आज हम जानेंगे एक ऐसी शख्स के बारे में जिसका ख्वाब था ट्रेन ड्राइवर बनने का, किस्मत ने उसे इंडियन सिनेमा का “The Great Showman” बना दिया…एक ऐसा नायक जिसने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को एक नई पहचान दी, जिसने सिनेमा के इतिहास का सबसे गौरवशाली पना लिखा I Showman के नाम से लोकप्रिय एक संपूर्ण फिल्मकार रणबीर राज कपूर जिनकी फ़िल्में संगीत, सामाजिक संदेश के लिए लोकप्रिय थे, और फिल्म इंडस्ट्री में इनका आना एक इत्तेफाक था, और फिल्मों के इस स्टार कलाकार का बचपन से एक ट्रेन ड्राइवर बनने का ख्वाब था, इन्होंने अपने करियर की शुरुआत महीना ₹1 रुपए तनखा से की थी I
“काम करो ऐसा की एक पहचान बन जाए, और हर कदम ऐसा चलो एक निशान बन जाए”, “यहां जिंदगी तो हर कोई काट लेता है, जिंदगी जियो इस कदर की मिसाल बन जाए”, यह लाइन उस शख्स पर सटीक बैठते हैं, जिसे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में “The Great Showman” के नाम से जाना जाता है I 14 नवंबर 1924 को ब्रिटिश भारत के पेशावर में रणबीर राज कपूर साहब का जन्म हुआ था, जो कि अब यह पाकिस्तान का हिस्सा हैं, राज साहब के पिता पृथ्वीराज कपूर और उनकी मां रामसरनी मेहरा के 6 बच्चों में यह सबसे बड़ी संतान थे, हालांकि उनकी 6 बच्चों में से सिर्फ चार ही रह गए, राज कपूर, शम्मी कपूर, शशि कपूर और बहन उर्मिला कपूर I राज कपूर और शमी कपूर के बीच दो भाई और थे, जिनका बचपन में ही निधन हो गया था, बाद में इनका परिवार पेशावर से पंजाब आ गया, राज साहब की शुरुआती पढ़ाई देहरादून की Colonel Brown Cameras स्कूल से हुई थी I
पृथ्वीराज कपूर साहब अलग-अलग थिएटर कंपनी में काम करते हुए कभी मुंबई कभी कोलकाता आते जाते रहते थे, जिसके बाद राज साहब को भी पृथ्वीराज कपूर थिएटर का हिस्सा बन गए, और अपने पिता के साथ काम में उनका हाथ बठाने लगे I राज साहब ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था की बचपन में हर एक बच्चे का कोई ना कोई ख्वाब होता है कि वह बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं, और बचपन में राज साहब का सपना था कि बड़े होकर ट्रेन ड्राइवर बनेंगे I राज साहब के बचपन का एक और किस्सा जो की खूब मशहूर है, उनका परिवार कोलकाता में रहता था, तब एक दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी तब उनकी मां ने पृथ्वीराज कपूर साहब से कहा क्या राज आज अपनी गाड़ी में बैठकर स्कूल जा सकता है, पृथ्वीराज कपूर साहब एक बहुत ही सख्त मिजाज के इंसान थे, और उनका यह मानना था कि बच्चों को शुरुआत में ऐश और आराम नहीं देना चाहिए I
जिसके चलते उन्होंने कहा कि वैसे तो बहुत से लोगों है जो इतनी तेज बारिश में भी अपने-अपने काम पर जा रहे होंगे, अगर वाकई देर हो रही है और राज को गाड़ी चाहिए तो उसे भेज दो, अभी मां बाप इस बात पर बात कर ही रहे थे की तभी बगल वाले कमरे में मौजूद राज साहब ने यह सारी बातें सुन ली और रेनकोट ओड़े हुए, एक हाथ में छतरी और दूसरे हाथ में स्कूल का दफ्तर लेकर स्कूल के लिए निकल पड़े, जब उनकी मां ने उन्हें आवाज लगानी चाहि तो पिता ने उन्हें रोकने से मना कर दिया, और कहां की देखना ये लड़का एक दिन ऐसी गाड़ियों का मालिक बनेगा जिसके बारे में मैं सोच भी नहीं सकता, इसके खुद्दारी को ललकारा गया है और यही बात कमाल कर दिखाएंगे I
महेज 10 साल की उम्र में राज साहब अपनी पहली फिल्म में नजर आए थे, और इस फिल्म का नाम था “Inquilab” जो कि साल 1935 में रिलीज हुई थी, इसके बाद राज साहब छोटे बड़े फिल्मों में काम करते रहे, फिर उनकी जिंदगी में आए Kedar Sharma जो की एक फिल्म बना रहे थे, और इन्होंने उस फिल्म में राज साहब को ए क्लैपर बॉय ले लिया I जब राज साहब ने पहली बार क्लैप किया तो हीरो की मूंछ निकल गई, ऐसा एक बार नहीं बल्कि कई बार हुआ, क्योंकि उन्हें ढंग से क्लैप देना नहीं आ रहा था I यह देख गुस्से में केदार शर्मा ने राज साहब को थप्पड़ मार दिया, और केदार शर्मा को बाद में बहुत पछतावा भी हुआ, और सोचा कि लड़का खुद हीरो बनने चाहता है, और यह इतने बड़े और महान एक्टर का बेटा है लिहाजा उसने फिल्मों में एक मौका तो देना चाहिए I
साल 1947 में राज कपूर को लेकर फिल्म “Nil kamal” बनाई गई, इस फिल्म में राज कपूर के साथ अदाकारा मधुबाला जी लीड रोल में थी, और इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक कमाई की और राज साहब को लोग अदाकार के रूप में पहचानने लगे I 1948 जब राज साहब की उम्र 23 साल थी राज साहब ने सोचा कि उन्हें अपने खुद की फिल्म बननी चाहिए, उनके माता-पिता ने इन्हें खूब समझाया कि बगैर पैसों के फिल्म नहीं बनाई जा सकती, तब राज साहब ने कुछ लोगों से पैसे उधार लेकर और यहां वहां से पैसे जमा कर फिल्म “Aag” बनाई, और इस फिल्म में उनके साथ नरगिस जी लीड रोल में थी I फिल्म के लिए डिस्ट्रीब्यूटर ने कहा राज साहब जब आप अपने फिल्म बना ही ली है, तो अपना खुद का थिएटर भी बना ही लो, जब राज साहब ने पूछा क्यों ? तब डिस्ट्रीब्यूटर ने कहा कि अगर आग लगे तो सिर्फ आपके थिएटर में लगे, हमारे थिएटर में क्यों लगे I
यह तना बड़ा ही जबरदस्त था और यह बात राज साहब के दिल पर लग गइ, इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाई तो नहीं की, लेकिन राज साहब की फिल्म को देखकर यह पता चलता है कि राज साहब अपना काम बखूबी जानते हैं, और उसी आग के ज्वाला ने राज साहब को आगे बढ़ाया I एक तरफ राज साहब एक अदाकार के तौर पर काम कर रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ डायरेक्टर तौर पर भी काम कर रहे थे, और इसी मेहनत और लगन की वजह से राज साहब ने अपना RK Banner बना लिया I फिल्म ‘Barsat” के बाद फिल्म प्रोड्यूसर के तौर पर अच्छी कामयाबी भी मिली, फिल्म से ही राज साहब और नरगिस जी के एक सीन को लेकर RK Banner का Logo बनाया गया I
उसके बाद राज साहब ने फिर पलट कर कभी नहीं देखा, फिर डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और एक्टर के तौर पर काम किया I फिर एक दिन अपना स्टूडियो बनाने की बात अपने पत्नी से कहीं, तब उनकी पत्नी कृष्णा राज ने कहा कि पहले अपना खुद का घर तो होना चाहिए, अपनी पत्नी की इस बात पर राज साहब ने कहा देखो कृष्णा जिनके मकान बनते हैं उनके स्टूडियो कभी नहीं बनते, पर जिनके स्टूडियो बन जाते हैं उनके मकान जरूर बनते हैं I शुरुआती दिनों में RK स्टूडियो बगैर छत का हुआ करता था, दिन रात काम करते गए और फिल्में बनाते गए, फिर धीरे-धीरे RK स्टूडियो पर छत भी बनाई गई I
उन दिनों राज साहब की फिल्में खूब चल रही थी, चाहे वह “Awara” हो या “Shree 420” या “Chori Chori” “Jagte Raho” या फिर “Jis Desh Me Ganga Behti Hai” राज साहब को अवार्ड और पुरस्कार से भी नवाजा जा रहा था, और यह लिप से हटकर भी फिल्में प्रोड्यूस कर रहे थे, जैसे “Boot polish” और “Ab Delhi Dur Nahin” I “आवारा” और “श्री 420” जैसी फिल्मों में राज कपूर ने गरीब और साधारण व्यक्ति की भूमिका निभाई, और इन फिल्मों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनकी फिल्म “आवारा” और उसके गाने विशेष रूप से रूस और चीन में बहुत प्रसिद्ध हुए।
राज कपूर साहब की निज़ी जिंदगी :
1946 में कृष्ण मल्होत्रा से राज साहब की शादी हुई, इस नाते से राजेंद्र नाथ, प्रेम नाथ, और नरेंद्र नाथ राज कपूर के साले हुए, क्योंकि ये उनकी पत्नी कृष्णा मल्होत्रा के भाई थे, और बाद में प्रेम चोपड़ा भी राज साहब के रिश्ते से साडू बन गए, क्योंकि कृष्णा राज की छोटी बहन उमा की शादी प्रेम चोपड़ा से हो गई I जहां एक तरफ राज साहब ने अपने थिएटर में अपना सिक्का जमाया था, फिल्म एक्टिंग में भी सिक्का जमा रहे थे, और वहीं दूसरी तरफ डायरेक्टर, प्रोड्यूसर के तौर पर जबरदस्त कामयाबी हासिल कर रहे थे, इन्होंने अपनी एक बड़ी ही शानदार टीम बना ली थी I
जिसमें एक तरफ थे संगीतकार Shankar Jai Kishan और दूसरी तरफ गीतकार Shailendra और Hasrat Jaipuri, और दूसरी तरफ राइटिंग डिपार्टमेंट में थे Khwaja Ahmad Abbas और VP Sathe और राज साहब की आवाज बने मुकेश साहब जब वह एक्टिंग में बिजी हो गए तब उनकी आवाज बने Manna Dey जिन्होंने बहुत ही अनोखे गाने गए, फिर वह चाहे “Shree 420” और Chori Chori के गाना ही क्यों ना हो Manna Dey इसे अपने अंदाज से गाकर यादगार बनाया I
राज कपूर ने अपने बच्चों से भी यही कहा था की देखो अगर फिल्मों में काम करना है तो तुम RK स्टूडियो में काम नहीं करोगे, पहले दूसरों के पास जाकर काम सीखोगे फिर उसके बाद RK स्टूडियो में काम करोगे I राज साहब के तीनों बेटों ने ही फिल्मों में अपना करियर बनाया, बड़े बेटे रणधीर कपूर मजले बेटे ऋषि कपूर और सबसे छोटे बेटे राजीव कपूर, दोनों बेटियां रीमा और रितु फिल्मों से बहुत दूर रही, हालांकि राज साहब की पोतीयो ने यह साबित कर दिया कि कपूर खानदान की औरतें भी फिल्मों में काम कर के अपना करियर भी बन सकती है, और कामयाब भी बन सकती हैं, तो वही कपूर खानदान की दो बहुएं भी फिल्मों से ही आई थी, बड़े बेटे रणधीर कपूर की वाइफ बबीता और मजले बेटे ऋषि कपूर की वाइफ नीतू सिंह I
60 के दशक में आते आते राज साहब ने ठान लिया था कि वह एक ऐसी फिल्म बनाएंगे जो इनके जीवन पर आधारित होगी और वह फिल्म “Mera Naam Joker” रही, राज साहब दुनिया भर में मशहूर और लोकप्रिय थे खास तौर पर रसिया और चीन में और रशियन सर्कस के बहुत से कलाकार “Mera Naam Joker” इस फिल्म में नजर आए I इस फिल्म में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े दिग्गज अदाकारों ने काम किया, पर अफसोस यह फिल्म राज साहब के उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी, और बुरी तरह से बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हुई I इस फिल्म के फ्लॉप होने से राज साहब को बहुत दुख हुआ, इसके बाद राज साहब को अपनी जिंदगी में बहुत कुछ नीलम भी करना पड़ा, ऐसे लगा के जैसे राज साहब खत्म हो गए I
किन कुछ वक्त के बाद राज साहब ने अपने राइटर टीम से कहा की एक कहानी लिखो जो “Mera Naam Joker” के पहले भाग पर आधारित होगी, और इसमें हीरो होगा उनका मजाला बेटा चिंटू यानी ऋषि कपूर बतौर और हीरोइन डिंपल कपाड़िया को साइन कर लिया गया I 60 के दशक आते आते संगीतकार शंकर जय किशन की जोड़ी टूट गई थी, क्योंकि जयकिशन साहब का निधन हो गया था, गीतकार का शैलेंद्र और हसरत की जोड़ी भी टूट चुकी थी, क्योंकि शैलेंद्र का भी निधन हो चुका था I लिहाजा राज साहब ने एक नई टीम के साथ काम किया, संगीतकार Laxmikant Pyarelal और गीतकार Anand Bakshi फिल्म Bobby ने कमाल कर दिखाया, और बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए I
“Mera Naam Joker” ने जो धक्का दिया था उसे बॉबी फिल्म की सफलता ने दूर कर दिया, वह और बात है कि मेरा नाम जोकर ने वो मुकाम हासिल किया जिससे उनके परिवार को बड़ा गर्व हुआ I एक बड़ा ही जबरदस्त कंपटीशन था, Raj Kapoor Sahab, Dilip Kumar Sahab और Dev Anand Sahab के बीच, पर इन तीनों की फिल्में अपना अलग-अलग स्थान रखती थी, राज साहब और दिलीप साहब बचपन से एक दूसरे को बहुत अच्छे से जानते थे, बल्कि वह बचपन से ही अच्छे दोस्त थे I राज साहब को कई बार National Film Award से भी सम्मानित किया गया, और उन्होंने कई फिल्मों के लिए विभिन्न श्रेणी में बहुत से अवार्ड और पुरस्कार अपने नाम किए I
राज साहब के पोते का नाम भी उनके ही नाम पर रखा गया Ranbir Raj Kapoor, राज साहब के डायरेक्शन में परिवार के कई लोगों ने काम किया, पृथ्वीराज कपूर, शम्मी कपूर, शशि कपूर, ऋषि कपूर, और राजीव कपूर पर उनके सबसे बड़े बेटे रणधीर कपूर ने कभी राज साहब के प्रोडक्शन हाउस में काम नहीं किया I धीरे-धीरे वह वक्त भी आया जब राज कपूर साहब को Dadasaheb Phalke पुरस्कार से सम्मानित किया जाना था, और राज साहब की उम्र 63 साल की हो चुकी थी, और तब राज साहब अस्थमा से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे थे, यह साल था 1988 इससे पहले की राज साहब अवार्ड अपने हाथों ले पाते, उनकी तबीयत अचानक बहुत बिगड़ गई, राष्ट्रपति साहब इनके पास खुद इन्हें Dadasaheb Phalke पुरस्कार से सम्मानित करने पहुंचे, पर अफसोस अवार्ड लेते-लेते ही राज साहब की हालत और बुरी तरह से बिगड़ गई थे, तब तुरंत राज साहब को दिल्ली में स्थित AIIMS Hospital एडमिट किया गया I
कुदरत को तो कुछ और ही मंजूर था 2 जून 1988 को राज साहब के जिंदगी की फिल्म यही रुक गई, और वो पीछे छोड़ गए बहुत सी सुपरहिट फिल्मों का खजाना, भारतीय सिनेमा के गौरवशाली इतिहास में राज साहब का दर्जा हमेशा ऊंचा था और ऊंचा ही रहेगा I उनका योगदान भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमर है और उनकी फिल्में आज भी दर्शकों के दिलों में बसी हुई हैं I राज कपूर को भारतीय सिनेमा में शो मैन का दर्जा हासिल है, और वे हमेशा एक सच्चे कलाकार और सिनेमा के महान संरक्षक के रूप में याद किए जाएंगे। उनकी फिल्में आज भी सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से प्रासंगिक हैं और वे सिनेमा के माध्यम से समाज को प्रेरित करते हैं।
तो यह थी दोस्तों हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के “The Great Showman Of Indian Cinema” कहे जाने वाले रणबीर राजा कपूर साहब के जीवन का परिचय I