हिंदी सिनेमा जगत के लोकप्रिय एक दिग्गज अभिनेता जिनकी शानदार पर्सनैलिटी देखकर दर्शक उनके तरफ आकर्षित हुआ करते थे, पर ऐसा क्या हुआ की एक दिग्गज अभिनेता और राजनेता सुनील दत्त को लोगों ने एक देशद्रोही के पिता कहा I लोकप्रिय अभिनेता और राजनेता सुनील दत्त की कातिलाना मुस्कान और दमदार आवाज जो उन्हें बाकी अभिनेताओं से एक अलग ही पहचान देती थी, सामाजिक फिल्में हो या कॉमेडी फिल्में, या फिर किसी फिल्म में रोमांटिक किरदार हो, इन्होंने हर तरह के अभिनय में अपना किरदार बखूबी निभाया, और हर किरदार में यह एकदम प्राकृतिक अंदाज में नजर आए I यह हिंदी सिनेमा जगत में सबसे कामयाब एक ऐसी शख्सियत थे की यह हर किसी की मदद के लिए आगे आते थे, सबसे कामयाब और ऊंचे मुकाम पर रहने वाले इस अभिनेता को जमीन से जुड़े शख्सियत के नाम से पहचान मिली, लेकिन इनका बचपन बहुत ही कठिन परिस्थितियों से गुजरा था, और अपने कठिन परिस्थितियों में इन्होंने हर तरह के छोटे-मोटे काम करके, अपने मेहनत और लगन से हिंदी सिनेमा जगत में अपना मुकाम बनाया I
यह एक ऐसे अभिनेता थे जिनको पर्दे पर देख दर्शक को ऐसा लगता था की यह एक आम हिंदुस्तानी के जिंदगी की झलक को पर्दे पर दिखा रहे हैं I अपने जीवन में इन्होंने सबसे विवादित और बाला की खूबसूरत अभिनेत्री से प्यार किया, और उस अभिनेत्री को अपना जीवन साथी बनाया, और उनके लिए यह उम्र भर वफादार रहे I इस दिग्गज अभिनेता की वह पत्नी एक दशक तक हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के शो मैन राज कपूर साहब के साथ मोहब्बत के रिश्ते मे थी I एक दिग्गज अभिनेता होने के साथ-साथ लोकप्रिय राजनीतिक नेता भी रह चुके इस अभिनेता पर एक देशद्रोही बेटे के पिता होने जैसे इल्जाम भी लगे, और अपने देशद्रोही कहलाए हुए बेटे को जेल जाने से रोकने के लिए एक पिता को उस हद तक जाना पड़ा जिसमें वह खुद पूरी तरह से टूट चुके थे I
आज हम जानेंगे 1960 और 70 के दशक के एक ऐसे लोकप्रिय अभिनेता सुनील दत्त के बारे में इन्होंने अपने बचपन में बहुत उतार चढ़ाव देखे हैं और बहुत मुश्किल परिस्थितियों का सामना किया I सुनील दत्त का जन्म 6 जून 1929 को पंजाब के झेलम जिले के खुर्दी गांव { पाकिस्तान } ब्राह्मण परिवार में हुआ, पिता का नाम दीवान रघुनाथ दत्त और मां का नाम कुलवंती देवी था, और सुनील दत्त का असली नाम बलराज रघुनाथ दत्त था I सुनील दत्त के अलावा रघुनाथ दत्त को दो संताने और थी एक बेटा और एक बेटी, सुनील दत्त को बचपन से अभिनय कला में बहुत रुचि थी, और फिल्मों में आने के बाद बलराज दत्त से बदलकर अपना नाम सुनील दत्त रख लिया I 1947 में हिंदुस्तान पाकिस्तान बंटवारे के बाद सुनील दत्त के परिवार ने हिंदुस्तान के लखनऊ का रुख किया, अपने आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए सुनील दत्त लखनऊ से बॉम्बे आते हैं, अपना ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के लिए I
परिवार की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी, फिर भी घर की स्थिति को नजर अंदाज करते हुए रघुनाथ दत्त ने सुनील दत्त को बॉम्बे कॉलेज में पढ़ने के लिए भेजते हैं, अपने पढ़ाई का खर्चा और अपने खाने-पीने और रहने का खर्चा निकल सके इसलिए उन्होंने मुंबई के BST बसों में कंडक्टर की नौकरी भी की I कुछ वक्त के बाद सुनील दत्त को ऑल इंडिया रेडियो में एनाउंसर की नौकरी मिली, उनका जुनून और लगन ने उन्हें एक मौका दिया, सुनील दत्त ने अपना टैलेंट और मेहनत से सबको चौंका दिया, और रेडियो स्टेशन में अपने लगन और पूरे ईमानदारी से काम करके अपना नाम बनाया, इस तरह उन्हें पहली नौकरी मिल गई और उन्होंने अपने सपने को हकीकत में बदल दिया, जब रेडियो स्टेशन में सुनील दत्त को नौकरी मिली उस वक्त उन्होंने अपने पढ़ाई को बीच में ही छोड़ा था I
कुछ वक्त के बाद इसी रेडियो शो में काम करने दौरान सुनील दत्त और नरगिस की पहली मुलाकात हुई थी, और सुनील दत्त को नरगिस का इंटरव्यू लेना था, नरगिस का इंटरव्यू लेते वक्त सुनील दत्त इतने नर्वस हो रहे थे, कि उन्हें नरगिस से सवाल तक पूछने नहीं आ रहा था, यह वही नरगिस थी जो बाद में लीजेंडरी एक्टर सुनील दत्त कि जीवन संगीनी बनी I उस वक्त नरगिस फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अच्छी खासी पहचान बना चुकी थीं, और सुनील काम की तलाश में थे, इसके बाद दोनों की दूसरी मुलाकात फिल्म “दो बीघा जमीन” के सेट पर 1956 में हुई, इसके बाद सुनील दत्त को रेडियो पर लिप्टन की महफिल नाम का एक शो होस्ट करने को मिला I
1953 में जब सुनील दत्त अपना शो लिप्टन की महफिल होस्ट कर रहे थे, इसी शो में उन्हें दिलीप कुमार साहब का इंटरव्यू लेने का चांस मिला, दिलीप साहब की एक फिल्म आई थी “शिकस्त” जिसका इंटरव्यू सुनील दत्त को लेना था, इंटरव्यू लेने के दौरान सुनील दत्त की मुलाकात डायरेक्टर रमेश सहगल से हुई I सुनील दत्त की शानदार पर्सनैलिटी देख कर सहगल साहब उनकी तरफ आकर्षित हुए, और सुनील दत्त से उन्होंने स्क्रीन टेस्ट करने के लिए कहा, स्क्रीन टेस्ट में सिलेक्ट होने के बाद सहगल साहब ने सुनील दत्त को अपनी आने वाली फिल्म के लिए साइन किया, इस फिल्म के लिए उन्हें ₹300 फीस देने का फैसला करते हैं I
यह सुन सुनील दत्त के पैर जमीन पर नहीं रहे, क्योंकि उन्हें बचपन से ही फिल्मों में आने की बहुत ख्वाहिश थी, सहगल साहब की बात सुन बहुत खुश थे, लेकिन एक बात से वह थोड़ा नाराज थे उन्हें अपने मां से किया हुआ वह वादा याद आया I पहले जब भी कभी वह अपने मां से फिल्मों में जाने की ख्वाहिश जाहिर करते, तब उनकी मां कुलवंती देवी हमेशा उनसे कहा करती थी कि तुम पहले अपनी पढ़ाई पूरी करना, फिर बाद में इस तरह का कोई भी काम शुरू करना जिसमें तुम्हें लगता हो कि तुम्हारा कैरियर इस में ऊंचाइया छूएगा, और तुम इसमें कामयाब होंगे I
अपनी मां से किया हुआ यह वादा जब सुनील दत्त को याद आया, उस वक्त सुनील दत्त बहुत परेशान हुए उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या करें, तब वह सहगल साहब से बात करके अपनी परेशानी दूर करने के लिए उनके ऑफिस पहुंच जाते हैं I सहगल साहब के ऑफिस पहुंचने के बाद सुनील दत्त ने उनसे खुलकर अपनी सारी परेशानी, और मजबूरी बताई अपनी मां से किया हुआ वह वादा भी बताया, सहगल साहब ने सुनील दत्त की बात को बहुत ध्यान देकर और गौर से सुनने के बाद सहगल साहब ने सुनील दत्त से कहा कि तुम पहले अपने मां से किया हुआ वादा पूरा करो यानी अपनी पढ़ाई पूरी करो, मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा चाहे तुम्हें कितना ही वक्त क्यों ना लगे मैं अपनी फिल्म तुम्हारे साथ ही बनाऊंगा मेरी फिल्म के हीरो तुम ही रहोगे यह मेरा वादा है तुमसे I
सहगल साहब ने अपने वादे के मुताबिक पूरे 2 साल तक सुनील दत्त का इंतजार किया और 2 साल के बाद उन्हें लेकर अपनी फिल्म बनाई, साल 1955 में डायरेक्टर रमेश सहगल के साथ सुनील दत्त ने अपनी पहली फिल्म “रेलवे प्लेटफार्म” से फिल्म इंडस्ट्री में अपना कदम रखा, लेकिन यह फिल्म पर्दे पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई, और सुनील दत्त की पहली फिल्म फ्लॉप हो गई I इस फिल्म में सुनील दत्त के काम को देखकर डायरेक्टर महबूब खान उनकी तरफ आकर्षित हुए, उन्हें लगा कि इन्हें एक और मौका मिलना चाहिए, तब महबूब खान ने अपनी आने वाली फिल्म “मदर इंडिया” के लिए सुनील दत्त को साइन कर लिया, और इस फिल्म में बिरजू के किरदार से सुनील दत्त को रातों-रात हीरो की पहचान मिली, और दर्शक उन्हें बिरजू के नाम से पहचानने लगे I
1957 में आए “मदर इंडिया” इस फिल्म में सुनील दत्त ने नरगिस के छोटे बेटे बिरजू का रोल बखूबी निभाया, यह वही नरगिस थी जिनका इंटरव्यू लेने के समय सुनील दत्त के पसीने छूट गए थे, और उनसे सही से सवाल तक पूछने नहीं आ रहा था, लेकिन अब वह उसी मशहूर अभिनेत्री के साथ स्क्रीन शेयर कर रहे थे I इस फिल्म के सेट पर एक ऐसा हादसा हुआ जो उस वक्त काफी मशहूर हुआ था, और इस हादसे ने नरगिस और सुनील दत्त को हमेशा के लिए एक बंधन में बांध दिया, मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान ही शूटिंग सेट पर भीषण आग लगी थी, भीषण जलती हुई आग के लपटों में कूद कर सुनील दत्त ने नरगिस को बचाया था, अपनी जान के परवाह न करते हुए सुनील दत्त इस भयानक आग से नरगिस को तो बचाया, पर वह खुद उस में बुरी तरह से जल गए थे I
इस हादसे के बाद नरगिस के दिल में सुनील दत्त के लिए मोहब्बत जगने लगी, वैसे सुनील दत्त तो पहले से ही नरगिस के बहुत बड़े फैन और उनके अदाकारी के और उनकी खूबसूरती के दीवाने थे, लेकिन जब सुनील दत्त ने उन्हें जलती हुई आग के लपटों से उन्हें बचाया, इस हादसे की बाद नरगिस भी सुनील दत्त की तरफ आकर्षित होने लगी I 1943 से ही सिनेमा में काम कर रही थी और फिल्मों में काम करने के दौरान उनकी मुलाकात पृथ्वीराज कपूर के बेटे राज कपूर साहब से हुई, और वही फिल्मों में काम करने के साथ उनसे दोस्ती हुई और दोस्ती प्यार में बदल गई I नरगिस राज कपूर साहब के साथ 10 साल तक रिश्ते में रही, लेकिन वह अपने खोखले रिश्ते से बहुत परेशान थी, क्योंकि राज साहब पहले से ही शादीशुदा और चार बच्चों के पिता थे I
राज कपूर के साथ इस रिश्ते में रहकर नरगिस को इस बात का एहसास हुआ कि राज कपूर अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़कर उनसे शादी कभी नहीं करेंगे, क्योंकि राज कपूर साहब नरगिस के साथ रिश्ते में रहकर भी अपनी पत्नी कृष्णा राज कपूर के साथ कई बच्चे पैदा किऐ, राज कपूर की यह हरकत यह उन दोनों औरतों के लिए बहुत ही शर्मनाक और अपमानजनक बात थी, लेकिन उस दौर के हिंदुस्तान में औरतों को उतनी इज्जत नहीं दी जाती थी, जितनी की आज के दौर में है, नरगिस राज कपूर साहब के साथ अपने 10 साल के रिश्ते से बहुत परेशान थी और अब उनसे सारे रिश्ते खत्म करना चाहती थी, पर ऐसे में उन्हें किसी के इमोशनल सहारे की जरूरत थी, और वह सहारा उन्हें मिला सुनील दत्त के रूप में I
जब नरगिस ने देखा कि सुनील दत्त ने अपनी जान जोखिम में डालकर उनकी जान बचाई, उस वक्त नरगिस को अपने टूटे हुए दिल को संभालने वाला सहारा मिल गया, नरगिस को ऐसा लगा कि उन्हें सुनील दत्त से अच्छा जीवन साथी कोई मिल ही नहीं सकता, फिर नरगिस सुनील दत्त से ही शादी करने का फैसला करती है I सुनील दत्त को नरगिस और राज कपूर साहब रिश्ते के बारे में पहले से ही पता था, नरगिस एक दूसरे धर्म की थी और वह एक तवायफ के परिवार की बेटी थी, उस दौर में समाज के खिलाफ जाकर दूसरे धर्म में शादी करना यह बहुत मुश्किल काम था, पर समाज की और लोगों की परवाह न करते हुए और सब कुछ जानते हुए सुनील दत्त ने अपने और नरगिस के परिवार वालों को अपनी शादी के लिए राजी करते है I
11 मार्च 1958 को सुनील दत्त और नरगिस शादी के बंधन में बांधते हैं, और सुनील दत्त अपनी आखिरी सांस तक नरगिस के साथ वफादार रहे और एक सच्चे जीवन साथी की तरह उनका साथ निभाया, सुनील दत्त के जैसे पति आकर नरगिस दत्त बहुत खुश थी, ऐसा जीवन साथी सिर्फ नसीब वालों को मिलता हैं, सुनील दत्त एक वफादारी के मिसाल थे और आज के दौर के लड़कों के लिए एक आदर्श व्यक्ति हैं I सुनील दत्त और नरगिस को तीन बच्चे हुए एक बेटा और दो बेटियां बड़ा बेटा संजय दत्त, बेटियां प्रिया और नम्रता दत्त I संजय दत्त अपने मां और पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए बॉलिवुड में हीरो बने, जिन्हें लोग आज के दौर में मुन्ना भाई के नाम से भी पहचानते हैं, बड़ी बेटी प्रिया दत्त एक राजनीतिक नेता बनी, और छोटी बेटी नम्रता दत्त की शादी सुनील दत्त के दौर के मशहूर एक्टर राजेंद्र कुमार के बेटे कुमार गौरव के साथ हुई I
सुनील दत्त का फिल्मी करियर यही नहीं रुका “मदर इंडिया” के बाद उन्हें और भी बहुत सी फिल्में ऑफर हुई जैसे की…
- Mother India (1957)
- Sadhna (1958)
- Sujata (1959)
- Paigham (1959)
- Gumraah (1963)
- Milan (1967)
- Padosan (1968)
- Reshma Aur Shera (1971)
- Yaadon Ki Baaraat (1973)
- Pran Jaye Par Vachan Na Jaye (1974)
इसके अलावा
- “गुमराह”
- “आज और कल”
- “यह रास्ते हैं प्यार के”
- “आम्रपाली”
- “हमराज”
- “एक फूल चार कांटे”
इन फिल्मों ने सुनील दत्त के करियर को ऊंचाइयों के शिखर पर पहुंचा I साल 1968 में फिल्म प्रोडक्शन में हाथ आजमाया और अपनी पहली फिल्म बनाई “मन का मीत” इस फिल्म में सुनील दत्त ने अपने सगे भाई सोमदत्त को चांस दिया, और अपने भाई के साथ ही इन्होंने अभिनेता विनोद खन्ना को और लीना चंदावरकर को भी कास्ट किया I
इसके अलावा “नागिन”, “जानी दुश्मन”, “प्राण जाए पर वचन ना जाए”, “झूला” “मैं चुप रहूंगी” यह सुनील दत्त की खास और सुपरहिट फिल्में रही I 1990 के बाद सुनील दत्त “परंपरा”, “क्षत्रिय”, और अपने बेटे के साथ “मुन्ना भाई M.B.B.S, जैसे फिल्मों में काम किया I सुनील दत्त 1994 में फिल्म निर्देशन में उत्तर आए, इन्होंने अपनी पहली फिल्म “यादें” बनाई थी, “यादें” यह फिल्म पर्दे पर कुछ खास कमाल दिखा नहीं पाई, लेकिन इस फिल्म को हिंदुस्तान के फिल्मी इतिहास में सबसे अलग पहचान मिली I
फिल्म रेशमा और शेर में सुनील दत्त ने अमिताभ बच्चन को भी मौका दिया था, इन अभिनेताओं के अलावा सुनील दत्त ने अपने बेटे संजय दत्त को 1981 में फिल्म “रॉकी” से लॉन्च किया था I फिल्म प्रोडक्शन और फिल्म डायरेक्शन के साथ ही सुनील दत्त ने अपनी पत्नी नरगिस दत्त के साथ मिलकर अजंता आर्ट कल्चरल ट्रूप्स इस नाम से एक संस्था बनाई जिसके जरिए से यह फिल्म प्रोडक्शन से लेकर राष्ट्र से लेकर लोक कल्याण यानी { पब्लिक वेलफेयर } जैसे काम करते रहे I सुनील दत्त की प्रोफेशनल लाइफ अच्छी चल रही थी, तभी अचानक उन्हें पर्सनल लाइफ में एक ऐसी बात पता चली कि उसे वह बहुत ज्यादा परेशान हो गए, अचानक सुनील दत्त को पता चला कि उनकी पत्नी नरगिस को लिवर कैंसर हुआ है I
अब यहां से सुनील दत्त की रियल परीक्षा शुरू हुई, और अपने इस परीक्षा में वह पास भी हुए, इतनी मुश्किल वक्त में भी सुनील दत्त ने अपने पत्नी का खूब साथ दिया उनका ख्याल रखा, उनके इलाज के लिए दिन रात एक किया I उन्होंने न सिर्फ हिंदुस्तान में बल्कि अमेरिका के बड़े-बड़े डॉक्टरो से अपनी पत्नी का इलाज करवाया I जब नरगिस दत्त का कैंसर का इलाज चल रहा था, उस वक्त बेटे संजय दत्त की पहली फिल्म लांच हो रही थी, बेटा भी ऐसा जो दिन रात ड्रग्स के नशे में रहता और बात बात पर अपना आपा खो देता था I एक और सुनील दत्त अपने बेटे संजय दत्त की जिंदगी बनाने में लगे थे, तब दूसरी और अपनी पत्नी के इलाज के लिए अलग-अलग देश में अस्पताल के चक्कर लगा रहे थे, और एक तरफ दो बेटियां थी जिनकी परवरिश और उनकी देखभाल भी दत्त साहब के ही जिमे था I
हिंदुस्तान से लेकर अमेरिका तक हर मुमकिन कोशिश की दिन रात एक किया, हर उस अस्पताल गए जहां उन्हें लगा कि उनकी पत्नी का इलाज हो जाएगा और वह ठीक होगी, पर अफसोस लाख कोशिश करने के बाद भी सुनील दत्त अपनी पत्नी को बचा नहीं पाए, और साल 1981 में लिवर कैंसर से लड़ते हुए नरगिस दत्त की मौत हुई I सुनील दत्त को अपनी पत्नी के मौत का बहुत गहरा सदमा लगा था, पर इन्होंने हिम्मत नहीं हारी अपने बच्चों के लिए अपने दिल पर पत्थर रखकर खुद को संभाल लिया, अपने पत्नी के याद में इन्होंने कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए अस्पताल बनाया, जिसका नाम इन्होंने नरगिस दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेशन रखा, ताकि फिर कोई परिवार कैंसर के इलाज के लिए दरबदर ना भटके I
धीरे-धीरे 3 साल बित गए और दिल के जख्म भी भरने लगे, और साल 1984 में सुनील दत्त राजनीति में उतरे और उन्होंने कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन किया, पहली बार सुनील दत्त को कांग्रेस पार्टी के टिकट पर मुंबई उत्तर – पश्चिम लोक सभा के चुनाव लड़ने का मौका मिला, साल 1989 से लेकर 1991 तक सुनील दत्त ने कुर्सी पर अपनी पकड़ बनाए रखी I बेटे संजय दत्त के खिलाफ मुकदमे के वजह से 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव नहीं लड़े, इसके बाद दत्त साहब ने साल 1999, 2000, 2004 के लोकसभा चुनाव के सीट पर फिर से लौटे I साल 2004 में श्री मनमोहन सिंह साहब के सरकार मे सुनील दत्त को स्पोर्ट्स मिनिस्टर का पद मिला, एक राजनेता होने के हैसियत से सुनील दत्त ने अपने क्षेत्र में बहुत काम किया, और अपने काम की वजह से हमेशा लोगों के बीच वह एक लोकप्रिय राजनेता बने रहे I
सुनील दत्त को लोगों ने एक देशद्रोही के पिता क्यों कहा…
हिंदुस्तान के सबसे लोकप्रिय राजनेता होने के बावजूद भी सुनील दत्त के जैसे ईमानदार और शानदार समाज सेवक, एक दिग्गज अभिनेता पर एक देशद्रोही के पिता होने जैसे इल्जाम भी लगे I दर असल यह बात है साल 1993 के मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट के बाद सुनील दत्त के बेटे संजय दत्त के घर पर AK 56 राइफल और कुछ दूसरे अवैध चीज मिली I संजय दत्त को आर्म्स एक्ट टाड़ा यानी टेररिस्ट एंड डिस्ट्रक्टिव एक्टिविटीज प्रोफेशनल एक्ट के तहत दोषी पाते हुई सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुनाई और जेल भेज दिया I
सुनील दत्त ने अपने बेटे को बचाने के लिए बहुत कोशिश की बहुत हाथ पैर मारे और यह कहते हुए सिफारिश की संजय दत्त ने AK 56 राइफल अपने और अपने परिवार के सुरक्षा के लिए अपने पास रखी थी, संजय दत्त के इस हरकत से सुनील दत्त को आम जनता के गुस्से का सामना भी करना पड़ा, और उसी जनता में से कुछ लोगों ने सुनील दत्त को एक देशद्रोही के पिता भी कह दिया, उस पिता को जो अपने नशेड़ी बेटे को बचाने की कोशिश में लगे थे I
जो लोग दत्त साहब को करीब से जानते हैं उन लोगों का कहना है कि सुनील दत्त एक अच्छे अभिनेता, राजनेता, समाज सेवक और एक बहुत ही अच्छे इंसान थे, पर उन्होंने एक पिता के रूप में बहुत परेशानियों का सामना किया, उनके कुछ जाने वाले लोगों का कहना है अपनी पत्नी के मरने के बाद अपने बेटे के प्रति उनके प्यार ने अपने बेटे के गलतियों का एहसास कभी होने ही नहीं दिया, वह हर बार अपने बेटे के हर छोटी बड़ी गलती को नजर अंदाज कर उसकी गलतियों की सिफारिश करने पर उन्हें मजबूर कर दिया था I
लेकिन उनकी पत्नी नरगिस दत्त की सबसे कामयाब और लोकप्रिय फिल्म “मदर इंडिया” जिसमें दत्त साहब ने उनके साथ काम किया, सुनील दत्त का यह रवैया इस फिल्म के छवि से बिल्कुल अपोजिट है, फिल्म में दर्शाता है कि अपने बेटे के गलत होने पर एक मां ही अपने हाथों से बेटे को मार देती है, इस फिल्म के मुताबिक दत्त साहब को एक अच्छा पिता कहना यह थोड़ा गलत ही होगा, यह एक रियल लाइफ थी ना की फिल्मी दुनिया I
नरगिस दत्त अपने इकलौते बैठे संजय दत्त से बहुत प्यार करती थी, और उन्हें के ज्यादा लाड प्यार करने की वजह से संजय दत्त इतना बिगड़ गए कि नरगिस दत्त के मौजूदा वक्त में उन्हें हर तरह के नशे करने की आदत लग गई थी, I सुनील दत्त ने अपनी जिंदगी में बचपन से ही बहुत से मुश्किलों का सामना किया, फिर वह अभिनेता बने एक पिता बने फिर राजनेता बने इन्होंने अपनी जिंदगी के हर किरदार में बहुत सी परेशानियां देखी I लेकिन फिल्मों में और समाज में योगदान के लिए इन्हें बहुत से अवार्ड और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, सुनील दत्त को 1964 में “मुझे जीने दो” इस फिल्म के लिए पहले अवार्ड मिला, और इसके बाद 1966 में फिल्म “खानदान” के लिए फिल्म फेयर का बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला I
1968 में सुनील दत्त को भारत सरकार ने पद्मा श्री पुरस्कार से सम्मानित किया था, इसके कई साल बाद 1982 में महाराष्ट्र के सरकार ने इन्हें 1 साल के लिए मुंबई का शरीफ नियुक्त किया, इसके कुछ साल बाद 1995 को फिल्म फेयर के लाइफ टाइम अचीवमेंट से सम्मानित किया I 2003 में सुनील दत्त अपने बेटे संजय दत्त के साथ पहली बार स्क्रीन शेयर किया, और फिल्म मुन्ना भाई M.B.B.S में नजर आए, बाप और बेटे के ऑन स्क्रीन इस जोड़ी को दर्शकों ने बहुत पसंद किया, दत्त साहब कि यह फिल्म अपने बेटे के साथ पहली और आखिरी फिल्म रही I अब आती है वह घड़ी जिसमें एक लीजेंडरी एक्टर और सबसे लोकप्रिय राजनेता अलविदा कह कर चले गए, 25 में 2005 को हिंदुस्तान की फिल्म इंडस्ट्री ने एक और सितारा को दिया I 25 में 2005 को मुंबई के पाली हिल बांद्रा में स्थित अपने बंगले में सुनील दत्त ने अपनी आखिरी सांस ली दिल का दौरा पढ़ने से उनकी मृत्यु हो गई I
इसी के साथ हिंदुस्तान का एक महान अभिनेता जिसने हिंदुस्तान फिल्म इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दिए,और अपनी प्रतिमा रहती दुनिया तक लोगों के जहेन में छाप दिया, और इसी के साथ एक योग्य राजनेता ( समाज सेवक ) हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़ गया, जो मरते दम तक अपने जीवन साथी के साथ वफादार रहा, अपने काम से प्यार किया, और अपने क्षेत्र के जनता के मदद के लिए हमेशा आगे रहे I
यह थी दोस्तों हिंदुस्तान के शांत स्वभाव दिग्गज एक महान अभिनेता सुनील दत्त साहब के जीवन का परिचय I