कैसे एक औरत अपने पांच बेटियों के साथ ‘ द गोल्डन गर्ल्स ’ के नाम से मशहूर हुई… 

   कल्पना सातवीं क्लास में पढ़ती थी, वह बहुत गरीब परिवार से थी उसके परिवार में उसके माता-पिता और दो बड़े भाई थे I कल्पना पढ़ाई में बहुत होशियार थी, वह अपनी पढ़ाई बहुत मन लगाकर किया करती, वह सातवीं क्लास में अच्छे नंबर लाई थी, और आठवीं क्लास में दाखिला होना था I कल्पना का सपना था कि वह पढ़ लिखकर कुछ बने, और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को बदले I लेकिन कल्पना के पिता श्याम लाल जी को उसे और आगे पढ़ना नहीं था, उनका मानना था बेटियों को कितना ही क्यों ना पढ़े आखिर में तो उन्हें शादी करके अपनी गृहस्थी ही संभालनी होती है I श्याम लाल जी ने किसी तरह कल्पना को समझाया कि तुम्हारी पढ़ाई इतनी जरूरी नहीं है, जितना जरूरी तुम्हारे भाइयों का पढ़ना है, मैं एक गरीब पिता हूं और मैं इस गरीबी में तीनों की पढ़ाई का खर्चा नहीं उठा सकता, मेरी मजबूरी को समझो बेटी I

   अपने पिता की बात सुन कल्पना अपनी पढ़ाई वहीं पर छोड़ देती है, और घर के कामों में मां की मदद करती हैं I कुछ साल ऐसे ही गुजरते हैं, हमारे घर के पड़ोस में रहने वाली विमला मौसी ने अपने पहचान का एक रिश्ता मेरे लिए लेकर आई I मां और पिताजी को रिश्ता अच्छा लगा, तो पिताजी ने तुरंत उस रिश्ते को हां कह कर मेरी शादी करवा दी I 20 साल की उम्र में शादी कर अपने ससुराल पहुंच गई, मेरे पति अक्षय स्वभाव के बहुत अच्छे थे, लेकिन मुझे अपने ससुराल वालों के साथ घूलने मिलने में थोड़ा वक्त लगा I पूरा दिन सबके लिए चाय, नाश्ता, गरमा गरम खाना बनाने में और घर के बाकी कामों में ही मैं व्यस्त रहती, पर मुझे इस बात से कोई परेशानी नहीं थी I मुझे अच्छा लगता था, घर के काम करना और घर के सभी लोगों के खाने पीने का उनके सेहत का ख्याल रखना, ऐसे ही मेरी शादी को 2 साल बीत गए I

किस मनहूस घड़ी में इसे हम अपने घर लेकर आए थे…

   2 साल के बाद भगवान ने मेरे गोद एक प्यारी सी बेटी देकर भर दी, अक्षय बेटी से बहुत प्यार करते थे, उसके साथ खेलना, उसके साथ वक्त बिताना उन्हें बहुत अच्छा लगता था I लेकिन मेरे ससुराल वालों को बेटी होने का बहुत अफसोस था, वह लोग थोड़ा नाराज थे, क्योंकि उन्हें बेटा चाहिए था I ऐसे ही और 2 साल बीत गए और मुझे एक और बेटी हुई, उस वक्त भी मेरे ससुराल वाले बहुत नाराज हुए, और हर छोटी बड़ी बात पर मुझे ताने मारने लगे, कहने लगे की कैसी बहू है यह हमारे खानदान को एक चिराग नहीं दे सकती, न जाने किस मनहूस घड़ी में इसे हम अपने घर लेकर आए थे I घर के सभी लोग हर वक्त कुछ ना कुछ कहते रहते और मैं इसे बहुत परेशान हो चुकी थी, अब तक मुझे पांच बेटियां हुई थी, और मेरे ससुराल वाले मेरे साथ मेरी बेटियों को भी कोसते रहते, उन्हें भी बुरा भला कहते और अब मुझसे यह सब बर्दाश्त नहीं हो रहा था I

    यह सब देख अक्षय को भी अच्छा नहीं लगता था, वह भी अपने घर वालों से बहुत परेशान हो गए थे I 12 साल एक ही परिवार मेंरहे, जब बात हद से ज्यादा बढ़ गई तो अक्षय ने भी परिवार से अलग होने का फैसला किया, और हम लोग अपने परिवार को छोड़कर दूसरे शहर रहने चले गए I दूसरे शहर आने के बाद नए लोग नई जगह वहां पर घूलने मिलने में हमें ज्यादा वक्त नहीं लगा, वहां के लोगों से हमारी दोस्ती बहुत जल्दी हो गई, अक्षय ने वहां पर अपने कैटरिंग के नए काम की शुरुआत की I नए शहर आकर हमें 8 साल हो चुके थे, और इन आठ सालों में हमने कभी आलस नहीं दिखाया, अक्षय और मैं सुबह सूरज से पहले उठाते, और अपने कैटरिंग के काम में लग जाते I

कैटरिंग का ऑर्डर देने के लिए जा रहे थे, की तभी आते हुए रास्ते…

    बेटियां भी बड़ी हुई थी, दोनों बड़ी बेटियां कॉलेज में पढ़ती थी और छोटे अभी स्कूल जाती थी I बड़ी बेटियां कॉलेज से आकर पढ़ाई करती और अपने कॉलेज के इवेंट में पार्टिसिपेट भी करती थी, और छोटी बेटियों स्कूल में अलग-अलग प्रतियोगिता में भाग लेती और प्रतियोगिता जीत कर अपने मां-बाप का नाम गर्व से ऊंचा करती, यह देख अक्षय भी बहुत खुश होते I अक्षय अपनी बेटियों को पढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत करते, उन्होंने कभी बेटा ना होने का अफसोस नहीं किया, और ना ही कभी बेटे की उम्मीद की I अक्षय का मानना था चाहे बेटा हो या बेटी बस ओलाद अच्छी होनी चाहिए, जो अपने मां-बाप का नाम गर्व से ऊंचा कर सके I सब कुछ ठीक चल रहा था एक दिन C एक्सीडेंट हो गया, और जगह पर ही उनकी मौत हो गई I 

    अभी मेरी उम्र है क्या थी सिर्फ 45 साल, की उम्र में मैं विधवा हो गई, और मेरे साथ थे मेरी पांच बेटियां, उनकी परवरिश उनके लिए रिश्ते देखना उनकी शादियां करना अब यह सब मेरे अकेली के ही जिम्मे था I अक्षय के अंतिम संस्कार के कुछ दिन बाद मैंने फिर से अपने काम की शुरुआत की, पर मेरे सास ससुर और रिश्तेदारों को यह बात अच्छी नहीं लगी, मेरा अपने पांच बेटियों के साथ अकेले रहना, उनकी परवरिश करना और अपना काम संभालना, यह बातें हमारे रिश्तेदारों को पसंद नहीं थी I उनका कहना था कि मैं वापस अपने गांव जाकर उनके नजरों के सामने उनके साथ रहकर अपने बेटियों की परवरिश करूं I पर मैं अपने पति के शुरू किए हुए काम को ऐसे बीच रास्ते में छोड़कर नहीं जाना चाहती थी, और बच्चियों की स्कूल यहीं पर थी, बड़ी बेटियों का कॉलेज शुरू था, ऐसे में बीच रास्ते में उनकी पढ़ाई छुड़ाकर जाना मतलब उनकी पढ़ाई का बहुत नुकसान होता I

और उन्होंने मुझे अपने आत्मसम्मान के…

    अगर मैं वापस ससुराल वालों के पास चली भी जाती तो वह मेरे बेटियों का पढ़ना मुश्किल कर देते, कहते की बेटियों को ज्यादा पढ़ा लिखा के क्या करना है, वैसे भी तो उन्हें शादी के बाद अपना ससुराल और रसोई संभालनी होती है I उस वक्त मेरे साथ मेरी बेटियां थी, और उन्होंने मुझे से कहा कि मां अब परेशान मत होइए हम हैं आपके साथ, कोई कुछ भी क्यों ना कहे पर आप अपना काम मत छोड़ना, और हम अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ेंगे, आपको अपने पैरों पर खड़ा होना हैं, और उन्होंने मुझे अपने आत्मसम्मान के लिए लड़ना सिखाया, अपनी बेटियों के साथ हिम्मत करके तब मैंने उन्हें साफ शब्दों में मना कर दिया, तो वह कहने लगे हम भी देखते हैं कि बिना पति और पिता के सहारे के यह मां बेटियां क्या करती हैं, कब तक अकेली रहेगी, एक न एक दिन तो इन्हें हमारे पास वापस लौट के आना ही पड़ेगा, तब हम इन्हें बताएंगे I

   लेकिन मैंने भी हार नहीं मानी उनके बातों को अनदेखा कर अपने काम में लग जाती, शुरुआती दिनों में थोड़ा मुश्किल था, अक्षय के बिना अकेले सब संभालना, बड़े-बड़े ऑर्डर लेना उन्हें बनाना, पर धीरे-धीरे वक्त के साथ सब सीख गई I मैं इस बात का हमेशा ध्यान रखती थी कि मेरे काम का मेरी बेटियों के पढ़ाई पर कोई असर ना हो, वह भी मन लगाकर पढ़ाई करती और पढ़ाई के बाद कुछ वक्त मिलता, तो कभी कबार मेरी बड़ी बेटियां मेरे काम में मदद कर देती थी I देखते ही देखते 5 साल बीत गए इन 5 सालों में हमने फुर्सत की सांस नहीं ली मैंने खूब मेहनत की थी, और इसका फल भी मुझे मिला, मैंने अपना खुद का नया होटल खोला, और उसमें काम करने के लिए कुछ लोग भी रख लिए, और कुछ ही दिनों में होटल में ग्राहकों की गर्दी होना शुरू हुई, होटल भी अच्छे से चलने लगा I

जमाने में तो मर्द के होते हुए भी इतनी तरक्की करना बहुत…

    हमें आगे बड़ता देख रिश्तेदारों ने और लोगों ने फिर से ताने मारना शुरू किया, कहने लगे इन औरतों ने जरूर गलत तरीके से काम किया है, तभी तो इतनी तरक्की कर रही है वरना आज के जमाने में तो मर्द के होते हुए भी इतनी तरक्की करना बहुत मुश्किल होता है I उस वक्त भी मुझे और मेरी बेटियों को बहुत मुश्किल परिस्थितियों से गुजरना पड़ा, तीर की तरह चुभती थी लोगों की बातें, उस वक्त मैं लोगों की बातों का मुंह तोड़ जवाब देती थी, क्योंकि यह मुझे मेरी बेटियों ने सिखाया था कि अपने आत्मसम्मान के लिए लड़ना चाहिए, वरना यह लोग अकेली औरत का जीना बहुत मुश्किल कर देते हैं I मेरे हर कदम पर मेरी बेटियां ढाल की तरह मेरे साथ थी I  देखते ही देखते कुछ साल और बीत गए और मेरे बेटियों की पढ़ाई पूरी हो गई थी, और वह मेरे साथ मेरे कारोबार में जुड गई, फिर हमारा कारोबार तेजी से चलने लगा I

    फिर बेटियों के साथ मिलकर मैंने हमारा खुद का घर बनाया और तीन नए होटल खोलें, बढ़ते कारोबार के साथ मेरे बहुत से बड़े लोगों से जान पहचान हो गई थी I मेरी बेटियों की शिक्षा और काबिलियत देखकर इन्हीं के पहचान से मेरी दोनों बड़ी बेटियों के लिए बहुत अच्छे घर में रिश्ते भी तय हो गई, और मैंने बहुत ही धूमधाम से अपनी बेटियों की शादी की, छोटी बेटियां मेरे साथ ही कारोबार संभाल रही थी I 12 साल के अंदर ही मैं और मेरी बेटियां इतनी कामयाब हो गई थी की जगह-जगह हमारे चर्चे होने लगे, और जो लोग हमें ताने मारते थे, वह आज हमारी प्रशंसा करते थकते नहीं थे, और मेरे सास ससुर तो मेरी बेटियों को अपने पलकों पर बिठा के रखते थे, सारे लोग हमें ‘द गोल्डन गर्ल्स’ के नाम से जाने लगे I मेरे ससुराल वाले और रिश्तेदारों ने मुझसे कहा था, की बेटियां हैं मतलब बहुत बड़ी जिम्मेदारी है तुम पर ध्यान रहे, कहीं बेटियां गलत रास्ते पर न जाए, संभाल कर रहना कहीं समाज में नाक ना खटवानी पड़े तुम्हें, आज वही लोग हाथ जोड़ते हुए, अपने बेटों के लिए मेरी बेटियों का हाथ मांगने आते हैं I

   मेरे मां-बाप ने मुझे अच्छे संस्कार दिए, और एक अच्छी बेटी और एक अच्छी पत्नी होना सिखाया, लेकिन एक मां बनने के बाद मुझे मेरी बेटियों ने अपने आत्मसम्मान के लिए खड़े होना सिखाया, और एक आदमी के सहारे के बिना कामयाब होना सिखाया I जो लोग कहते हैं ना की बेटों से घर का वंश आगे बढ़ता है, बेटे तो घर का चिराग होते हैं, और बेटियां मां-बाप पर बोझ होती है, उन लोगों से मैं आज एक बात कहना चाहती हूं, बेटियां मां-बाप पर बोझ नहीं होती, अगर हम उन्हें अच्छी शिक्षा देंगे, अच्छे संस्कार देंगे, तो बेटों से ज्यादा बेटियां मां-बाप का नाम रोशन करती है, और समाज में सर गर्व से ऊंचा करती है I

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