आख़िर क्यों लंदन से आई इस अदाकारा को इन्हीं के आशिक के बेटों ने उनका कत्ल किया I

   यूं तो बॉलीवुड में कई बड़ी हस्तियां आई, जिन्होंने अपनी एक्टिंग करियर में अपना नाम बनाया, शोहरत पाई, इज्जत हासिल की, दुनिया में अपना एक मुकाम बनाया, और जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे, बहुत से विवादों में भी फंसे रहे, ऐसे ही एक लंदन से खूबसूरत लड़की हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने आई, और एक कामयाब अदाकारा का दर्जा भी हासिल किया, पर इतना स्टारडम हासिल करने के बाद भी जिंदगी का आखिरी समय इतना मुश्किल भरा रहा कि, इस अदाकारा को इन्हीं के आशिक के बेटों ने उनका कत्ल किया I तो आज हम जानेंगे ऐसे ही एक 60 के दशक की सबसे खूबसूरत और हसीन शख्सियत के बारे में, जो लंदन से आई थी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपना नाम बनाने, पर वो थी इसी मिट्टी की पैदाइश, इस अदाकारा ने लंदन से आकर हिंदुस्तान के फिल्म इंडस्ट्री में अपनी खास पहचान बनाई, अपने पहले ही फिल्म से इंडस्ट्री में अपने एक्टिंग के झंडे गढ़ दिए I

   इस अदाकारा की बोली फिरंगी थी, लेकिन जब उर्दू, पंजाबी, और हिंदी में डायलॉग बोलती थी, तब ऐसा लगता था कि वह इसी मिट्टी में बड़ी हुई है, लेकिन इन्होंने अपने 20 साल के लंबे करियर में सिर्फ 7 फिल्मों में ही काम किया, इसके पीछे भी एक बड़े वजह रही, ये अदाकारा उस दौर में इतनी बहादुर थी, के बिना शादी के अपने आशिक के साथ लिविंग रिलेशन में रह रही थी, इनके आशिक के बेटों ने ही अपने घर की नौकरो के साथ मिलकर बड़े ही बेरहमी से इनका खून कर दिया, और इनकी खून की साजिश का राज़ आज तक सुलझ नहीं पाया, कौन थी यह अदाकारा और क्यों आखिरी वक्त में इन्हें इतनी दर्दनाक सजा मिली I

  प्रिया राजवंश की जिंदगी और रहस्यमई मौत, एक्सपर्ट का मानना है कि बॉलीवुड का एक पहला ऐसा केस था, जो एक एक्टर के कत्ल का केस था, क्योंकि बॉलीवुड में कई ऐसी मौत की घटनाएं विवादों में रही, जो एक राज थी, जिस पर से पर्दा आज तक नहीं उठा I चाहे वह एक्टर और डायरेक्टर गुरु दत्त साहब की बात हो, या फिर 90 के दशक की अदाकारा दिव्या भारती की हो, जीया खान की हो या श्रीदेवी की, इन सभी के केस में पुलिस के इन्वोकेशन के मुताबिक इन्हें हादसा या आत्महत्या ही करार दिया गया I लेकिन प्रिया राजवंश का यह पहला ऐसा केस था जिसे कानून ने और अदालत ने कत्ल माना, और इनके दोषियों को सजा भी दी, तो चलिए जानेंगे कौन थी प्रिया राजवंश और कैसे ये फिल्मों में आई I 

   अपने दौर की मशहूर अदाकारा प्रिया राजवंश का जन्म 30 दिसंबर 1937 को झेलम में हुआ था, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है, बंटवारे के बाद इनका परिवार हिंदुस्तान के शिमला में शिफ्ट हुआ, इनका असली नाम वीरा सुंदर सिंह था, इनके पिता का नाम सुंदर सिंह था और वो एक वन विभाग में काम करते थे I प्रिया की शुरुआती पढ़ाई शिमला में हुई, उनके पिता को वन विभाग में अपने प्रशिक्षण के लिए लंदन जाने का मौका मिला, उस वक्त प्रिया भी अपने पिता के साथ लंदन चली गई I लंदन में प्रिया ने रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट में ग्रेजुएशन कंप्लीट किया I

   22 साल की उम्र में प्रिया ने एक नाटक में हिस्सा लिया था, उस नाटक में एक्टिंग करने के दौरान एक फोटोग्राफर ने प्रिया की फोटो निकाली, उस फोटोग्राफर ने किसी तरह से प्रिया की फोटो को महान अभिनेता देवानंद साहब के बड़े भाई एक्टर और डायरेक्टर चेतन आनंद को भेज दी I उस वक्त चेतन आनंद फिल्म हकीकत बना रहे थे, और उन्हें अपनी फिल्म के लिए एक नए चेहरे की तलाश थी, प्रिया की तस्वीर देखते ही वह उनके खूबसूरती से अट्रैक्ट हुए, और सबसे कहा कि उन्हें अपनी फिल्म के लिए अदाकारा मिल गई I

   चेतन आनंद ने प्रिया को टेलीग्राम से एक खत भेजा, और उन्हें हिंदुस्तान अगर स्क्रीनशॉट देने के लिए कहा, चेतन आनंद का टेलीग्राम मिलते ही प्रिया हिंदुस्तान आई और आने के बाद दोनों की मुलाकात हुई, और उस मुलाकात के दौरान प्रिया ने चेतन आनंद की फिल्म हकीकत के लिए हामी भारी, क्योंकि प्रिया को बचपन से ही अभिनय कला में रुचि थी I वहीं कुछ लोगों का कहना है की एक ड्रामा में चेतन आनंद की पत्नी उमा की नजर प्रिया पर पड़ी थी, और उन्होंने ही प्रिया को अपने पति से मिलने के लिए कहा था I साल 1964 में आई फिल्म “हकीकत” बॉक्स ऑफिस पर आते ही छा गई, इस फिल्म ने पर्दे पर तहलका मचाया, और दर्शकों ने इस फिल्म में प्रिया राजवंश के अभिनय कला को भी खूब सराया, और अपने पहले ही फिल्म से प्रिया राजवंश रातों-रात स्टार बन गई I

हकीकत फिल्म के शूटिंग के दौरान ही प्रिया राजवंश और डायरेक्टर चेतन आनंद में नजदीकीया बढ़ गई, और उस वक्त दोनों एक साथ में रहने का फैसला करते हैं I प्रिया से मुलाकात होने से पहले ही डायरेक्टर चेतन आनंद की शादी हो चुकी थी, और उन्हें दो बेटे भी थे, चेतन की जिंदगी में प्रिया के आने से पहले ही दोनों पति-पत्नी के बीच रिश्ता काफी बिगड़ा चुका था, और हर रोज किसी न किसी बात को लेकर दोनों के बीच बहस होती थी, और इस बात से परेशान दोनों अलग-अलग रह रहे थे I चेतन आनंद के दोनों बेटे अपने मां के साथ रह रहे थे, और अपने पिता के साथ काम भी सीख रहे थे I

   70 के दशक में जब चेतन आनंद की मुलाकात प्रिया से हुई, तब वह दोनों करीब आए और लिविंग रिलेशन में रहने लगे, उस दौर में लिविंग रिलेशन में रहना और इसे खुलकर एक्सेप्ट करना यह बहुत बड़ी बात थी I कुछ वक्त के बाद फिल्म इंडस्ट्री में भी खबर फैलने लगी, की चेतन और प्रिया लिविंग रिलेशन में रहने लगे, इसके बाद वो दोनों हर जगह हर इवेंट में, पार्टी में साथ में नजर आने लगे, इन्हें इस कदर साथ में देख लोगों को ऐसा लग रहा था, कि उन्होंने शादी कर ली और यह दोनों पति-पत्नी है I साल 1970 में डायरेक्टर चेतन आनंद ने एक और फिल्म बनाई जिसका नाम था “हीर रांझा” इस फिल्म ने प्रिया राजवंश की पूरी जिंदगी बदल दी, इस फिल्म के बदौलत फिल्म इंडस्ट्री में प्रिया को वह मुकाम हासिल हुआ, जो उस दौर की टॉप की अदाकारा को मिला था I

   प्रिया दिखने में बहुत खूबसूरत और हसीन थी और उनकी अभिनय कला सबसे अलग थी, जिसके कायल लाखों लोग थे, अपने एक्टिंग से सबको दीवाना बनाने वाली प्रिया ने सिर्फ साथ फिल्मों में ही काम किया, क्योंकि डायरेक्टर चेतन आनंद ने उन्हें अपने अलावा किसी और डायरेक्टर या प्रोड्यूसर के साथ काम करने नहीं दिया, प्रिया भी अपने प्यार के प्रति इतनी वफादार थी, कि उन्होंने चेतन आनंद के अलावा किसी और के साथ काम नहीं किया I साल 1973 में अपने प्यार को लेकर डायरेक्टर चेतन आनंद ने दो फिल्में बनाई I 1973 कि पहली फिल्म थी “हिंदुस्तान की कसम” जिसे अमिताभ बच्चन की शुरुआती तौर पर याद किया जाता है, और दूसरी फिल्म थी “हंसते ज़ख्म” यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर आते ही छा गई, इस फिल्म की वजह से हिंदुस्तान की फिल्म इंडस्ट्री में प्रिया राजवंश को सख्त मिजाज अदाकारा की पहचान मिली I

   इसके बाद उन्होंने साल 1977 में चेतन आनंद की फिल्म “साहब बहादुर” में चेतन के छोटे भाई महान अभिनेता देवानंद साहेब के साथ लीड रोल में काम किया, यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छी रही, और इस फिल्म में प्रिया के किरदार को लोगों ने प्यार दिया I साल 1981 में फिल्म आई “कुदरत” उनकी बढ़ती उम्र कि बावजूद भी इसमें उनकी खूबसूरती, और हसीन चेहरे कि लोगों ने काफी तारीफ की, प्रिया के अलावा इस फिल्म में महान अभिनेता राजकुमार जी, राजेश खन्ना, हेमा मालिनी, और विनोद खन्ना भी शामिल थे, उस दौर में इस फिल्म को बेस्ट स्टोरी के लिए फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला था I

   साल 1986 में डायरेक्टर चेतन आनंद ने अपनी आखिरी फिल्म “हाथों की लकीरें” बनाई, और हमेशा की तरह प्रिया इस फिल्म में भी मौजूद थी, प्रिया के अलावा इस फिल्म में “जीनत अमान” भी लीड रोल में थी, और हर बार की तरह प्रिया ने इस बार भी बाजी मार ली, इस फिल्म को देखने के बाद लोग प्रिया के अभिनय कला की तारीफ किए बगैर रहे नहीं I शादी के बगैर ही चेतन आनंद और प्रिया राजवंश 26 साल तक दोनों साथ रहे, चेतन आनंद प्रिया को इस कदर चाहते थे के प्रिया के लिए मुंबई के जुहू इलाके में एक आलीशान बंगला खरीदा और उसका नाम रखा “रूइया पार्क बंगला” I

   दोनों एक दूसरे के साथ अपनी जिंदगी बहुत ही खुशी से गुजार रहे थे, पर यह खुशी तब गम में बदली जब चेतन आनंद अपने जीते जी अपने प्रॉपर्टी की वसीयत बनाई, और उस वसीयत के मुताबिक चेतन आनंद ने अपने प्रॉपर्टी को तीन हिस्सों में बाटी, दो हिस्से अपने बेटों के और एक हिस्सा प्रिया राजवंश को दिया, और इसी के साथ चेतन ने अपने जुहू वाले बंगले के भी दो हिस्से किये, एक हिस्सा दोनों बेटों का और एक हिस्सा प्रिया का I चेतन आनंद के प्रॉपर्टी के हिस्से होने के बाद चेतन के दोनों बेटे विवेक और केतन अपने पिता के प्रॉपर्टी में प्रिया राजवंश के भागीदारी के बाद काफी नाराज थे, और इस बात को लेकर घर में काफी झगड़ा भी हुए I

   चेतन आनंद के बेटों का कहना था की प्रिया ये उनकी फैमिली का हिस्सा नहीं है, और उन्हें अपने पिता के प्रॉपर्टी में हिस्सा लेने का कोई अधिकार नहीं है I कुछ वक्त तक यह मामला इसी तरह से उलझा रहा पर प्रिया की असली परीक्षा और परेशानी तब शुरू हुई, जब डायरेक्टर चेतन आनंद 6 जुलाई1997 को इस दुनिया से अलविदा कह कर चले गए I प्रिया राजवंश ने चेतन से कभी शादी नहीं की लेकिन वह हमेशा उनके साथ पत्नी की तरह रहती थी, और चेतन आनंद भी प्रिया का पूरा साथ देते, उनका पूरा खर्चा उठाते, उनका ख्याल भी रखते, लेकिन अब चेतन आनंद के मृत्यु के बाद सब कुछ बदल गया I 

  विवेक और केतन चाहते थे कि जहां प्रिया अपने साथी के साथ रह रही थी, उनके साथी के जाने के बाद अब वह उस घर को खाली कर दे, क्योंकि इस बंगले की कीमत करोड़ों में थी और धीरे-धीरे आसमान छू रही थी I विवेक और केतन को यह बात सताई जा रही थी कि कहीं प्रिया अपने हिस्से की प्रॉपर्टी किसी को बेच देगी, वह ऐसा कुछ करें इससे पहले उन्हें अपने रास्ते से हटाया जाए, इस तरह कि प्लानिंग वह करने लगे I अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव में आकर अब प्रिया जाए तो जाए कहां, विवेक और केतन के लाख कोशिशें के बाद भी प्रिया ने उस बंगले को खाली नहीं किया, और इस बात से इन दोनों को यकीन हुआ था कि तब तक उस बंगले पर उनका हक नहीं होगा जब तक प्रिया की मौत ना हो जाए I

   चेतन आनंद के वसीयत के मुताबिक कुछ पैसे प्रिया राजवंश को हर महीने के खर्चे के लिए भी मिलने थे, पर अफसोस वह भी नहीं मिल रहे थे, और इस वजह से प्रिया की माली हालत बिगड़ने लगी, और इसी कारण प्रिया को अपना खर्च उठाना भी भारी पड़ने लगा I तब जाकर प्रिया ने चेतन आनंद के भाई अभिनेता देवानंद साहब को और उनके कुछ करीबी रिश्तेदारों को खत लिखा, उस खत में प्रिया ने लिखा कि किस तरह से विवेक और केतन उन्हें परेशान कर रहे हैं और तकलीफ दे रहे हैं, और वह उन्हें बंगला खाली करने के लिए किस हद तक मजबूर कर रहे हैं, और इसी के साथ प्रिया ने उस खत में एक गुजारिश भी की थी की जो बातें वसीयत जरिए से चेतन आनंद ने प्रिया के लिए छोड़ गए थे उन बातों का पालन करने को कहे, क्योंकि आप मरहूम चेतन आनंद के भाई हैं, और उनके बाद अब आप ही घर के बड़े हैं I

    रूइया पार्क इस बंगले में दो नौकर थे एक अशोक चिन्ना स्वामी, और नौकरानी माला चौधरी भी रहते थे, चेतन की मौत के बाद इन दोनों का खर्चा भी विवेक और केतन ही संभालते थे, और यही कारण था कि वह दोनों विवेक और केतन से करीब थे और उन दोनों की कहीं हुई हर बात को मानते थे I मुंबई पुलिस के चार सीट के मुताबिक विवेक और केतन कुछ ऐसा करने की सोची जो बेहद खौफन, और गैर कानूनी था, ऐसा करने की सोचने से पहले कोई व्यक्ति 100 बार सोचेगा I प्रिया राजवंश का कत्ल करके उन्हें अपने रास्ते से हटाने के सोची समझी साजिश थी, इसको किस तरह से अनजान दिया जाए ताकि यह एक कत्ल नहीं बल्कि सबको हादसा लगे, और साथी ही इस बात का भी पूरा ध्यान रख रहे थे कि इस प्लान में किसे शामिल करना है, ताकि वह पकड़े जाने के बाद भी अपना मुंह ना खुले I

   प्रिया के कत्ल के लिए विवेक और केतन ने दोनों नौकरों को पैसों का लालच दिया, विवेक और केतन को पता चला था कि दोनों नौकर अशोका चिन्ना स्वामी और माला चौधरी के बीच नाजायज संबंध थे, तब विवेकऔर का केतन ने उन्हें ब्लैकमेल भी किया और उनके सामने मोटी रकम देने का प्रस्ताव भी रखा, इस तरह से दोनों नौकर भी इस खूनी साजिश में शामिल हुए I उनकी प्लानिंग के मुताबिक प्रिया को गला घोटकर मारने का तय हुआ, 26 मार्च 2000 की रात को नौकरानी माला चौधरी ने चाय में एक नशीली चीज मिलाकर प्रिया को दिया, चाय पीने के बाद जब प्रिया बेहोश हुई, तब नौकर अशोक चिन्ना स्वामी ने प्रिया का गला घोटा, तभी नौकरानी माला को लगा कि प्रिया अभी जिंदा है, तब उसने बाथरूम में जाकर कपड़े धोने वाली लकड़ी लाकर प्रिया के सर पर उस लकड़ी से जोर से कई बार वार किया और फिर प्रिया की सांसे रुक गई I

    27 मार्च की सुबह आस पड़ोस के लोगों को पता चला कि प्रिया की मौत हुई है, तब किसी व्यक्ति ने पुलिस में इस बात की खबर दी, फिर तब F.I.R दर्ज हुई I पुलिस ने आकर प्रिया के बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए लैब भेजा, पोस्टमार्टम के रिपोर्ट के मुताबिक प्रिया की मौत गला घोटने की वजह से हुई I इन्वेस्टिगेशन के लिए विवेक और केतन को पुलिस थाने बुलाया गया, और उनसे पूछताछ करने लगे काफी देर तक तो विवेक और केतन अपने घर के नौकरों पर प्रिया का मौत का आरोप लगाते रहे, पर जब सख्ती के साथ पुलिस ने पूछताछ शुरू की तब जाकर विवेक और केतन ने अपना जुर्म कबूल किया I इसके बाद विवेक और कीर्तन के साथ दोनों नौकरों को भी पुलिस ने अरेस्ट कर लिया I

   पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन के दौरान अभिनेता देवानंद साहब और उनके फैमिली मेंबर्स से भी पूछताछ की और फिर प्रॉपर्टी के इस लड़ाई के पन्ने खुलते गए, अदालत में केस पहुंचा और अदालत में 2 साल तक यह मुकदमा चलाता रहा, और 2 साल के बाद कोर्ट में उन्हें दोषी करार दिया और उन चारों को उम्र कैद की सजा सुनाए I इसके कुछ सालों बाद 2011 में हाई कोर्ट से जमानत लेकर चारों रिहा हुए, अब यह केस वापस से चालू है और उन चारों दोषियों के मुताबिक बाथरूम में पैर फिसल कर गिरने की वजह से प्रिया राजवंश की मौत हुई थी I न जाने प्रिया राजवंश के कत्ल की गुत्थी कब सुलझेगी, और प्रिया को न्याय मिलेगा भी या नहीं, यह अब तक एक पहेली है I

   इस हादसे के सामने आने के बाद कुछ फिल्मों के अभिनय के रूप भी सामने आए, जैसे उन्होंने अपनी पहली फिल्म “हकीकत” में अपने प्यार के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे दी थी, और उसके बाद “हीर रांझा” फिल्म की कहानी भी ऐसे ही थी, फिल्मों में कई अभिनय करने के बाद उनके असल जिंदगी में भी कुछ ऐसा ही हुआ I इस कहानी से हमें यह सबक लेना चाहिए कि, घमंड, गुरुर, लालच और जुर्म का अंजाम बहुत ही खौफनाक होता है, और इसके नतीजे से कोई बच नहीं सकता I दूसरा सबक ये है कि किसी के इमोशनल भावनाओं में आकर हमें ऐसे रिश्तों नहीं बनाना चाहिए जिसकी इजाजत हमें समाज, और परिवार वाले ना दे, अपने इस रिश्ते को अपना ना सके, क्योंकि ऐसे रिश्तों का अंजाम भी बुरा होता है I

   तो यह थी दोस्तों खूबसूरत और हंसी अदाकारा प्रिया राजवंश के जीवन का परिचय I

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