने शादी कर ली, शादी के बाद जेनिफर ने अपना नाम “गायत्री” रख लिया, जेनिफर से राजकुमार को दो बेटे और एक बेटी हुई, बड़ा बेटा पूरु राज कुमार, छोटा बेटा पाणिनी राजकुमार, और बेटी वास्तविकता पंडित है I
गोविंद से कहा डांस करते हो कभी कबार हीरोइन को भी
साल 1987 में राजकुमार जी ने गोविंदा के साथ “मरते दम तक” में स्क्रीन शेयर किया था, और इसके बाद साल 1989 में “जंगबाज” में भी साथ में काम किया था I जंगबाज फिल्म में एक गाने की शूटिंग चल रही थी, और इस गाने में गोविंदा ने बहुत ही बेहतरीन डांस किया था, और गोविंदा का डांस देखकर राजकुमार जी ने उनकी बहुत तारीफ की थी, एक बड़े स्टार से अपने डांस की तारीफ सुन गोविंद भी बहुत खुश हुए, बातों बातों में राजकुमार जी ने एक और बात गोविंदा से कहीं पूरे गाने में सिर्फ तुम ही डांस करते हो कभी कबार हीरोइन को भी डांस करने दिया करो I राजकुमार जी की यह बात गोविंदा को समझ में नहीं आई थी, की राजकुमार जी उनकी तारीफ कर रहे हैं, या फिर उनकी टांग खींच रहे हैं I
राजकुमार जी ने उस टी-शर्ट को रुमाल बनाकर अपनी जेब
“जंगबाज” की शूटिंग के दौरान ही गोविंदा ने एक बहुत ही अच्छा टी-शर्ट पहना था, और वह शर्ट राजकुमार जी को बहुत पसंद आया था, जब यह बात गोविंद को पता चली तो वह शूटिंग खत्म होने के बाद चेंजिंग रूम में जाकर टी-शर्ट चेंज कर के राजकुमार जी को दे दिया और कहा कि सर अगर आपको यह पसंद है तो आप रख लीजिए I गोविंद बहुत खुश हुए उन्हें लगा कि राजकुमार जी उनका दिया हुआ टी-शर्ट पहनेगे, उन्होंने टी-शर्ट की काफी तारीफ की थी, लेकिन दो दिन बाद जब फिल्म की शूटिंग के के लिए राजकुमार जी जब सेट पर आए, तब गोविंदा ने देखा कि राजकुमार जी ने उस टी-शर्ट को रुमाल बनाकर अपनी जेब में रखा था, और उस रुमाल से उन्होंने अपनी नाक भी साफ की थी यह देख गोविंद बहुत नाराज हुए थे I
एक बार फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर डायरेक्टर रामानंद सागर ने अपनी फिल्म “आंखें” की स्क्रिप्ट लेकर राजकुमार जी के पास पहुंचे, उन्होंने राजकुमार जी को अपने स्क्रिप्ट सुनाई, लेकिन वह स्क्रिप्ट शायद राजकुमार जी को पसंद नहीं आई, उस वक्त राजकुमार जी के पास उनका एक वफादार पालतू डॉग था, तो उन्होंने उस डॉग से पूछा क्या तुम इस फिल्म में काम करना चाहोगे, उस वक्त डॉग ने किसी भी तरह की कोई हरकत नहीं की, और यह देख राजकुमार जी ने रामानंद सागर से कहा की देखिए इस फिल्म में तो मेरे कुत्ते को भी दिलचस्पी नहीं है, और इस फिल्म के स्क्रिप्ट भी मुझे पसंद नहीं आई, रामानंद सागर ने बिना कुछ कहे चुपचाप वहां से चले गए I राजकुमार जी के मना करने के बाद रामानंद सागर ने “आंखें” फिल्म में धर्मेंद्र को हीरो बनाया और इस फिल्म को पर्दे पर बहुत कामयाबी भी मिली I
नसरुद्दीन शाह ने साफ शब्दों में मना कर दिया
एक बार ऐसे ही फिल्म के डायरेक्टर मेहुल कुमार ने “तिरंगा” मूवी में राजकुमार जी के साथ रजनीकांत को पर्दे पर लाना चाहते थे, लेकिन जब रजनीकांत को पता चला कि इस फिल्म में उनके साथ राजकुमार जी भी काम कर रहे हैं, उन्होंने यह कहते हुए मना किया, अगर सेट पर कोई परेशानी या राजकुमार जी साथ कोई कहां सुनी हो जाएगी, मैं उनके साथ काम करने का रिस्क नहीं ले सकता I डायरेक्टर मेहुल कुमार नसरुद्दीन शाह के पास गए, जब उन्हें भी पता चला कि इस फिल्म में राजकुमार जी के साथ स्क्रीन शेयर करनी है, तो उन्होंने साफ शब्दों में मना कर दिया I इसके बाद मेहुल कुमार ने नाना पाटेकर को समझा बूझकर किसी तरह से राजी कर लिया, लेकिन नाना पाटेकर ने भी इस फिल्म में काम करने के लिए शर्त रखी थी, अगर शूटिंग के दौरान राजकुमार जी किसी भी तरह कि गड़बड़ करेंगे तो वह फौरन वहीं पर शूटिंग रोक देंगे और वापस घर चले आएंगे I
तिरंगा फिल्म की शूटिंग के दौरान राजकुमार जी और नाना पाटेकर यह दोनों आपस में काम ही बात करते थे, पर “पीले पीले ओ मोर जानी” इस गाने की शूटिंग के दौरान इन दोनों में काफी गहरी दोस्ती हुई I फिल्म इंडस्ट्री में जितने भी लोग काम करते थे डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, एक्टर राजकुमार जी की बहुत इज्जत और कदर करते थे, इंडस्ट्री में कोई भी उनसे पंगा लेने तो दूर उसके बारे में सोचता भी नहीं था, राजकुमार जी को पलट कर जवाब भी देना सही नहीं समझते थे I साल 1965 में धर्मेंद्र और राजकुमार जी “काजल” फिल्म में साथ काम किया था, उसे वक्त धर्मेंद्र अपनी हट्टी कट्टी बॉडी से किसी बॉडी बिल्डर से काम नहीं लगते थे I
धर्मेंद्र को उनके मुंह पर बंदर कहा और जोरो से हंसने
एक बार राजकुमार जी ने फिल्म के डायरेक्टर राज माहेश्वरी से यह कहते हैं, की आपको अपनी फिल्म के लिए हीरो चाहिए, या कोई बॉडी बिल्डर चाहिए, यह सुन धर्मेंद्र को बहुत गुस्सा आता है, राजकुमार जी को कुछ कहते नहीं I राजकुमार जी मुफट अभिनेता थे किसी को भी उसके मुंह पर बिना सोचे समझे कुछ भी कहते थे, यह सोचकर वह खामोश हो जाते हैं I ऐसे ही एक बार फिर से उन्होंने धर्मेंद्र को उनके मुंह पर बंदर कहा और जोरो से हंसने लगे, पहली बार तो धर्मेंद्र ने अपने गुस्से को काबू किया था, फिर से राजकुमार जी ने बंदर कहा तो वह अपने गुस्से को संभाल नहीं पाए I
गुस्से में आग बबूला होकर धर्मेंद्र ने राजकुमार जी का कॉलर पकड़ा और ऊंची आवाज में चिल्लाने लगे, कि आपने ऐसा कैसे कहा, उस वक्त वहां मौजूद लोगों ने वहां का माहौल संभाल धर्मेंद्र और राजकुमार जी को समझाया, राजकुमार जी गुस्से में सेट से बाहर चले गए और कहां की वह फिल्म के आगे की शूटिंग नहीं करेंगे I फिल्म के डायरेक्टर राज माहेश्वरी ने राजकुमार जी और धर्मेंद्र को बहुत समझाया, काफी कोशिशें के बाद वह दोनों माने और फिल्म की शूटिंग पूरी हुई I
गुस्से में सलमान से कहने लगे कि तुम अपने अब्बा से
सलमान खान और भाग्यश्री की फिल्म “मैने प्यार किया” सलमान खान की यह फर्स्ट सुपर हिट मूवी थी, जिससे उन्हें पहचान मिली थी, मैंने प्यार किया फिल्म की सक्सेस पार्टी थी, उस पार्टी में बहुत से अभिनेता अभिनेत्री को इनवाइट किया था, और उसमें राजकुमार जी भी आए थे I अपनी फिल्म के सुपरहिट होने की कामयाबी में सलमान खान ने बहुत शराब पी रखी थी और वह बहुत नशे में थे, नशे में होने के कारण सलमान खान राजकुमार जी को पहचान ही नहीं, सलमान की इस बात से राजकुमार जी बहुत नाराज हुए और गुस्से में सलमान से कहने लगे कि तुम अपने अब्बा से पूछना कि राजकुमार कौन है I नशा उतारने के बाद जब सलमान खान होश में आए, तुम अपनी गलती सुधारने के लिए राजकुमार जी से मिलकर माफी मांगी I
जानी तुम जो यह चमेली का तेल लगाते हो इसकी खुशबू हमें
राजकुमार जी एक ऐसे शख्स थे जो बिना किसी से डरे अपने दिल की बात जो उन्हें पसंद नहीं आती, वह सामने वाले के मुंह पर बोल देते थे, इसके बावजूद भी उनके पास डायरेक्टर प्रोड्यूसर कि कोई कमी नहीं थी, और इंडस्ट्री में सब लोग उनकी बहुत इज्जत करते थे, राजकुमार जी अपने उसूलों और वक्त के बहुत पाबंद थे I ऐसे ही एक बार फिल्म डायरेक्टर प्रकाश मेहरा ने उन्हें अपने फिल्म “जंजीर” में कास्ट करना चाहते थे, उन्होंने अपने फिल्म कि स्क्रिप्ट उन्हें सुनाई, स्क्रिप्ट राजकुमार जी को पसंद आई लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना किया, की जानी तुम जो यह चमेली का तेल लगाते हो इसकी खुशबू हमें पसंद नहीं I इसके बाद डायरेक्टर प्रकाश मेहरा ने “जंजीर” फिल्म में अमिताभ बच्चन को कास्ट किया, और यह फिल्म इतनी कामयाब हुई कि इस फिल्म से अमिताभ बच्चन को इंडस्ट्री में लोग पहचानने लगे, और इसी से वह रातों-रात इंडस्ट्री के स्टार बने I
राजकुमार जी खुद को जितना अकडू, मुंह फट दिखते थे, हालांकि वह इतने बुरे नहीं थे, राजकुमार जी को किसी की भी चापलूसी करना बिल्कुल पसंद नहीं था, इसी वजह से इंडस्ट्री में उनके गहरी दोस्ती बहुत कम लोगों से थी I और उसमें सबसे पहला नाम आता है, अभिनेता देवानंद साहब के भाई चेतन आनंद थे, राजकुमार जी को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था I राजकुमार जी यह एक ऐसे अभिनेता थे लोग उनकी एक्टिंग से ज्यादा उनकी आवाज और डायलॉग डिलीवरी के अंदाज को बहुत पसंद करते थे I राजकुमार जी के आखिरी वक्त में उनकी आवाज ने उनके साथ छोड़ा, उन्हें गले का कैंसर हुआ था, और इसी वजह से उनकी आवाज चली गई थी, और आखिरी वक्त में उन्होंने ज्यादातर इशारों में ही बातें की I
इंडस्ट्री से राजकुमार जी के अंतिम संस्कार में कोई भी शामिल नहीं
साल 1996 में राजकुमार जी की “गॉड एंड सन” यह आखिरी फिल्म आई थी, इसके बाद इंडस्ट्री से वह ऐसे गायब हुए की किसी को भी उनकी कोई खबर नहीं थी, फिर 3 जुलाई 1996 की शाम को खबर मिली कि इंडस्ट्री के सबसे दिग्गज सुपरस्टार राजकुमार जी अब इस दुनिया में नहीं रहे, और उनका अंतिम संस्कार भी हो चुका है I यह खबर मिलते हीं इंडस्ट्री में हर कोई चौक गया, अचानक ऐसे कैसे हो गया, और इंडस्ट्री में किसी को भी इस बात की कोई जानकारी क्यों नहीं दी, इंडस्ट्री से राजकुमार जी के अंतिम संस्कार में कोई भी शामिल नहीं था I अपने पिता के मौत के कुछ वक्त के बाद राजकुमार जी के बड़े बेटे पूरु राजकुमार मीडिया के सामने आकर बताते हैं, कि उनके पिता राजकुमार जी पिछले कुछ वक्त से बहुत बीमार थे उन्हें गले का कैंसर हुआ था, जिसके कारण उनकी आवाज बंद हो गई थी I
वह नहीं चाहते थे कि फैंस को उनकी इस बीमारी का पता चले, इसलिए राजकुमार जी अपनी आखिरी वक्त में अपने परिवार वालों से वादा लिया था, कि उनकी मौत की खबर इंडस्ट्री में और उनके फैंस को ना दे I राजकुमार जी अपने अंतिम संस्कार में किसी भी तरह का कोई ड्रामा नहीं चाहते थे, और इसी वजह से राजकुमार जी की मौत की खबर उनके अंतिम संस्कार के बाद ही बाहर आई I
हकीकत छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से, की खुशबू आ नहीं सकती कभी कागज के फूलों से I
तो यह थी दोस्तों फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता राजकुमार जी उर्फ { जानी } के जीवन का परिचय I