सास और बहू का एक रिश्ता ऐसा भी…

   बहू कहा मर गई ? अंदर से आवाज आई जिंदा हूं माँ जी अभी आई , मेरी पूजा कब की हो गई है और तूने अब तक मुझे चाय लाके नहीं दी, माँ जी मैं चाय लेकर बस आ रही हूं I चाय की एक चुस्की पी कर सास कहतीं कितने मिठी चाय बनी है बहू डिब्बे में चीनी रखी भी है या नही, फ़िर बहू कहतीं हैं माँ जी मैं इसे वापस ले जाती हूँ I सास कहतीं है रहने दे अब चाय झूठी हो गईं हैं, फिर बहू अपने काम पर लग जाती हैं I दुपहर के खाने का समय हो जाता है सास बहू को आवाज लगाती अरे बहू भूख लगी है खाना ला जल्दी से, बहू कम तेल और कम मसले वाला खाना ले कर आती हैं, बग़ैर मसलों वाला खाना देख सास गुस्से से बहू को देख कहतीं हैं, ये क्या है? बहू कहतीं है माँ जी डॉ ने आप को यहीं खाने को कहां है, आप को यही खाना पड़ेगा I हा और तू मेरी माँ बन जा, बहू मुस्कराते हुए अंदर चली गई I 

   अगले दिन घर में पूजा रखी थी, बहू सुबह सवेरे जल्दी उठ के नहा धो कर पूजा के लिए फुल ला कर माला बनाती है किचन रूम कि साफ सफाई कर के पूजा में रखने के लिए भोग और पकवान बनाने लग जाती हैं I सुबह के दस बज गए, सास भी उठ गई थी I फिर सास कहतीं है बहू पंडित जी आए या नहीं बहू कहतीं है आए हैं माँ जी, और बहू अब पंडित जी के साथ पूजा की तयारी करने लग जाती हैं I आज ऑफीस की भी छूटी थी और उनके पति भी घर में ही थे I पूजा बस शुरु होने वाली थी तभी सास कहतीं बहू ये नहीं है वो नहीं हैं ला दे जल्दी से बहू दौड़ते दौडते सब ला देती दुपहर के चार बज जाते हैं I 

      आरती की तयारी चल रही थी पंडित जी सब को आरती के लिए बोलते हैं, और सब लोग बारी बारी से आरती करते हैं जैसे ही आरती की थाल बहू के हाथ में आती हैं थाल हाथ से फिसल कर नीचे गिर जाती है, शायद प्रसाद बनते समय बहू के हाथों में तेल लगा था, और वो साफ करना भूली I घर में आए हुए हैं सभी लोग ताने मारने लगते हैं, यह कहकर की कैसी बहू हैं इसे तो काम करने का सलीका ही नहीं पता, न जाने इसके सास इसे कैसे झेलती होगी I लेकिन सास चुप रहीं कुछ नहीं कहा बस इतना कहतीं हैं, सिख रहीं हैं अभी धीरे धीरे सब सिख जायेगी I सब लोग अब खाना खाने बैठ जाते हैं बहू सब को दोड़ दोड़ के खाना परोसने और पानी देने लगतीं हैं I करीब – करीब 40, 50 लोग आए थे पूजा में, और काम करने  दो नोकर और बहू अकेली सिर्फ तीन लोग ही थे, बहू ने सारा काम बहुत अच्छे से संभल लिया था, और अब खाना खाने सास और आस पड़ोस के लोग बैठ गए I 

   बहू ने सब को खाना परोसा जैसे ही सास ने पहला निवाला खाया और बोली तुमने नमक सही से नहीं डाला है, एक भी काम ठीक से नहीं आता, पता नहीं मेरे बाद ये घर कैसे संभाले गी I आस पास के लोगों को तो तुम जानती हो ना, उन्ह लोगों को तो बहाना मिल जाएगा ताने मरने को और लोगो ने भी ताना मारना शुरु किया, कैसी बहू हैं कैसा खाना बनाती हैं वगैरह- वगैरह I दिन का खाना हो गया था, अब बहू घर की साफ सफाई कर के नौकरो के साथ मिल के बर्तन धुने लग जाती हैं I रात को घर में जगराते का कार्यक्रम रखा गया था, बहू ने भी एक दो गीत गाने के लिए आगे बड़ी, तभी सास ने आवाज लगाई और कहने लगी तू रहने दे बहू तुझे गीत गाने नहीं आएगा, सब के सामने तु मेरी नाक कटायेगी वापस आ जा I

    बहू मुस्कराइए और गाना गाने लगी, बहू का गाना सुन कर लोगों ने उसकी बहुत तारीफ़ की, लेकिन सास ने कहा तुझ से ज्यादा अच्छा तो मैं गाती थी, अपने जवानी में तुझे तो कुछ नहीं आता I बहू मुस्कराइए और रसोई में चली गई, रात का खाना खिलाया जा रहा था, उसके पति के ऑफिस के दोस्त साईड में ही ड्रिंक कर रहे थे, पति ने चिल्लाया थोडा बर्फ ला दो इधर, सास भी चिल्लाया सब्जी नहीं है यहां पर, फिर कोई चिल्लाता कोल्ड ड्रिंक नहीं है, फिर किसी ने आवाज लगाई की पापड़ खत्म हो गए है यहां पर, यहां वहां के भाग दौड़ में पति को धक्का लगा, और उनके हाथ से शराब का गिलास उनके दोस्त के शर्ट पर गिर गया, और हाथ से शराब की बोतल भी छूट गई I   

  पति ने गुस्से में पत्नी को दो थप्पड़ लगाए और कहने लगा, गवार कहीं की तू किसी भी काम की नहीं है देखकर नहीं कर सकतीं क्या, सारे लोग देखने लगे और बहू इतने सारे लोगों के बीच से शर्मिंदा हो कर रोते हुए कमरे में चली गई I उस के दोस्तों ने कहा क्या यार सारा मूड खराब कर दिया, यहां नहीं आना चाहिए था, हम कहीं और पार्टी कर लेते, कैसी अनपढ़ जाहिल बीवी ला रखी हैं तूने, उन्हें तो मेहमानों की इज्ज़त तक करने नहीं आतीं, तुमने तो हमे यहाँ बोला कर हमारी बेइज्जती कर दी I 

   अब आस पड़ोस के औरतों को तो मुक्का मिल गया बातें सुनाने को और वो कहने लगी देखों क्या कर दिया, ये तुम्हारी बहू किसी काम की नहीं है I मैं तो कहतीं हूँ इससे पीछे छुड़ाकर कोई अच्छी और संस्कारी,और पढ़ी-लिखी  बहू लेकर आओ, यह तो हर जगह पर तुम्हें और तुम्हारे बेटे को शर्मिंदा कर रही है, लोगों के मुंह से यह सब बातें सुन सास उठीं और बेटे के पास गई, और उसे उसके दोस्तों के सामने ही जोरदार थप्पड़ मारा, और कहने लगी अरे बेशरम तूने मेरे बहू को मारा तेरे इतनी हिम्मत कैसे हुईं I मैं तेरे टांगे तोड़ दूँगी, बेटे के दोस्त भी कुछ कहने ही वाले थे, तभी माँ ने गुस्से में कहने लगीं चुप बिलकुल चुप राहो, यहाँ मुफ्त की दारू पीने आए हो जब कि पता है आज पूजा हैं और तुम्हे पार्टी करनी हैं, तुम्हारे माँ बाप ने तुम्हें कैसे संस्कार दिए हैं, और किसने जाहिल कहां मेरे बहू को जरा इधर तो आ, चप्पल से मारूंगी अगर किसी ने मेरे बहू को एक शब्द भी बोला तो I

   अरे नालायक तूने मेरे बहू को सिर्फ़ इस लिए मारा कि तेरे शराब गिर गई, अरे वो बच्ची सुबह के चार बजे से उठीं हैं सारा काम कर रही है वह सुबह से भूखी है, उसने सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना तक नहीं खाया हैं I फिर भी सुबह से भूखे पेट कम कर रही है और साथ में सबके ताने भी सुन रही है, इसके जगह कोई और होती तो कहती मुझे नहीं होगा यह सब काम, यह बगैर किसी शिकायत के सुबह से काम में लगी है I अगर तेरे दोस्तों को मेरी बहू अच्छी नहीं लगी उसे गवार कहते, तो याद रख फिर कभी दोबारा तो अपने नालायक दोस्तों को घर पर नहीं लेकर आएगा, उनका कोई हक नहीं बनता कि मेरे घर आकर मेरे बहू को बुरा भला कहे I

   यह सब बातें साइड में खड़े हैं उसके दोस्त सुन रहे थे, फिर यह सुनने के बाद उसके दोस्त माफी मांग कर शर्मिंदा होते हुए, चुपचाप वहां से चले जाते हैं I सास ने बहू का हाथ पकड़ कर बहू के सामने सबसे पूछा किसने कहा कि इससे पीछा छुड़ाकर मैं एक संस्कारी और पढ़ी-लिखी बहू लेकर आओ, और मुझे बताना की पढ़ी-लिखी बहू क्या चार लोगों में अपनी इतनी बेइज्जती बर्दाश्त कर पाएगी, या वह इतनी समझदारी से चुपचाप सबके तने सुनकर माहौल खराब ना हो यह सोच कर काम करते रहेगी, यह सुनकर उसे वक्त कोई भी आगे नहीं आया I    

    फिर सास कहतीं है, तुम लोग जानते भी क्या हो इस के बारे में ये मेरी “माँ ” भी है और बेटी भी, माँ इसलिए कि मुझे गलत काम करने पर डाटती हैं, और बेटी इसलिए कभी-कभी मेरे दिल के भावनाओं को समझती हैं I मेरे दिन रात सेवा करती है, मेरे हजार ताने सुनाती हैं पर एक शब्द भी गलत नहीं कहतीं, ना सामने ना पीठ पीछे और तुम कहते हो दूसरी बहू ले आओ I याद है ना छुटकी की दादी अपने बहू की करतूत, सास ने गुस्से से पड़ोस की महिला को कहां, अभी पिछले हफ्ते ही तुम्ही मियां बीवी को भुके छोड़ तुम्हारा बेटे और बहू घूमने गए थे I मेरी इसी बहू ने सात देनों तक तुम्हारे घर पर खाना पाणी यहां तक की तुम्हारे पैर दबाने भी आतीं थी, और तुम इसे जाहिल कहतीं हो, जाहिल तो तुम लोग हो जो कोयलें और हिरे में फर्क नहीं जानते I 

   अगर आइन्दा मेरे बहू के बारे में किसी ने एक लफ्ज़ भी बोला तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा, क्यूँकी मेरे बहू नहीं बेटी हैं I बहू सिसकियाँ लेते हुए फिर से अपने काम में लग जाती है तभी सास कहती है, बहु तू छोड़ दे यह सारे काम, काम तो होते रहेगा तू पहले खाना खा, अगर खाना नहीं खायेगा और ऐसे ही काम करेगी तो कमजोर हो जाएगी I तू चल मेरे साथ कमरे में हाथ में खाने की प्लेट लेते हुए सास ने बहु से कहा I सास को खाना परोसते हुए देखा बहू कहती है मां जी आप रहने दीजिए मैं खुद ले लूंगी, अरे बहू डर मत इसमें ज़हर नहीं है, तुझे ऐसे थोड़ी ना मरने दूंगी, तुझ से तो अभी मुझे अपनी खूब सेवा करवानी है, बहू ने अपने सास को रोते हुए गले से लगा लिया सास भी पहली बार रो दी और बोली चल अब खाना खा ले, और मज़ाक करते हुए कहा, फिर मेरे पैर दबाने आना, और यह ख़्याल मन में मत लाना की सास पैर बोलती है, किसी दिन मैं इसका गला दबा दूँगी, क्यूंकि कभी मैं भी यहीं सोचतीं थी, और दोनों खूब हसने लगीं I

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