पढ़े लिखे भाईयों ने अनपढ़ भाई से माफी क्यों मांगी… एक गांव में तीन भाई और एक बहन अपने मां बाप के साथ रहा करते थे, बड़ा विजय, मजला प्रकाश, और छोटा मुकेश, बहन राधा I विजय,और प्रकाश पढ़ने लिखने में बहुत होशियार थे, मुकेश का जरा भी पढ़ाई में ध्यान नही था, वो सिर्फ आवारा गर्दी करने और लोगों को परेशान करता रहेता I इस वज़ह से माँ बाप मुकेश पर बहुत ध्यान देते थे, “कभी कबार तो उस की ऐसी हरकतों से बहुत परेशान होते थे” । विजय पढ़ लिखकर एक इमानदार पोलीस ऑफिसर बन जाता है, और प्रकाश भी इंजीनियर बन गया, लेकिन मुकेश पढ़ाता नही था इसलिए वो अनपढ़ और गवार ही रह गया, विजय और प्रकाश अपनी पसंद के लडकी से शादी करते हैं, और राधा की भी शादी अच्छे घर मे करवाते है I
मुकेश को कोई भी लड़की देने के लिए तयार नहीं था, ना तो वो पढ़ा लिखा था, और ना ही उसे कोई नौकरी थी I बहेन जब भी मायके आती थी, तब वो सिर्फ दोनो बड़े भाइयो से ही मिलती थी, मुकेश से कभी कबार बात किया करती थी, क्यूंकि मुकेश से उसे उतना लगाव नही था, और वो दिन भर घर से बाहर आवारा गर्दी करते रहता, इस लिए उसे मुलाकात ज्यादा नहीं होती थी I हर वक़्त मुकेश का टेन्शन लेकर पिताजी अकसर बिमार रहने लगे, और बिमारी के हालत मे ही उनका निधन हो जाता है, अब माँ और भी ज्यादा परेशान हो जाती हैं I पिता के गुजर जाने के बाद कही बड़े बेटे बटवारा करने के लिए ना कहे ये सोच कर, क्यूंकि पिता जी हर बार मुकेश की छोटी बड़ी गलतियां माफ कर के उसे संभाल लिया करते थे I
अब वो अकेली कैसे संभालेगी.. इसलिए माँ ने अपने ही दुर के रिश्तेदार की बेटी कोमल से मुकेश की शादी करवाती है, कोमल भी ज्यादा पढ़ी-लिखी नही थी, गांव की भोली-भाली संस्कारी लडकी थी I कोमल के आने के बाद मुकेश ने आवार गर्दी करना छोड़ दिया, अब वो समझदारी से, और बड़े ही लगन से काम करने लगा । मुकेश के दोस्त उसे कई बार कहते की चल आज अड़े पर बातें करते बैठेगे, मुकेश कहता है आज नही फिर कभी बैठेंगे दोस्त कहते हैं तेरे बगैर अब मजा नही आ रहा आवारा गर्दी करने मे, शादी के बाद से तु तो बहोत बदल गया है I अरे मैं कहा बदला हु, वो तो बस थोड़ी जिम्मेदारीया बढ़ गई है, पहले में अकेला था, कही भी खा कर अपना पेट भर लेता था, अब बिवी आ गई है कल को बच्चे भी होगे, तो और जिम्मेदारीया बढेंगी I अभी से मेहनत करूंगा तो आने वाले कल के लिए कुछ जमा कर पाऊँगा I
मैने बहोत बदमाशी की, और लोगो की बाते भी सुनी, लेकिन अब बिवी के सामने कोई कुछ कहेगा तो अच्छा नही लगता I अब तक घर वाले और मौहल्ले वाले आवारा और गवार कहते थे, लेकिन मे अभी पहले के जैसा ही रहुगा तो बिवी भी मुझे आवारा ही समझेगी, और उसके नजर मे मेरे कोई इज्जत नही रहेगी I अच्छे से पढेंगे लिखेंगे तो नौकरी करने के लिए डिग्री मिलती है, और ऐसे संस्कार तो सिर्फ माँ बाप से मिलते हैं I ऐसा ही कुछ वक्त गुजर जाता है, और एक दिन विजय, प्रकाश और उनकी पत्नीया मिल कर तय करते है, कि अब वो अलग रहेगे उन्हे पिताजी के जायदाद में हिस्सा चाहिए, कहते है कि हम दोनो महिने के लाखो कमाते है, और ये मजदूरी कर के दो पैसे कमाता है I उतने में तो घर का राशन भी नहीं आता, सारा घर खर्च तो हम उठाते है, माँ बहोत कोशश करती है, कि बटवारा ना हो, लेकिन बेटो के जिद के आगे वो हार जाती है I
दोनो बड़े बेटे घर का बटवारे की तारीख निकालते हैं, और राधा को भी बुलाते हैं, बटवारे का दिन आया, उस दिन भी मुकेश रोज की तराह काम पर जाने के लिए घर से निकाल रहा था, कि तभी माँ कहती हैं, “बेटा आज घर पर ही रुक जा, विजय और प्रकाश भी कहते है कि आज रुक जा, बटवारा कर ही लेते है I वकील सहाब आए हैं, इतने में वकिल साहाब कहते है, साइन लगेगी आप की, आप के साइन के बगैर बटवारे का काम आगे नही बढ़ सकता । मुकेश कहता हैं मुझे तो इस के बारे में कुछ पता नहीं है, वकिल साहब जो भी काम है, बड़े भैया करेंगे, और वैसे भी आप लोगो को जो ठिक लगता है वो हिस्सा दे देना मुझे, आप लोग जो भी देंगे मै उसमे खुश हु, रही बात साइन की वो तो मुझे नहीं आतीं मैं शाम को आकर अगूठा लगा दूंगा I
राधा कहती है अरे मुकेश भैया हमें पता हैं, की आप को कुछ नहीं आता आज घर पर रुक जाऊ ना, और वैसे भी कौन सी आप की करोड़ो रुपयों का नुकसान हो रहा है, जो भी करना है वो दोनो बेड़े भैया करेंगे बस आप का यहाँ पर मौजूद होना जरूरी है, राधा की ये बात सुन कर मुकेश रुक जाता है I फिर वकिल साहब जायदाद का बंटवारा करना शुरू कर देते है, विजय और प्रकाश ने होशियारी से अपने नाम पर बड़ा घर और खेत कर लेते है, और जो पुराना घर था जो के काफी समय से बंद था, वो छोटा सा घर मुकेश को देते हैं, और खेत के बजाय उसे दो लाख रुपये देते है, जो कि उस खेत कि आधी किंमत भी नहीं थी । वकिल साहाब ये सब के सामने पढ़ रहे थे, तभी ये मुकेश कहता है, वकिल साहब आप बटवारे का एक हिस्सा तो भूल रहें हो, गुडिडया का हिस्सा कौन सा है I
फिर दोनो भाई कहते है, कि बटवारे मे तो सिर्फ भाइयो का हिस्सा होता है, बहनों को तो मायके मे सिर्फ माँ-बाप और भाईयो से प्यार और मान-सम्मान ही मिलता है I भाइयो की ये बात सुन मुकेश कहता है, कि आप मेरे हिस्से के जो दो लाख रुपये है, वो गुड़िया को दे दो… ये सुन दोनो भाई बड़ी हैराणी से पुछते है और तु क्या करेगा ? तुझे पता भी है दो लाख कितने होते है, इतने रूपये मे तू महीनो बैठ कर खा सकता है, मुकेश कहता है कि में पढ़ा-लिखा नही हु तो क्या हुआ ? मेरे हाथ-पैर सलामत है, मेहनत-मजदुरी करके खाऊगा, हाँ जितना आप लोग कमाते हो उतना में शायद नही कमा पाऊगा, लेकिन दो वक्त की रोटी मै अपने मेहनत से कमा सकता हु, और रही दौलत कि बात तो वो मेरे पास आपसे ज्यादा है, मेरी माँ ही मेरी दौलत है, और ये दौलत लाखो-करोडो रुपयो से ज्यादा हैं मेरे लिए I
मुकेश कि ये बात सुनकर कोमल भी उसका साथ देते हुए कहती है, बिलकुल सही कह रहे हो आप सबसे ज्यादा किमती हिस्सा हमारे पास ही है I माँ जी हमारे साथ रहेगी हमेशा, बड़ों का आर्शिवाद और उनका हाथ हमारे सरपर रहेगा, ये तो बहोत सौभाग्य कि बात है, मैं तो खुद को बहोत भाग्यशैली समझती हु, की इतना प्यार, और मान सम्मान देने वाले पत्ती और सास के रूप मे माँ मिली है, जो मुझसे बहोत प्यार करती हैं I मुकेश और कोमल कि ये बाते सुन वहा मौजूद सब लोग खामोश हो जाते हैं, तभी राधा अपने अनपढ़ भाई से रोते हुए कहती हैं, मुझे माफ कर दो भैय्या मे आपको कभी समझ नहीं पाई, आपको मेरा कितना खयाल हैं मुकेश कहता है, अरे पगली इस मे रोने कि क्या बात है ये घर तेरा भी तो है I
इस घर के जायदाद में जितना हिस्सा हम भाइयो का हैं उतना तेरा भी है। हमने तुझे सिर्फ इस घर से भेजा है, लेकिन तू हमेशा हमारे दिल में रहेगी, शादी के बाद सब कहते है, कि बेटीया तो पराई होती है, लेकिन मेरे लिए तु सबसे अजीज हैं चाहे तु पास रहे या दूर I माँ को मैने इसलिए चुना क्योंकि जीस माँ को मैंने बचपन से लेकर अब तक बहोत परेशान किया, लेकिन माँ ने मेरी हर छोटी बड़ी गलती को माफ करके, मेरा हमेशा साथ दिया हैं I अब मे उन्हें अकेला आपके भरोसे कैसे छुड दूँ ? मेरा भी तो फर्ज बनता है ना माँ का ख़याल रखने का मुकेश कि ये बाते सुन, दोनो भाई उसे गले लग कर कहते है, आज तू तो हमसे भी ज्यादा समझर निकाला, हम तो तुम्हे आवारा और बदमाश ही समझते रहे I
तुमने तो हमारी आंखे खोल दी हम दोनों को माफ कर दो मुकेश, सिर्फ पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी करने से कोई बड़ा और समझदार नही बनता, वो तो अच्छे संस्कार और अच्छे विचारो से बनते है, आज से हम मिलकर हि रहेंगे, हम सब मिलकर अपनी माँ का खयाल रखेगे, फिर सब मिलकर एक साथ हसी खुशी से रहते है, अपने बेटों को एकजुट होता हुआ देख माँ बहुत खुश हो जाती हैं, और बेटों को दुआएँ देती हैं I