एक ऑटो ड्राइवर की बेटी महाराष्ट्र राज्य की पहली मुस्लिम महिला IAS बनी… एक तरफ जहां महाराष्ट्र राज्य ज्यादातर किसानों के आत्महत्या के लिए मशहूर और बदनाम है, महाराष्ट्र राज्य के विदर्भ क्षेत्र में सुख और दुष्कळ ग्रस्त जिला यवतमाल को अपने खुशियां मनाने की वजह मिल गई, महाराष्ट्र राज्य के यवतमाल जिले में पहली मुस्लिम महिला IAS अधिकारी बनी है I एक ऑटो ड्राइवर की बेटी ने यह कारनामा कर दिखाया है, इनका नाम अदीबा अनम अशफाक शेख है, अदीबा साल 2025 के संघ लोक सेवा आयोग में 142वी रैंक हासिल करके भारतीय प्रशासनीय सेवा इस में शामिल हुई महाराष्ट्र राज्य की पहली मुस्लिम महिला बनी I
अदीबा के पिता अशफाक शेख को अपनी पढ़ाई पूरी करने का मौका नहीं मिला, अपने घर की आर्थिक परिस्थितियों के चलते उन्हें दसवीं क्लास में पढ़ाई छोड़नी पड़ी, लेकिन उन्होंने अपना सपना अपनी बेटी के जरिए से पूरा करने का फैसला किया I अदीबा को बचपन से ही पढ़ाई में काफी दिलचस्पी थी, वह बहुत ही होनहार और काबिल स्टूडेंट थी, अशफाक ने अपने बेटी को हर मुमकिन सहूलियत दी जितना उनसे हो सका I अशफाक जी को अदीबा के अलावा भी दो छोटे बेटे हैं और वह भी अपने बहन की तरह ही उसी के नक्शे कदम पर चल रहे हैं, अदीबा ने 10वीं बोर्ड में 98 % और 12वीं में 97 % जैसे अच्छे नंबरों से पास हुई, इसके बाद यवतमाल से पुणे आई अपने आगे की पढ़ाई पूरी करने, और यहां अदीबा ने Bsc Mathematics में अपना ग्रेजुएशन कंप्लीट किया I
ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के बाद बहुत से बच्चों को अपने भविष्य में कन्फ्यूजन होता है, कि अब आगे क्या करें लेकिन अदीबा ने अपना मकसद ठान लिया था, कि वह 12वीं के बाद सिविल सेवा परीक्षाओं पर ध्यान देगी, उसने सोचा था कि उसे अपनी जिंदगी में आगे क्या बना है और आगे क्या करना है I अदीबा के दूर के रिश्तेदार है जिन्हें वह मामा कहती हैं और वह एक सेवा एजेंसी के सचिव के रूप में काम करते है, अदीबा बताती है कि उन्होंने ही उन्हें IAS अधिकारियों से मिलवाया, और उनके उनसे मिलने के बाद सिविल सेवा परीक्षाओं के लिए मेरा Attraction और उसके प्रति दिलचस्पी बढ़ गई I
इस IAS में कामयाब होना मेरा लक्ष्य बन गया और इसे पूरा करने के लिए मैंने दिन रात कड़ी मेहनत करनी शुरू कि I अदीब ने एक इंटरव्यू में बताया कि कामयाबी के रास्ते आसान नहीं होते, मेरे कामयाबी के सफर में बहुत से मुश्किलें और उतार-चढ़ाव भी आए लेकिन मैंने IAS बनने के ख्वाब को अधूरा नहीं छोड़ा अपने जिद पर डटी रही और अपने कामयाबी को पा लिया I
ग्रेजुएशन कंप्लीट होने के बाद अदीबा ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी, वह पहले अटेम्प्ट में नाकामयाब हुई, और दूसरे अटेम्प्ट में Interview तक पहुंच गई, लेकिन final selection list मैं वह अपनी जगह ना बन पाई उसमें नाकामयाब हुई I लेकिन फिर भी उसने कभी हिम्मत नहीं हारी और अपने आप पर जो विश्वास था उसे कम होने नहीं दिया, मैंने इसे एक challenge की तरह लिया और दिन रात कड़ी मेहनत करके इसे कामयाब बनाने का ठन लिया I
मुस्लिम समाज में लड़कियों का पढ़ाई करना आसान नहीं है, लेकिन अदीब के माता-पिता ने उनका खूब साथ दिया, अदीबा कहती हैं कि मैं अपने मां की बहुत शुक्रगुजार हूं जो मेरे लिए एक मजबूत सहारा और स्तंभ बनी I समाज लड़कियों के एजुकेशन के लिए हमेशा खिलाफ है, आज भी समाज में बहुत से ऐसे लोग हैं जो नहीं चाहते कि लड़कियां हाई एजुकेशन हासिल कर अपने पैरों पर खड़ी रहे I
मेरे पिता ने समाज की और लोगों की फिक्र ना करते हुए मुझे अपने मकसद पर ध्यान देने को कहा, मेरी माता-पिता मुझ से हमेशा यह कहते थे कि तुम समाज के दबाव को अपने आप पर हावी मत होने दो I मेरे पिता एक ऑटो ड्राइवर होने की वजह से उन्हें मेरे पढ़ाई का खर्च उठाने बहुत मुश्किल था, लेकिन मेरे पिता ने यह फैसला किया था कि किसी भी चीज की कमी नहीं होने देंगे, वह अपने बच्चों को हर वह चीज हर वह सहूलियत देंगे जो उन्हें अपने वक्त पर नहीं मिली I
IAS बनने का सफर बहुत मुश्किल था लेकिन मेरे मां-बाप का सहारा उनका साथ ने मेरे रस्ते में आने वाली हर तकलीफ हर परेशानियों को मुझसे दूर करता रहा, उनका मानना था कि समाज में बदलाव लाने की पहली सीढ़ी IAS है I अदीबा कहती है कि मेरे दिलचस्पी सबसे पहले लड़कियों के लिए काम करने में होगी, मैं Education और Health शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में अपना Contribution यानी योगदान दूंगी I
जो स्टूडेंट UPSC की तैयारी कर रहे हैं उन्हें अपने मकसद में ठाम रहकर उसे हासिल करने की सलाह देते हुए अदीबा कहती हैं कि मुश्किलें और नाकामयाबी जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन उनसे सीखना चाहिए और मजबूत बनाकर उनका सामना करना चाहिए, हमें अपनी गलतियों से सीखना चाहिए और एक बेहतरीन कोशिश के साथ नई तैयारी करनी चाहिए I
तो दोस्तों यह थी एक ऑटो ड्राइवर की बेटी अदीबा अशफाक शेख की IAS अधिकारी बनने के तक के जीवन का परिचय I